इस लड़की की खेत में मजदूरी बनी मजबूरी, दास्तां सुनकर पसीज जाएगा दिल

punjabkesari.in Wednesday, Jun 24, 2020 - 03:41 PM (IST)

शेरपुर: कैप्टन सरकार ने सत्ता पर काबिज़ होने से पहले पढ़े लिखे बेरोज़गारों को घर -घर नौकरी दिए जाने के बड़े -बड़े दावे किए थे, जो अभी तक पूरे नहीं किए। इस कारण अब बी.ए., बी.एड., टेट  पास लड़कियों को धान लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 

गांव खेड़ी कलां की गुरमीत कौर ने दर्दभरी दास्तां सुनाते कहा कि वह बी.ए, बी.एड. डब्ल एम.ए और 2 बार टेट पास कर चुकी है लेकिन लंबा समय बीत जाने के बावजूद उसे अभी तक नौकरी नहीं मिली। उसका सपना एक अध्यापक बनने का था लेकिन सरकार की बेरुख़ी के कारण और इतना पढ़ने -लिखने के बावजूद वह एक अध्यापक तो नहीं बनी बल्कि अन्य महिलाओं की तरह खेतों में धान की फ़सल लगाने वाली एक मज़दूर बनकर रह गई है। 

गुरमीत कौर बताती है कि अब तक सरकार ने न तो उन्हें नीले कार्ड की सुविधा दी और न ही उनका लाभपातरी कार्ड बन सका। इसी तरह गांव खेड़ी कलां के बेरोजगार नौजवान राजपाल सिंह पुत्र करम सिंह ने बताया कि वह ग्रेजुएशन के बाद ई.टी.टी. टैट पास हैं। लॉकडाऊन के इन दिनों में कोई कामकाज न मिलने के कारण वह अब खेतों में अपने दोस्तों के साथ धान की फ़सल लगाकर घर का गुज़ारा चला रहा है। 
 

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