पंजाब में ठप्प होगा विकास, वेतन व पैंशन के भी पड़ेंगे लाले

punjabkesari.in Thursday, Dec 05, 2019 - 11:34 AM (IST)

जालंधर(विशेष): पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल द्वारा बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जी.एस.टी. के मुआवजे की बकाया राशि की अदायगी की गुहार के बदले मिले खाली आश्वासन का आने वाले दिनों में पंजाब पर सीधा असर पड़ेगा। सरकार की वित्तीय हालत इतनी खस्ता है कि उसके पास कर्मचारियों को वेतन देने के भी पैसे नहीं हैं। पंजाब में करीब साढ़े तीन लाख सरकारी कर्मचारी हैं और डेढ़ लाख के करीब पैंशनर को सरकार हर महीने पैंशन देती है। लेकिन सरकार की वित्तीय हालत बिगडऩे के कारण सबसे पहला असर कर्मचारियों पर पड़ेगा क्योंकि सरकारी कर्मचारियों के वेतन में इसमें देरी हो सकती है।


वित्त मंत्रालय ने 5 हजार करोड़ के बिल रोके
सरकार का खजाना खाली होने के कारण वित्त विभाग ने विभिन्न विभागों के करीब 5 हजार करोड़ रुपए के बिल रोक लिए हैं। स्थानीय निकाय विभाग, विभाग के अधीन आती नगर निगमों, नगर परिषदों और अन्य विभागों को ग्रांट के तौर पर राज्य सरकार से राशि जारी की जाती है लेकिन सरकार के वित्त विभाग ने मंदी और आॢथक संकट का हवाला देकर विभागों के बिल रोक लिए हैं। बिल रोकने के बाद राज्य में विकास कार्यों पर ब्रेक लगना तय है क्योंकि सरकार के पास राज्य पर पहले से चढ़े हुए कर्ज की ब्याज अदायगी के साथ-साथ कर्मचारियों का वेतन देने के भी पैसे नहीं हैं।


क्यों बिगड़े हालात?
दरअसल पूरा देश पिछले एक साल से गंभीर आॢथक मंदी की चपेट में है। इसका असर पंजाब पर भी देखने को मिल रहा है। कंज्यूमर सैंटीमैंट कमजोर होने के कारण लोग पैसा खर्च नहीं कर रहे जिससे सरकार के राजस्व पर सीधा असर पड़ा है। आटो कम्पनियों की बिक्री में गिरावट के कारण जी.एस.टी. से होने वाले अनुमानित रैवेन्यू का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल हुआ है तो दूसरी तरफ आम उपभोक्ता अन्य गैर-जरूरी सामान की खरीद भी सोच-समझ कर रहा है, जिससे बाजार में मंदी है ही, सरकार के रैवेन्यू पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है। जी.एस.टी. कौंसिल द्वारा जारी किए गए डाटा के मुताबिक वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों में पंजाब में जी.एस.टी. रैवेन्यू 44 प्रतिशत गिरा है, जबकि पड़ोसी राज्य हिमाचल में 40 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। पहले 5 महीने में पंजाब की जी.एस.टी. रैवेन्यू पूरे देश में सबसे कम है। लेकिन यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है। सरकार के जी.एस.टी. रैवेन्यू के साथ-साथ टैक्स रैवेन्यू और नॉन-टैक्स रैवेन्यू में भी जबरदस्त गिरावट है। सरकार ने बजट में 50,993.62 करोड़ रुपए का टैक्स रैवेन्यू कमाने का लक्ष्य रखा था लेकिन वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में 21,305.57 करोड़ रुपए का रैवेन्यू भी इक्ट्टा हो पाया है। नॉन-टैक्स रैवेन्यू के लिए बजट में 9,476.98 करोड़ रुपए के निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले महज 1,576.23 करोड़ रुपए का रैवेन्यू ही हासिल हुआ है। केंद्र सरकार से राज्य को इस वित्त वर्ष में 18,039.10 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद थी जिसमें से पहले 7 महीनों में 7,425.83 करोड़ ही मिले हैं।



पैदा हो सकती है ओवरड्राफ्ट की स्थिति
पंजाब में वित्तीय हालात सुधारने के लिए यदि जल्द कदम न उठाए गए तो राज्य के सामने ओवरड्राफ्ट की स्थिति पैदा हो सकती है और रोजमर्रा का खर्चा चलाने के लिए भी पंजाब सरकार को रिजर्व बैंक पर निर्भर रहना पड़ सकता है। आर.बी.आई. ने वेस एंड मीन्स एडवांस स्कीम (डब्ल्यू.एम.ए.) के तहत राज्यों के लिए आर.बी.आई. से पैसा लेने की एक सीमा तय की हुई है। पंजाब के लिए यह सीमा 925 करोड़ रुपए है। यदि कोई राज्य 5 दिन लगातार इस सीमा से दोगुना पैसा लेता है तो वह ओवरड्राफ्ट कहलाता है। कोई भी राज्य अधिकतम 14 दिन तक यह सुविधा ले सकता है। लेकिन एक तिमाही में ओवरड्राफ्ट की अधिकतम सीमा 36 दिन है। इसके बाद राज्य को ओवरड्राफ्ट के लिए ब्याज की अदायगी करनी पड़ती है।


वित्त मंत्री फेल, राज्य सरकार की नीतियां जिम्मेदार : मलिक
वित्तीय संकट के लिए राज्य सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं। मनप्रीत बादल फेल वित्त मंत्री साबित हुए हैं। यदि वह सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कह रहे हैं तो उन्हें जनता की अदालत में भी जाना चाहिए जहां चुनाव से पहले लोगों के साथ झूठे वायदे किए थे। पंजाब सरकार ने भी उद्योगपतियों और व्यापारियों का 3 साल का वैट रिफंड दबा रखा है। केन्द्र सरकार की तरफ से तो जी.एस.टी. कम्पनसेशन जारी हो जाएगा लेकिन राज्य सरकार वैट रिफंड कब जारी करेंगे?  
 

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