येस बैंक की बढ़ी मुश्किलें, लोकपाल के पास पहुंचा मामला

punjabkesari.in Sunday, May 15, 2022 - 02:55 PM (IST)

अमृतसर (गुरिन्दर सागर): एन.आई.आर. डा. महालोवियां गंवा की 1.65 करोड़ रुपए की एफ.डी. येस बैंक की तरफ से रद्द करने का मामला भारतीय रिजर्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल के पास पहुंच गया है जिसके साथ यह बैंक की मुश्किलें और अधिक हो गई हैं। इससे पहले इस मामले पर अमृतसर की पुलिस येस बैंक को नोटिस निकाल कर जांच का हिस्सा बनने के लिए कह चुकी परन्तु बैंक की तरफ से अभी तक अपना पक्ष पेश करने से मुख्य दफ्तर की आड़ के नीचे आनाकानी की जा रही थी। अब मामला लोकपाल बैंकिंग के पास जाने पर जल्दी निपटारे की आशा जागी है। 

डा. महालोवियां गंवा ने येस बैंक की तरफ से उसकी 1.65 करोड़ रुपए की फिक्सड डिपॉजिट को गैर-कानूनी ढंग के साथ 25 फरवरी, 2022 को रद्द करने का गंभीर दोष लगाया है। बैंक की तरफ से दिए कारणों को सिरे से खारिज करते सबूतों समेत कहा है कि 21 मार्च, 2022 को माल रोड स्थित येस बैंक की बाद में रिपोर्ट की थी कि उनकी एफ.डी. खाते में से गायब है जिस पर बैंक की तरफ से उनको कोई तसल्लीबख्श जवाब देने की जगह उलझाना शुरू कर दिया गया, जो आज तक जारी है। डा गंवा ने बताया कि बैंक ने कहा कि 25 फरवरी, 2022 को ब्याज का भुगतान न करने करके उनकी एफ.डी. को बंद कर दिया गया है। जब 19 मार्च, 2022 को ईमेल के द्वारा दिए विवरणों में कहा गया कि 1 नवंबर 2021 का ब्याज 24 फरवरी 2022 तक भुगतान न किए जाने करके रद्द कर दी गई है। 

उन्होंने कहा कि 1 नवंबर 2021 तक का ब्याज 11 नवंबर 2021 को भुगतान कर दिया गया था। चिट्ठी पत्र के हवालों के साथ बताया उनको डिलीवर की गई चिट्ठी की कॉपी देने के लिए कहा परन्तु ब्रांच के आधिकारियों की तरफ से भरोसा देने के बावजूद उनको चिट्ठी नहीं दी गई। डा. गंवा ने बताया कि 21 मार्च, 2022 को येस बैंक के मुख्य दफ्तर को ईमेल के द्वारा शिकायत की जिसके जवाब में उनकी तरफ से अपनी, गलतियों पर पर्दे डालने की कोशिश की गई थी। शिकायत में उन्होंने बैंक की तरफ से दिए गुमराहकुन तथ्यों को चुनौती देते कहा कि बैंक की तरफ से जो पत्र 14 जनवरी, 2022 को प्रदान किए जाने का दावा किया था। वास्तव में वह 9 अप्रैल को प्राप्त हुआ जिसमें 30 जनवरी, 2022 तक ब्याज का बकाया क्लियर करने के लिए कहा था। इसके बाद कई ईमेलें भेजी परन्तु बैंक ने अपनी कार्यवाही को जायज ठहराने के लिए जवाब देना मुनासिब नहीं समझा।

डा. गंवा ने कहा बैंक ने 14 जनवरी, 2022 वाले चेतावनी पत्र के आधार पर अपना केस बनाया है जबकि यह पत्र 9 अप्रैल तक डिलीवर ही नहीं किया गया था। यह पत्र उन्होंने खुद ब्लू डारट दफ्तर से प्राप्त किया था। उन्होंने केस की पेचीदगी की तरफ ध्यान दिलाते कहा है कि वास्तव में एफ.डी. को खत्म करने के लगभग एक महीने बाद 19 मार्च, 2022 को सूचना देने और इसके डिलीवर किए जाने के झूठे दावे से दो महीने बाद एफ.डी. रद्द होने का पता लगा जो गैर-कानूनी है। उन्होंने बैंक के सभी दावों को झूठ का पुलंदा बताया कि 14 जनवरी, 2022 को उनको बैंक की तरफ से चिट्ठी डिलीवर की गई थी। 19 मार्च, 2022 के उस पत्र बीच के दावे गलत साबित होने पर अपने बयान बदल दिए कि दिसंबर 2021, जनवरी और फरवरी 2022 तीन महीनों का बैंक का ब्याज बकाया होने करके एफ.डी. बैंक ने खत्म कर दी जबकि ब्याज का भुगतान 11 दिन पहले किया जा चुका था। उन्होंने कहा उनकी मांग है कि उनकी एफ.डी. बहाल की जाए और आर.बी.आई. के नियमों अनुसार बैंक के गैर संवैधानिक रवैये विरुद्ध कानून अनुसार कार्यवाही की जाए। 

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

पंजाब की खबरें Instagram पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here

अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Urmila

Recommended News

Related News