मशहूर भजन गायक नरेंद्र चंचल के घर ED ने मारा छापा

punjabkesari.in Tuesday, May 29, 2018 - 02:28 PM (IST)

अमृतसरः मशहूर भजन गायक नरेंद्र चंचल के घर प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छापामरी की। स्मरण रहे कि नवरात्र के दिनों में घर से लेकर मंदिर तक 'तूने मुझे बुलाया शेरावालिये.' भजन कानों में न पड़े, यह असंभव है। ये भजन नरेंद्र चंचल द्वारा ही गाया गया है। चंचल धार्मिक समारोह से जुड़े हुए सिंगर हैं।

नरेंद्र चंचल को मिली थी मां काली से झूठ बोलने की सजा

हुआ यूं कि घर के पास ही मां काली के मंदिर में उन्हें भेंट गाने के लिए किसी ने कहा। उसी दौरान उन्हें भजन रिकार्ड के लिए मुंबई जाना था। चंचल ने जानबूझकर कहा कि बीमार हूं और वह काली माता मंदिर में भजन गाने की बजाय भजन रिकार्ड करवाने मुंबई चले गए। मुंबई भजन रिकार्ड करते समय उनकी आवाज बंद हो गई। उन्हें समझ आ गया था की मां काली के मंदिर में उन्होंने भजन गाने से इनकार की सजा मां ने दी है। वो अमृतसर आए, मां काली मंदिर में जाकर माफी मांगी तो आवाज वापस आ गई।

बचपन में किस तरह चंचल हुआ करते थे, यह शायद आप पहली बार पढ़ रहे हैं। नरेंद्र चंचल बचपन में बहुत चंचल थे। दोस्तों के साथ दिनभर खेलना उन्हें बहुत भाता था। स्कूल जाने से थोड़ा घबराते थे। स्कूल जाने लगे तो उनके चंचल दिमाग ने बताया कि शरारतें करोगे तो स्कूल वाले वैसे ही निकाल देंगे, बस फिर क्या था शरारतें करनी शुरू कर दीं। चंचल और उनके दोस्त कूड़े में फेंकी सिगरेट की खाली डिब्बी उठाकर उसे 52 पत्तों की ताश बनाते और उसी से घंटों तक खेला करते थे।

चंचल ने माँ से सीखा भजन गाना 

समय के साथ चंचल का झुकाव गीतों के तुकबंदी के तरफ चला गया, खासकर मां कैलाशवती जब भी भजन गातीं तो चंचल उन्हें सुनते रहते। मां के साथ-साथ भजन गाना सिखाया। मां के सुर के साथ चंचल का सुर चलने लगा। मां कैलाशवती ने चंचल को मां वैष्णो देवी तक पहुंचाया। चंचल ने जब भजन गाना शुरू किया, उस समय कैसेट का जमाना नहीं था। रिकार्ड बजते थे।

चंचल का पहला भजन 'तेरे नाम दी जपा माला ओ शेरावालिये' म्यूजिक एलबम में रिलीज हुआ, जिसने सारे रिकार्ड तोड़ दिए। फिल्म आशा में गाए भजन ने चंचल की सारी आशाएं पूरी कर दीं।  चंचल कहते हैं कि मुझे मां कैलाश ने ही मां वैष्णो के पर्वत पर पहुंचाया। मैं जो कुछ हूं मां कैलाशवती और पिता चेतराम के वजह से। मैं धन्य हूं कि मैं गुरुनगरी से हूं। इस नगरी से सब कुछ मिला है। मैं अभी भी जब भी समय मिलता जाता हूं। बस हसरत यही है कि भजन गाते-गाते ही आखिरी सांस लूं।

Sonia Goswami