लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उड़ा रहे हैं धज्जियां, जानें कैसे

punjabkesari.in Saturday, Dec 15, 2018 - 04:46 PM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): चाहे माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ रहे शोर शराबे और ऊंची आवाजों पर रोक लगाई हुई है। परन्तु इस के बावजूद भी लोग सुप्रीम कोर्ट के हुक्मों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और बिल्कुल परवाह नहीं करते। इस समय सभी मानव हर तरफ भारी शोर शराबे का शिकार हो रहे हैं। दिन चढऩे से पहले ही अंधेरो में ऊंची आवाजें शुरू हो जातीं हैं और फिर देर रात तक यह सिलसिला लगातार चलता रहता है और यदि यह रुझान इसी तरह ही लगातार चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम बोलों के देश में शामिल हो जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि जब लड़के या लड़की का विवाह होता है तो लोग दो-दो, तीन दिन डी.जे लगाए रखते हैं। सारी सारी रात डी जे का खड़का पडता रहता है और ऊंची आवाज में गीत चलते रहते हैं। मामला बड़ा गंभीर और चिंताजनक है। जिन लोगों के घरों नजदीक मैरिज पैलेस हैं, वह तो ओर भी परेशान हैं। क्योंकि दिन समय और रात समय विवाहों के समागम चलते रहते हैं। कभी आर्केस्टरा वाले प्रोगराम पेश करते हैं और कभी डी.जे लगा कर लोग नाचते हैं। पहले तो लोग विवाहों मौके ही घरों या पैलेसों में डी.जे लगा कर नाचते थे। परन्तु अब तो हद ही हो गई। किसी मुलाजिम की सेवा मुक्ति होती है या परिवार के किसी मैंबर ने बाहर के देश जाने के लिए जहाज चढऩा होता है तो लोग डी.जे लगाकर नाचने लग पडते हैं। विवाहों समय इतना शोर पडता है कि सुनता किसी को कुछ नहीं, बस लोग ईशारों के साथ बातें करते हैं।



ऊंची आवाजों वाले हाॅर्न
बसों, ट्रक ट्रालियों, टैंपुओं, कारों, जीपों व अन्य वाहनों वाले ऊंची आवाजों वाले बड़े हाॅर्न लगवाए घूमते हैं। जब कि इन हार्नो पर पाबंदी लगी हुई है। परन्तु बजाई सभी ही जाते हैं। बसों में ऊंची आवाज करके गीत चलाए जाते हैं।



सरकार कसे शिकंजा
पंजाब सरकार आवाज प्रदूषण फैलाने वालों पर शिकंजा कसे और कानून का उल्लंघन करने वालों को सख्त सजाएं दे। फिर ही लोगों को डर पड़ेगा। अनेकों लोग ट्रैक्टरों पर बड़े बड़े बक्से रख कर डिक लगाते हैं और आवाजें फुल छोड़ते हैं, जो दूर दूर तक सुनाई देती हैं। ऐसे ट्रैक्टरों वाले अपने पीछे आ रहे वाहनों वालों को साईड भी नहीं देते।

मरीजों के लिए खतरनाक हैं ऊंची आवाजें
ऊंची आवाजें मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हैं। खास कर दिल के रोगों वाले मरीजों के लिए तो ओर भी हानिकारक हैं, क्योंकि ऐसे रोगों वाले मरीजों को खटका अच्छा नहीं लगता और उनका दिल घबराता है और कई बार नुक्सान हो जाता है। नव जन्मे बच्चों के लिए ऊंची आवाजें बुरी हैं। कान पाड़वी आवाजें सरकारी और प्राईवेट अस्पतालों के नजदीक नहीं गूंजनी चाहीए। क्योंकि अस्पतालों में दाखिल मरीजों को बज रहे लाउड स्पीकरों, डी.जे और वाहनों के तेज हार्नो कारण काफी परेशानी आती है।



बच्चों की पढ़ाई का होता नुक्सान
आवाज प्रदूषण कारण बच्चों की पढ़ाई पर काफी प्रभाव पडता है। सुबह समय ही धार्मिक स्थानों के लाउड स्पीकरों से ऊंची आवाजें आनी शुरू हो जातीं हैं। दिन समय भी भारी शोर शराबा रहता है और रात को भी। जिस कारण पढऩे वाले बच्चों को परेशानी आती है।

आवाज प्रदूषण रोका जाए
जब चुनाव होती हैं तो सभी राजनैतिक पार्टियों की ओर से रिक्शों और टैंपुओं पर लाउड स्पीकर रख कर कई कई दिन आवाज प्रदूषण फैलाया जाता है। इस के अलावा सब्जियां बेचने वाले, कपड़े बेचने वाले और अन्य छोटे मोटे बेचने वाले लोग घडूको, कारों और ओर वाहनों पर स्पीकर लगाई घूंमते हैं। गुरुद्वारों के ग्रंथी सिंह, सब्जी वाला आ गया भाई, कपडों की सेल लग गई, किसी की भैंस, गाय, कुत्ता लापता हो गया जैसे होके भी दिए जाते हैं।

आवाज प्रदूषण रोकने के लिए किया जाए योग्य प्रयास
जागरूक लोगों, बुद्धिजीवी वर्ग, समाज सेवीं संस्थाओं के अलावा प्रशासन के उच्च अधिकारियों को चाहिए कि वह आवाज प्रदूषण को रोकने के लिए योग्य उपराले करें।

Mohit