पहले ही लिखी गई थी कैप्टन सिद्धू विवाद की स्क्रिप्ट!

punjabkesari.in Tuesday, Jun 08, 2021 - 04:21 PM (IST)

चंडीगढ़(हरिश्चंद्र): क्या मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू के विवाद की पूरी स्क्रिप्ट पहले से ही दिल्ली में लिखी जा चुकी थी जिसका महज रूपांतरण ही दिल्ली में मल्लिकार्जुन खडग़े की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय कमेटी के सामने किया गया था। इस विवाद का मुआयना करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इस स्क्रिप्ट की रिहर्सल पंजाब में हुई और फिर कमेटी के समक्ष पूरा एपिसोड एक तय कार्यक्रम की तरह दोहराया गया।

साल 2016 से पंजाब प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी को अचानक हटाकर जब हरीश रावत को बीते साल सितम्बर में पंजाब का जिम्मा सौंपा गया था तभी यह लगने लगा था कि राजनीतिक फ्रंट पर अमरेंद्र की मुश्किलें बढऩे वाली हैं। आशा कुमारी के साथ अमरेंद्र के पारिवारिक रिश्ते भी हैं, क्योंकि वह भी चम्बा की शाही रियासत से ताल्लुक रखने के अलावा कई बार विधायक रह चुकी हैं। इन दोनों की जुगलबंदी से प्रदेश संगठन में कई नेता खुद को हाशिए पर पाते थे। रावत ने पंजाब की जिम्मेदारी संभालते ही सबसे पहले नवजोत सिद्धू को लेकर बयान देने शुरू किए। इसे खड़े पानी में पत्थर मारना कहा जा सकता है क्योंकि तब तक सिद्धू शांत बैठे थे और इक्का-दुक्का मौकों पर सोशल मीडिया के जरिए अपने समर्थकों के रू-ब-रू होते थे। रावत ने पंजाब आते ही सिद्धू को राज्य में पार्टी का भविष्य तक बताना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं वह अमृतसर में सिद्धू के घर खाने पर भी पहुंचे। वहां दोनों में क्या बात हुई यह अब तक जाहिर नहीं हुआ है लेकिन इतना जरूर है कि सिद्धू सूबे की राजनीति में अचानक सक्रिय हो गए। उन्होंने 2 मर्तबा अमरेंद्र से उनके फार्म हाऊस पर मुलाकात भी की। वहां किस मुद्दे पर चर्चा हुई, यह भी फॉर्म हाऊस से बाहर नहीं निकला। इस दौरान रावत राज्यसभा सदस्य प्रताप बाजवा के घर भी लंच कर आए। कैप्टन विरोधियों के साथ उनकी मुलाकातों का सिलसिला ज्यों-ज्यों बढ़ा, इस लॉबी को हवा मिलने लगी। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र ने पंजाब प्रभारी बनने के बाद हरीश रावत को सरकारी हैलीकॉप्टर के जरिए उत्तराखंड से लाने और ले जाने का जिम्मा सुखजिंद्र रंधावा को सौंपा था। इसके बाद रंधावा उन्हें जालंधर और डेरा ब्यास आदि प्रमुख जगहों पर भी लेकर गए। रंधावा और रावत में शायद तभी नजदीकियां बढ़ीं और यह पटकथा और मजबूत हुई।

अचानक चुप्पी तोड़ी
आखिर सिद्धू ने अचानक बेअदबी और सिखों पर बादल सरकार में हुई गोलीकांड की घटनाओं पर चुप्पी तोड़ी। जब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट कैप्टन सरकार को बादलों को एस.आई.टी. के जरिए इन मामलों में फंसाने के लिए कटघरे में खड़ा कर रही थी तब सिद्धू हाईकोर्ट के उलट अपनी ही सरकार पर बादलों को बचाने के आरोप लगा रहे थे। इसमें उन्हें अप्रत्याशित समर्थन मिला कैबिनेट मंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा का। वही रंधावा जिनके साथ उनकी राहुल गांधी, कैप्टन अमरेंद्र सिंह समेत समूची लीडरशिप के सामने तू-तू मैं-मैं हो गई थी जब स्टेज संभाल रहे रंधावा ने पार्टी प्रभारी के कहने पर उन्हें अपना भाषण छोटा रखने की पर्ची थमाई थी। स्टेज पर सिद्धू की घुड़की से रंधावा समेत हर कोई हैरान रह गया था। अमरेंद्र के बेहद करीबी माने जाते रंधावा का ताजा माहौल में सिद्धू द्वारा उठाए मसलों पर मुहर लगाने से लगने लगा था कि यह राजनीतिक खिचड़ी पक चाहे पंजाब में रही हो लेकिन मास्टर शैफ कहीं और बैठा इसकी रैसिपी तैयार कर रहा था।

चौधरी के संपर्क करने से भी खड़े होते हैं कई सवाल
अब कमेटी के समक्ष विधायकों और सांसदों की पेशी के दौरान पार्टी के ही एक बड़े नेता और कभी पंजाब कांग्रेस के सह प्रभारी रहे उनके नजदीकी राजस्थान के हरीश चौधरी द्वारा विधायकों से संपर्क करने से भी न केवल कई सवाल खड़े होते हैं बल्कि इन अटकलों को बल मिलता है कि अमरेंद्र को कमजोर करने की योजना पार्टी में ही उ‘च स्तर पर बनाई गई थी। चूंकि इस उच्च स्तरीय कमेटी से पंजाब के नेताओं का जब मिलना शुरू हुआ था तब कमेटी से अलग आखिर बड़े नेता और हरीश चौधरी क्या घुट्टी इन नेताओं को पिला रहे थे। इसमें कोई दो राय नहीं कि कैप्टन अमरेंद्र पंजाब में कांग्रेस के एकछत्र नेता हैं, उनके खिलाफ पंजाब के नेता कुछ भी शिकायत करें लेकिन अगला चुनाव उनके नेतृत्व में ही लड़कर पार्टी जीत सकती है, इस बात से ये विरोधी भी इंकार नहीं कर सकते।

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Vatika