हिन्दू बहुल राज्यों को सिख राष्ट्र बनाने का सपना दिखाकर वसूली कर रहा है आतंकी पन्नू

punjabkesari.in Saturday, Sep 12, 2020 - 04:45 PM (IST)

जालंधर (विशेष) : भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने वाले सिख फार जस्टिस द्वारा जारी किए गए खालिस्तान के नक़्शे में पाकिस्तान के लाहौर और ननकाना साहिब की एक इंच जमीन भी नहीं है। रैफ्रैंडम 2020 की कवायद के बीच कनाडा की पब्लिक प़ॉलिसी मैगजीन मैकडोनाल्ड लोरियर इंस्टीट्यूट ने अपने सितंबर अंक में यह नक्शा प्रकाशित किया है। जबकि जिस सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह से खालिस्तानी प्रेरणा लेकर सिख राष्ट्र बनाने की बात करते हैं उनका सम्राज्य काबुल तक फैला हुआ था। उनके अधीन आने वाले क्षेत्रों में वह तमाम क्षेत्र थे जिनका सिख धर्म से और सिख गुरुओं के साथ ख़ास संबंध रहा है।  श्री  ननकाना साहिब और श्री करतारपुर साहिब से लेकर लाहौर तक उस दौर में महाराजा रणजीत सिंह के सम्राज्य का हिस्सा थे। सिख फॉर जस्टिस  का सरपरस्त और आतंकवादी गुरु पतवंत सिंह पन्नू देश विदेश में सिखों से खालिस्तान के नाम पर चंदा उगाहने के लिए धर्म के आधार पर अलग राष्ट्र का सपना दिखा कर इनकी धार्मिक भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है।

हिन्दू बहुसंख्यक राज्यों को खालसा राज बनाने का सपना
सिख फॉर जस्टिस ने खलिस्तान का जो नक्शा जारी किया है उसमे पंजाब के साथ साथ हरियाणा ,हिमाचल प्रदेश ,दिल्ली और राजस्थान के गंगा नगर से लेकर बीकानेर तक के इलाकों को खालिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है।  पंजाब को छोड़ कर शेष सारे क्षेत्रों में बहुसंख्यक आबादी हिन्दू है और इन राज्यों में सिखों की जनसंख्या दहाई के आंकड़े को भी नहीं छू पाती , लिहाजा इन हिन्दू बहुसंख्यक क्षेत्रों  को सिख राष्ट्र बनाने का सपना दिखा कर देश विदेश के सिखों को छला जा रहा है और उनसे इस मुहिम के बदले में मोटा चंदा वसूल किया जा रहा है।

पंजाब के चार जिलों में सिख अल्प संख्यक 
पंजाब में 38.49 फीसदी आबादी हिन्दू है और पंजाब के चार जिलों जालंधर, होशियारपुर और शहीद भगत सिंह में हिन्दू आबादी बहुसंख्यक है जो जालंधर में 63.56  प्रतिशत है  जबकि गुरदासपुर में 46.74 प्रतिशत, होशियारपुर में 63.07 प्रतिशत और शहीद भगत सिंह नगर में 65.55  प्रतिशत हिन्दू आबादी है और पंजाब में हिन्दुओं के साथ साथ उदार सिखों ने आतंकवाद का काला दौर देखा है और पंजाब के उदार सिख कभी भी अलग सिख राष्ट्र के इस मुंगेरी लाल के सपने को कबूल नहीं करेंगे और पिछले 30 साल में हुए चुनाव के दौरान पंजाबियों ने यह बात साबित भी की है।
 


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