मामला मेयर की कुर्सी का, सत्ताधारी व विरोधी पक्ष आमने-सामने

punjabkesari.in Sunday, Mar 05, 2023 - 12:08 PM (IST)

बठिंडा: नगर निगम बठिंडा के मेयर पद को लेकर कांग्रेस व पूर्व वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल के रिश्तेदार जैजीत सिंह जौहल आमने सामने हो गए। असल लड़ाई तो राजा वड़िंग और मनप्रीत बादल की रही, राजा वड़िंग को पंजाब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने से मनप्रीत बादल खफा रहे और उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। सत्ता दौरान मनप्रीत बादल ने मेयर पद का चुनाव अपनी मर्जी से किया जिसे लेकर शहर में खूब चर्चा भी हुई थी क्योंकि रमन गोयल को राजनीतिक तजुर्बा नहीं था और पहली बार पार्षद बनी ओर सीधे मेयर की कुर्सी पर बैठ गई।

नगर निगम बठिंडा के पास 50 वार्ड हैं, 42 में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी जबकि 2 पार्षद कांग्रेस छोड़कर ‘आप’ में शामिल हो गए थे। लगभग एक दर्जन पार्षद जिन्हें मनप्रीत बादल ने अपनी मर्जी से टिकट दिए थे चूंकि वह अकाली दल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे और जीत हासिल की थी। वहीं पार्षद अभी भी मनप्रीत बादल के साथ जुडे़ हुए है जिससे कांग्रेस के पास आंकड़ा 30 के नीचे चला गया।

मेयर रमन गोयल सहित 5 पार्षदों को कांग्रेस ने बाहर का रास्ता दिखा दिया जिससे कांग्रेस पार्षदों की संख्या घटती गई। अब पेच फंसा हुआ है कि रमन गोयल को मेयर पद से कैसे उतारा जाए जबकि जैजीत जौहल ने धमकी देकर कांग्रेस को हैरान कर दिया कि वह पद से उन्हें उतार कर दिखाए। सोशल मीडिया पर उन्होंने लाइव होकर राजा वड़िंग के साथ कांग्रेस के शहरी अध्यक्ष राजन गर्ग व डिप्टी मेयरों को भी निशाना बनाया।

कांग्रेस के शहरी अध्यक्ष राजन गर्ग का कहना है कि रमन गोयल को मेयर पद से उतारने के लिए 34 पार्षदों की आवश्यकता है जबकि उनके साथ 30 पार्षद चट्टान की तरह खड़े है। मामला केवल 4 पार्षदों का रह गया जिसके लिए जोड़ तोड़ की जा रही है। बेशक अभी तक ऐसी कोई पुष्टि नहीं हुई कि किसी भी पार्षद को लालच दिया गया हो परन्तु अंदर खाते इस मामले को लेकर षडयंत्र जारी है। कांग्रेस हर कीमत पर रमन गोयल को मेयर पद से हटाना चाहती हैं वहीं मनप्रीत बादल धड़ा उसे संजीवनी देकर बचाना चाहता है।

शहर के सभी विकास कार्य रुके

मेयर पद को लेकर जहां सत्ता पक्ष व विपक्ष आमने सामने है लेकिन इसका सीध असर शहर पर पड़ रहा है। शहर के सभी विकास कार्य रुके हुए हैं यहां तक कि पिछले 5 महीने से नगर निगम की कोई आम बैठक नहीं हुई और न ही कोई एजेंडे पास हुए। निगमायुक्त राहुल सिद्धू द्वारा निकाय विभाग को पत्र लिखकर जनरल हाऊस बैठक बुलाने की अनुमति मांगी थी जो मिल भी गई थी। लेकिन मेयर रमन गोयल ने 24 फरवरी को जनरल हाऊस की बैठक बुलाने के लिए नोटिस जारी किया लेकिन शोर पड़ने के डर से बाद में रद्द कर दिया। वहीं हुआ 25 फरवरी को बैठक रद्द हुई लेकिन एफ.एंड सी.सी. की बैठक संपन्न हुई जिसे कांग्रेसी पार्षदों ने इसे धोखा बताया।

कांग्रेस व विरोधी पक्ष इस मामले को लेकर कानून की राय ले रहे है और लगातार वकीलों के संपर्क में है। म्यूनिसिपल एक्ट में साफ लिखा है कि अगर मेयर को पदमुक्त करना है तो इसके लिए दो तिहाई पार्षदों की सहमति जरूरी है।

क्या कहते है मेयर

मेयर पद की खींचोतान को लेकर मेयर रमन गोयल का कहना है कि उनके साथ 20 पार्षद खडे़ है जबकि 7 अन्य पार्षद दूसरी पार्टियों के भी हैं ऐसे में कांग्रेस उनका बाल भी बांका नहीं बिगाड़ सकती। उन्होंने कहा कि वह पार्षदों का चुनाव जीतकर संविधानिक तौर पर मेयर बने है एक अकेला व्यक्ति उन्हें बयान देकर पद मुक्त नहीं कर सकता।

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News Editor

Urmila