कर्मचारी ने सोशल मीडिया पर दी डी.ई.ओ. दफ्तर के बाहर आत्महत्या करने की धमकी

punjabkesari.in Friday, Aug 31, 2018 - 12:35 AM (IST)

फिरोजपुर (कुमार): पंजाब के सरकारी स्कूलों में शिक्षा विभाग की तरफ से बड़े स्तर पर सुधार करने के प्रयास जहां प्रशंसनीय हैं और युवा पीढ़ी के हित में हैं, वहीं चंडीगढ़ के ए.सी. दफ्तरों में बैठे कुछ बड़े अफसरों की तरफ से जमीनी हकीकत जाने बिना लागू की जा रही गलत और तानाशाही नीतियां अध्यापक वर्ग पर बहुत बड़ा तनाव पैदा कर रही हैं, जिसकी ताजा मिशाल फिरोजपुर में देखने को मिली है। वहां के एक अध्यापक ने सोशल मीडिया पर जिला शिक्षा अफसर के दफ्तर के बाहर आत्महत्या करने की धमकी दी है, जिसके चलते शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। बताया जाता है कि इस धमकी में लिखा गया है कि अगर नीतियों को बदला नहीं गया और उसे तंग किया गया तो वह जिला शिक्षा अफसर फिरोजपुर के दफ्तर के सामने आत्महत्या करेगा, जिसकी सारी जिम्मेदारी शिक्षा अफसर फिरोजपुर और चंडीगढ़ में बैठे उच्चाधिकारियों की होगी।  जिला शिक्षा अफसर की तरफ से इस धमकी को लेकर जिला पुलिस को शिकायत दी गई है। इस संबंधी डी.एस.पी. यादविन्द्र सिंह ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि उक्त शिकायत आगे की कार्रवाई के लिए साइबर क्राइम को भेज दी गई है। 

विभिन्न एन.जी.ओ. का मानना है कि अगर सरकार इन नीतियों के साथ-साथ सरकारी स्कूलों में अध्यापकों और बच्चों को पेश आ रही मुश्किलों का भी प्राथमिकता के आधार पर समाधान करे और स्कूलों में सभी तरह की बुनियादी सुविधाएं प्रदान करे तथा अध्यापकों को केवल पढ़ाई का ही काम दे तो ये नीतियां सफल हो सकती हैं। नहीं तो अध्यापक वर्ग पर तनाव बढऩे और उन्हें समय से पहले रिटायरमैंट लेकर चले जाने के लिए मजबूर करने से ज्यादा इन नीतियों का सरकार को कोई ज्यादा फायदा नहीं हो सकता। कुछ लोगों का मानना है कि कैप्टन सरकार ने कृष्ण कुमार को शिक्षा विभाग पंजाब का सचिव केवल इसलिए लगाया है ताकि उनकी नादिरशाही नीतियों से तंग आकर अध्यापक खुद ही नौकरी छोड़कर चले जाएं और उन्हें सरकार को निकालने की जरूरत ही न पड़े। 

अध्यापकों से डाटा मंगवाने व अन्य काम करवाने बंद किए जाएं : विजय 
रोटरी क्लब के प्रधान रोटेरियन विजय मोंगा ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने की जगह अध्यापकों को डाटा व अन्य जानकारियां मांगकर उलझाए रखते हैं और खुद आंकड़ों में ही अधिकारियों को खुश करके शिक्षा में सुधार करते नजर आ रहे हैं। यह सब बंद होना चाहिए। शिक्षा विभाग पंजाब की तरफ से अध्यापक वर्ग के सम्मान व सत्कार को तानाशाही एक तरफा नीतियां लागू करके समाज में खत्म किया जा रहा है और राष्ट्र के निर्माण तथा बच्चों का भविष्य बनाने वाले अध्यापक वर्क को तरह-तरह से जलील किया जा रहा है। 
 

Des raj