राजनीतिक साथियों को छोड़ अफसरशाही पर किया अंधविश्वास, इसी ने डुबोई कैप्टन की नाव

punjabkesari.in Sunday, Sep 19, 2021 - 10:17 AM (IST)

पटियाला(राजेश पंजौला): साल 1998 से पंजाब कांग्रेस पर राज कर रहे और पंजाब के कांग्रेसी नेता रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2017 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बम्पर बहुमत दिलाया था। पंजाब के पुनर्गठन के बाद सिर्फ 1992 के चुनाव को छोड़ कर पंजाब में कभी भी कांग्रेस पार्टी को इतनी सीटें नहीं आई थीं, जितनी 2017 के चुनाव में कैप्टन सरकार के नेतृत्व में कांग्रेस को मिली थीं। 

पंजाब की 117 सीटों में से 77 सीटें हासिल करके कांग्रेस पार्टी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। लोगों को बड़ी उम्मीदें थीं कि यह सरकार पंजाब का भला करेगी और जो वायदे मुख्यमंत्री बनने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किए थे, वह पूरे किए जाएंगे परन्तु सरकार बनते ही कैप्टन ने अपने राजनीतिक साथियों को छोड़ कर अफसरशाही पर अंधा विश्वास कर लिया। इसी अफसरशाही ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाव डुबो दी। साढ़े चार साल कांग्रेस का नहीं, आई.ए.एस. अफसरों का राज रहा।

सबसे पहले ऑर्डर उन्होंने रिटायर्ड पी.सी.एस. अफसर एम.पी. सिंह के अपने साथ बतौर ओ.एस.डी.-कम-सचिव के किए। इसके साथ ही पूर्व आई.ए.एस. और अकाली-भाजपा सरकार के समय अहम पोस्टों पर रहे सुरेश कुमार को चीफ प्रिंसीपल सैक्रेटरी नियुक्त कर लिया। कैप्टन द्वारा मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद अभी नए बने मंत्री और विधायक सोच ही रहे थे कि जिले के डिप्टी कमिश्नर, एस.एस.पी. और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति के लिए वह अपनी सिफारिशें भेजेंगे परन्तु अचानक ही चीफ प्रिंसीपल सैक्रेटरी सुरेश कुमार ने पंजाब के सभी डिप्टी कमिश्नर और एस.एस.पी. अपने अनुसार लगवा लिए। किसी भी मंत्री और विधायक की नहीं सुनी गई परन्तु सभी चुप रहे। इसके बाद लगातार मंत्रियों और विधायकों की अनदेखी का सिलसिला शुरू हो गया। 

कैप्टन अमरिंदर सिंह को मिलना बड़ा मुश्किल हो गया। यहां तक कि उनकी धर्मपत्नी और पटियाला की सांसद परनीत कौर को भी उनसे मिलने के लिए समय लेना पड़ता था और कई बार परनीत कौर को भी 10-10 दिन बाद टाइम मिलता था। पंजाब का समूचा कामकाज सुरेश कुमार के हवाले कर दिया गया। जिन मंत्रियों और विधायकों ने काम करवाने थे, वह सुरेश कुमार की ‘मिन्नतें’ करने लगे। एक युवा मंत्री अकसर ही सुरेश कुमार को ‘अंकल’ कहकर बुलाता था और उनके घुटने हाथ लगाता था। पहले साल से ही मुख्यमंत्री के खिलाफ सुगबुगाहट शुरू हो गई थी।

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Content Writer

Sunita sarangal