बजट और सियासतः विकास योजनाओं के सियासीकरण का खमियाजा भुगत रही पंजाब की जनता!

punjabkesari.in Monday, Feb 03, 2020 - 11:42 AM (IST)

जालंधर(सूरज ठाकुर): केंद्रीय बजट का ऐलान होते ही आर्थिक मंदी की मार झेल रही कैप्टन सरकार के लिए मुश्किलों का बोझ ढोना अब आसान नहीं रह गया है। पंजाब को बजट में जहां नया और विशेष कुछ नहीं मिला, वहीं केंद्र सरकार की फाइलों में धूल फांक रहे कई वित्तीय मामलों के लिए भी कोई प्रावधान नहीं किया गया। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार न होने के कारण भी ऐसा हो सकता है। यहां आपको 2 उदाहरणों के जरिए समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि पंजाब में विकास योजनाओं का सियासीकरण होने का खमियाजा जनता को कैसे भुगतना पड़ता है।

कैंसर के मरीजों की जिंदगियों से खिलवाड़ 
इस प्रोजैक्ट के सियासीकरण का दूसरा पहलू भी है जब 2017 में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो इसे अमलीजामा पहनाने की कोशिश फिर से शुरू हुई। हालात अब भी इस प्रोजैक्ट के लिए माकूल नहीं थे। केंद्र में 2014 से ही एन.डी.ए. की मोदी सरकार काबिज थी। कैप्टन सरकार ने जैसे-तैसे इस प्रोजैक्ट के लिए हाईवे पर 27 एकड़ भूमि उपलब्ध करवाई। इसके बाद 24 दिसम्बर 2019 को बङ्क्षठडा में एम्स के ओ.पी.डी. सैंटर के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने फिरोजपुर के पी.जी.आई. सैटेलाइट सैंटर खोलने के लिए 450 करोड़ रुपए की राशि देने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि सैंटर खोलने के लिए यह राशि फिरोजपुर के सांसद सुखबीर बादल के कहने पर जारी की जा रही है। कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई और क्रैडिट लेने के लिए याद दिलाया कि यह प्रोजैक्ट पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की देन है। नतीजतन यह भी किसी ने समझने की कोशिश नहीं की कि इस प्रोजैक्ट में देरी होने से पंजाब के कैंसर के मरीजों की जिंदगियों के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ हो रहा है।

7 साल से अधर में लटका है फिरोजपुर पी.जी.आई. सैटेलाइट सैंटर 
सबसे पहले बता रहे हैं साल 2012-13 की बात, जब केंद्र में यू.पी.ए. की और पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार थी। पंजाब में कैंसर से जूझते हुए किसानों के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने फिरोजपुर में पी.जी.आई. सैटेलाइट सैंटर खोलने को स्वीकृति प्रदान की थी। 2014 में लोकसभा चुनाव थे और अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार पर कांग्रेस ने यह आरोप लगाया था कि क्रैडिट वॉर के चक्कर में अकाली इस प्रोजैक्ट में रोड़ा अटका रहे थे। इस प्रोजैक्ट का सियासीकरण हो गया। 2013 में घोषित इस पी.जी.आई. सैटेलाइट सैंटर के लिए अकाली-भाजपा सरकार अपने कार्यकाल में उपयुक्त भूमि भी मुहैया नहीं करवा पाई, जो 10 एकड़ भूमि रेलवे स्टेशन के पास बादल सरकार ने चिन्हित की वहां सैंटर बन ही नहीं सकता था। लिहाजा 7 साल से सैंटर केंद्र की फाइलों में बंद रहा।

5 साल से हॉर्टीकल्चर पी.जी. यूनिवर्सिटी भी कागजों में दफन 
अब बात करते हैं 2015 की, जब मोदी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता संभाल चुकी थी। इसी दौरान 23 मार्च को शहीदी दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि देने के बाद अपने संबोधन में कहा था कि ‘पंजाब से मेरा खून का रिश्ता है और अब कर्ज चुकाने का मौका आ गया है। पंजाब ने देश को भूख से बचाया है। अन्न देने का पुण्य का काम किया है।’ इस मौके पर भगत सिंह के नाम पर उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीच्यूट फॉर हॉर्टीकल्चर रिसर्च एंड एजुकेशन (पी.जी.आई.एच.आर.ई.) बनाने की भी घोषणा की थी। 

इस घोषणा के अनुरूप इसे 2016-17 के बजट में स्वीकृत कर लिया गया, हालांकि चुनावी साल होने के कारण इसे अकाली-भाजपा सरकार अमलीजामा पहनाने में नाकाम रही। इस प्रोजैक्ट को सिरे चढ़ाने के लिए अब कैप्टन सरकार ने अपनी तरफ से प्रक्रिया पूरी कर ली है। बताते हैं कि एडमिनिस्ट्रेटिव और रैजीडैंशियल ब्लॉक की जमीन अभी केंद्र को पसंद नहीं आई। इसके लिए 30 से 35 एकड़ जमीन चाहिए। उसके लिए भी 4 साइटों की लोकेशन भेजी गई है, लेकिन अभी उधर से कोई उत्तर नहीं मिल सका है।

दूसरा एम्स खोलने की मांग
श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन से मुलाकात कर राज्य में दूसरे एम्स की स्थापना की मांग की थी। इसके अलावा नशे के संबंध में राष्ट्रीय नीति की मांग दोहराई थी। उन्होंने इस समस्या से ग्रस्त लोगों के इलाज के लिए केंद्रीय सहायता की मांग भी की थी। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस पर सहमति तो जताई, लेकिन इस बजट में ये उम्मीदें भी जाती रहीं। सरकार की माली हालत के चलते सुल्तानपुर लोधी में मैडीकल कॉलेज का मामला भी अब ठंडे बस्ते में दिखाई पड़ रहा है। 

swetha