लंगर पर GST को लेकर संघ ने पंजाब सरकार को दी नसीहत

punjabkesari.in Thursday, Mar 15, 2018 - 06:06 AM (IST)

जालंधर (पाहवा): अमृतसर के श्री दरबार साहिब में लंगर के सामान की खरीद पर लगाए जा रहे जी.एस.टी. को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गेंद राज्य की कांग्रेस सरकार के ही पाले में डाल दी है। संघ के प्रांत संघचालक बृजभूषण सिंह बेदी ने कहा है कि राज्य सरकार भी जी.एस.टी. के तहत 50 प्रतिशत हिस्सा ले रही है जिसे उसे माफ कर देना चाहिए। केंद्र के हिस्से को माफ करने पर बेदी चुप रहे। 


संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा से लौटे श्री बेदी ने दावा किया कि संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किए गए कार्य समाज में आम जनमानस को दिखने लगे हैं जिसके परिणाम स्वरूप उनमें संघ के प्रति रुझान बढ़ा है। वर्ष 2017 में 1 लाख 26 हजार नवयुवक ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत संघ से जुड़े हैं। 


बेदी ने कहा कि पिछले वर्ष 36729 स्थानों पर 57165 शाखाएं लगती थीं जोकि इस वर्ष बढ़कर 37190 स्थानों पर 58967 शाखाएं हो गई हैं। इसके अलावा 24381 स्थानों पर सप्ताह में एक दिन या महीने में एक दिन स्वयंसेवकों का आपस में मिलना होता है। ऐसे स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण की भी वर्षभर योजना रहती है। इस वर्ष 95318 स्वयंसेवकों ने 7 दिन से लेकर 20 दिनों तक का संघ कार्य का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

 

प्रांत संघचालक ने बताया कि संघ के कार्यकत्र्ता सामाजिक जागरण के काम में लगे हैं। गौ सेवा के माध्यम से गाय के महत्व तथा पंचगव्य के प्रयोग से होने वाले लाभों की जानकारी जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। इस संदर्भ में इस वर्ष एक अप्रैल से 15 अप्रैल तक देशभर में एक बड़ा कार्यक्रम होने वाला है। उन्होंने कहा कि जैविक खेती को पहल दी जानी जरूरी है क्योंकि फसलों पर कीटनाशकों के छिड़काव का पक्षियों पर तो असर हो ही रहा है बल्कि आम इंसानों में भी रोगों की भरमार हो रही है सामाजिक समरसता के माध्यम से समाज के हर व्यक्ति के मन में अपनत्व की भावना हो तथा आपस में भाईचारा हो इसके लिए गांव में सबके लिए एक कुआं, एक पूजा घर तथा एक श्मशानघाट की व्यवस्था को समाज स्वीकार कर रहा है।   बेदी ने कहा कि परिवार प्रबोधन के माध्यम से परिवारों को एक रखने का प्रयास हो रहा है। खंडित परिवार समाज के लिए अभिशाप हैं। संयुक्त परिवार ही आदर्श परिवार हैं अत: इसके लिए नियमित प्रयास हो रहे हैं।


लुप्त हो रही भाषाओं पर चिंता
मीडिया से बात करते श्री बेदी ने कहा कि भाषाएं हमारी संस्कृति का मूल आधार हैं। अगर अपनी भाषाएं ही सुरक्षित नहीं रहीं तो अपनी संस्कृति भी सुरक्षित नहीं रहेगी। अत: जरूरी है कि हम दैनिक क्रियाकलापों में मातृभाषा का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि कई भाषाएं गायब हो रही हैं, कारण है कि हम लोग अपनी मातृभाषा की बजाय अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषाओं की तरफ जा रहे हैं। 
 

Punjab Kesari