पंजाबियों में बैसाखी मनाने का जुनून,156 वर्ष पहले लाहौर के लिए चली थी पहली ट्रेंन

punjabkesari.in Thursday, Apr 12, 2018 - 04:18 PM (IST)

अमृतसरः बैसाखी की धूम पंजाबियों में खास तौर पर देखी जाती है। कई लोग इसे जहां नव वर्ष के आगमन के तौर पर मनाते हैं वहीं किसान अपनी गेहूं की पक चुकी फसल की कटाई की शुरुआत के लिए इस त्योहार को शुभ मानते हैं। बैसाखी के त्योहार का क्रेज आज के ही लोगों में नहीं बल्कि काफी पहले से लोग इस त्योहार को मनाते आ रहे है। वर्ष 1919 जब जलियांवाला बाग का कांड हुआ तब भी लोग बैसाखी का मेला देखने के लिए वहां पहुंचे हुए थे।
 

इतना ही नहीं 156 वर्ष पहले भी इस त्योहार को मनाने के प्रति लोगों में इतना जनून था कि वे इसे मनाने के लिए लाहौर जाते थे। 16 अप्रैल 1853 को देश में पहली रेलगाड़ी चलने के नौ साल बाद पंजाब में रेल की शुरुआत की गई थी। 10 अप्रैल 1862 को पंजाब में पहली यात्री रेलगाड़ी दौड़ी थी। पहले दिन ट्रेन ने अमृतसर-लाहौर के बीच  दो चक्कर लगाए थे। अमृतसर में बैसाखी मेले के कारण उस समय ट्रेन में यात्रियों की संख्या अधिक थी। अमृतसर-लाहौर 5.6 ब्रॉडगेज रेल लाईन 50 किलोमीटर लंबी थी और इसका उद्घाटन 10 अप्रैल को अमृतसर में कपूरथला के महाराजा जगतजीत सिंह व जॉन लॉरेंस ने किया था। 

 

खास बात यह है कि इंग्लैंड के हार्वर बंदरगाह से कराची बंदरगाह पर दो भाप इंजन व बोगियां लाई गई थीं। कराची से लाहैर तक रावी नदी से बड़ी नाव के जरिए इंजन को लाया गया। रावी के तट से स्टेशन तक 102 हाथी, घोड़े व बैलों ने दो भाप इंजनों और 22 बोगियों को खींचकर पहुंचाया था।  पंजाब की इस पहली ट्रेन में 2 सेकेंड क्लास कैरेज, 6 थर्ड क्लास कैरेज व 1 ब्रेकयान सहित कुल नौ बोगियां लगाई गई थीं। बाद में पहली मई से दो गाड़ियों ने रोजाना अमृतसर-लाहौर के बीच दो-दो चक्कर लगाना शुरू किए थे। 

 

इस ट्रेन में सामान्य श्रेणी में किराया चार आना था। फस्र्ट क्लास में तीन रुपए, सेकेंड क्लास में दो रुपए लगते थे। 12 आना अतिरिक्त देने पर रिजर्व सीट मिलती थी।   एनके वर्मा, एडीआरएम फिरोजपुर मंडल रेलवे ने बताया कि 10 अप्रैल को  इस ट्रेंन को चले 156 साल पूरे हो चुके है। यह इतिहास को याद कर गौरवांवित होने का दिन है।  


 

Sonia Goswami