महाराजा की थी 20 हजार करोड़ की प्रापर्टी, दशकों बाद अब ऐसे होगा बंटवारा

punjabkesari.in Friday, Jun 05, 2020 - 10:46 AM (IST)

चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने स्वर्गीय फरीदकोट महाराजा की विवादों से घिरी 20 हजार करोड़ रुपए की संपति के बंटवारे पर अपना फैसला सुना ही दिया है। कोर्ट ने दो बेटियों को 20 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति देने का फैसला लिया है। जिसमें एक महल, मनीमाजरा किला, मशोबरा (शिमला) की प्रॉपर्टी के अलावा बैंक में जमा धनराशि, ज्वेलरी, विंटेज कारों और इंडिया गेट के पास कोपरनिकस मार्ग पर स्थित फरीदकोट हाउस शामिल है।

दोनों बेटियों राजकुमारी अमृत कौर और दीपिंदर कौर को अब संपत्ति में 75 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा रॉयल संपत्तियों का 25 प्रतिशत हिस्सा उनकी मां महारानी महिंदर कौर को जाएगा। जस्टिस राजमोहन सिंह ने अपने 547 पन्ने के फैसले में दोनों बेटियों के दावे को बरकरार रखा और महारावल कावाजी ट्रस्ट और दीपिंदर कौर की ओर से दाखिल अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि महारानी महिंदर कौर तब जीवित थीं, जब फरीदकोट के शासक राजा हरिंदर सिंह बराड़ की मृत्यु हुई थी। महारानी महिंदर कौर और उनकी बेटी दीपिंदर कौर की इस समय मौत हो चुकी है संपत्ति का बंटवारा अब उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को मिलेगा। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को भी बरकरार रखा, जिसमें महारावल कावाजी ट्रस्ट जो वर्तमान में संपत्तियों का प्रबंधन कर रहा था, उसे अवैध घोषित किया गया था।

ये है मामला....
22 जुलाई 2013 में जब सीजेएम अदालत ने उनके हक में फैसला दिया था तो वह करीब 80 वर्ष की थी। उन्होंने 21 साल की कानूनी लड़ाई के बाद मालिकाना हक की लड़ाई जीत ली थी।चंडीगढ़ के मनीमाजरा के किले के अलावा फरीदकोट, दिल्ली, हैदराबाद और हिमाचल में महाराजा की करीब 20 हजार करोड़ की संपत्ति की हकदार भी वह बन गई हैं। पहले यह संपत्ति उनके नौकरों, वकीलों और कुछ अन्य लोगों के हवाले थी। बेटी अमृत कौर ने संपत्ति को ट्रस्ट के हवाले करने वाली वसीयत को गलत बताया था।

चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट रजनीश कुमार की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि 1 जून 1982 को बनाई गई वसीयत फर्जी है। महाराजा की संपत्ति पर उनकी बेटियों का हक है। इस सारी लड़ाई को जीतने के बाद दिल्ली का रहने वाला एक व्यक्ति गुरप्रीत सिंह मैदान में कूद गया जिसने अदालत में कहा कि अमृत कौर ने उसके साथ एक डीड और पावर ऑफ अटार्नी तैयार की थी।

जिसमें कहा गया था कि केस जीतने के बाद संपति का 80 फीसदी उसका तथा उसके साथियों का होगा, जबकि 20 फीसदी अमृत कौर का। इस पर भी वह हिम्मत नहीं हारी वह इन सारे मामलों को न चलने को लेकर हाईकोर्ट गई और वहां से सुनवाई पर रोक को लगाने के आदेश ले आई। तब से लेकर यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था।
 

Suraj Thakur