अकाली-बसपा के गठबंधन पर जाखड़ का बड़ा बयान,''बेअदबी दल कैसे करेगा दलितों का भला?''

punjabkesari.in Sunday, Jun 13, 2021 - 01:57 PM (IST)

जालंधर (धवन): पंजाब में राजनीतिक गतिविधियां विधानसभा के आम चुनावों से 8-9 महीने पहले ही गर्मा गई हैं। शिरोमणि अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करने का ऐलान कर दिया है। पंजाब में दलित समुदाय की वोटों की तरफ सभी पार्टियों की नजरें टिकी हुई हैं। इस संबंध में आज पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ बातचीत की गई जिनके विचार निम्रलिखित थे:

प्रश्न: अकाली दल तथा बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए गठबंधन पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
उत्तर: यह अवसरवादी गठबंधन है। चुनावों को देखते हुए अकाली दल ने यह गठबंधन किया है क्योंकि उन्हें अकेले अपनी जीत के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे थे।

प्रश्न: क्या आपको लगता है कि इस गठबंधन से दलित समुदाय का झुकाव कांग्रेस को छोड़ कर अकाली दल की तरफ जाएगा?
उत्तर: ऐसा कुछ भी होने वाला नहीं है। अकाली दल ने 1996 में भी बसपा से गठबंधन किया था परन्तु 1997 में दोनों अलग हो गए थे। उस समय भी कुछ समय के लिए ही दोनों पार्टियां इक्कठी हुई थीं परन्तु आपसी विचार मेल न खाने के कारण दोनों अलग हो गई थीं।

प्रश्न: सुखबीर की इस गठबंधन को लेकर क्या सोच हो सकती है?
उत्तर: सुखबीर की सोच फ्यूडलिस्टिक है। दलितों का वह भला नहीं कर सकते हैं। सुखबीर को यह याद होना चाहिए कि उनकी 10 वर्षों की सरकार के समय अबोहर में किस तरह दलित परिवारों के ऊपर अत्याचार हुए थे तथा एक दलित व्यक्ति के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे जिसमें इनकी पार्टी के कुछ नेता शामिल थे। भीम टांक कांड को कोई भी भुला नहीं सकता है।

प्रश्न: अकाली दल का आप भविष्य क्या देखते हैं?
उत्तर: अकाली दल ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब व अन्य धार्मिक ग्रंथों की बेअदबियां अपने समय में करवाई थीं। कांग्रेस सरकार ने ही सत्ता में आने के बाद बेअदबी कांड में संलिप्त लोगों की गिरफ्तारियां करवाईं। यह पार्टी तो गुरु की बेअदबी करने वाली पार्टी के नाम से मशहूर हो चुकी है इसलिए उन्हें नहीं लगता कि बसपा से तालमेल करके अकाली दल को कोई लाभ पहुंचने वाला है।

प्रश्न: अकाली दल ने आखिर भाजपा को अलविदा क्यों कहा?
उत्तर: अकाली दल ने मजबूरी में यह कदम उठाया था। किसानों के मुद्दों पर अकाली दल की पोल खुल गई थी। किसानों के खिलाफ बने कानून के पीछे अकाली दल की सहमति थी। भाजपा से अलग होने के बाद अकाली दल को ऐसा लग रहा था कि अगले चुनाव में उसकी दाल गलने वाली नहीं है। ऐसी स्थिति में किसी न किसी पार्टी का उन्हें सहारा चाहिए था जो उन्होंने बसपा में देखा।

प्रश्न: अकाली दल की लीडरशिप तो अब भी कांग्रेस मंत्रियों को धमकियां दे रही है?
उत्तर: ऐसा लगता है कि अकाली दल की लीडरशिप अभी भी अहंकार में है। यह अहंकार 2022 में टूटने वाला है। लोग अभी भी भूले नहीं हैं कि किस तरह गैंगस्टरों को पंजाब में प्रफुल्लित पूर्व अकाली सरकार के समय किया गया था। ऐसे में इनका पुन: अहंकार टूटेगा।

प्रश्न: बसपा के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर
: बसपा के पूर्व सुप्रीमो कांशीराम की श्री गुरु ग्रंथ साहिब में गहन आस्था थी। बसपा की मौजूदा लीडरशिप ने उस पार्टी से समझौता कर लिया जिस पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबियां करवाने के गंभीर आरोप लगे हुए हैं।  

प्रश्न: कांग्रेस में चल रहा संकट कब तक हल होगा?
उत्तर: मुझे लगता है कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी द्वारा अगले सप्ताह तक इस संकट का निपटारा कर दिया जाएगा। जितनी जल्दी इस मसले का हल होगा उतना ही पार्टी का भला होगा।

प्रश्न: अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की क्या संभावनाएं दिखाई देती हैं?
उत्तर: कांग्रेस कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में पुन: अपनी सरकार पंजाब में बनाएगी। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह इस समय राज्य में सबसे बड़े नेता हैं। उन्होंने पारदर्शी शासन दिया है। जनता कांग्रेस को एक और अवसर प्रदान करेगी

प्रश्न: केंद्र की मोदी सरकार के बारे में जनता की क्या राय है?
उत्तर: मोदी सरकार से जनता का मोह भंग हो चुका है। पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजे इसका उदाहरण हैं। महंगाई चरम सीमा पर पहुंची हुई है। पैट्रोल व डीजल के दामों पर सरकार नियंत्रण नहीं पा सकी है। जनता कोविड के दौर में बुरी तरह से महंगाई व बेरोजगारी के कारण पिसी हुई है।

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Content Writer

Tania pathak

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