CoronaVirus: श्री हरिमंदिर साहिब में संगत की आमद बढ़ी

punjabkesari.in Tuesday, Jun 23, 2020 - 11:10 AM (IST)

अमृतसर(अनजान): कोरोना महामारी को लेकर कर्फ्यू व लॉकडाऊन के बाद आज श्री हरिमंदिर साहिब में संगत की आमद में पहले की अपेक्षा विस्तार होता देखा गया। दर्शनीय डियोड़ी के अंदर का बरामदा सारा भरा-भरा दिखा।

परिक्रमा में भी संगत की अच्छी चहल-पहल नजर आई। सेवकों द्वारा संगत को बांस लगाकर बारी-बारी अंदर दर्शन के लिए जाने दिया जा रहा था और दूसरी तरफ जो संगत दर्शन करने उपरांत कीर्तन सुनने के लिए बैठ जाती थी, उनको धीरे-धीरे करके उठाया जा रहा था, जिससे अंदर भीड़ भी न हो और बाकी संगत भी बारी सिर दर्शन कर सकें। संगत ने जोड़े घर, परिक्रमा के स्नान, छबील और गुरुका लंगर में जहां सेवा की वहीं कड़ाके की गर्मी में छबील पर कच्ची लस्सी पी और गुरुके लंगर छके। गुरुद्वारा थड़ा साहिब में रागी सिंहो और संगत ने मिलजुल कर कीर्तन किया।

इस उपरांत कोरोना से निजात दिलाने के लिए सरबत के भले की अरदास की गई। ग्रंथी सिंह द्वारा हुक्मनामा लिया गया और कड़ाह प्रशादि की देग बरताई गई। ग्रंथी सिंह ने कहा कि जो व्यक्ति अकाल पुरुख वाहेगुरुका पल्ला पकड़ लेता है, मुसीबतों उससे कोसों दूर चलीं जातीं हैं, जिसको उस एक परमात्मा का सहारा है, वह कभी भी नहीं डोलता। उन्होंने कहा कि संगत रोज अपने घरों में सुबह जपजि साहिब और शाम रहरासि साहिब जी का पाठ करके कोरोना महामारी से निजात डालनेके लिए सरबत के भले की अरदास करें। 

गुरुद्वारा मंजी साहिब दीवान हाल में मुख्य वाक्य की हुई कथा
अमृत समय पर के मुख्य वाक्य की कथा गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हाल में श्री हरिमंदिर साहिब के अतिरिक्त ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी जगतार सिंह ने की। पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अंग 696 में से जैतसरी मोहल्ला 4 की बाणी के शब्द की व्याख्या करते कहा कि हे भाई जदों गुरुने मेरे सिर ते अपना हत्थ रखिया तां मेरे हृदय विच परमात्मा दा रत्न जैसा कीमती नाम आ बसा है। हे भाई जिस भी मानव को गुरुने परमात्मा का नाम दिया, उसके अनेकों जन्मों के पाप दुख दूर हो गए। उसके सिर से पापों का कर्ज उत्तर गया।

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