सीमांत मैदानी इलाकों में है ज्यादा ड्रोन एक्टिविटी

punjabkesari.in Tuesday, Jan 14, 2020 - 09:29 AM (IST)

चंडीगढ़(रमनजीत सिंह): बड़े मैदान, फसलों वाले खेत, दरिया के किनारे बने छोटे-छोटे टापू, ऊंची-ऊंची झाडियां, ड्रोन्स का चलने पर भी बहुत कम शोर, जी.पी.एस. तकनीक और मोबाइल फोन्स पर ओ.टी.टी. यानी ओवर द टॉप मैसेजिंग एप्स, नशा और हथियारों की तस्करी में लगे पुराने लोगों के संपर्क। रात के अंधेरे में बिना लाइट्स के जी.पी.एस. की मदद से आसानी से ऑप्रेट होने वाले ड्रोन्स। पंजाब में पाकिस्तान की तरफ से हथियार और नशा तस्करी करने के लिए यह सबकुछ मददगार साबित हो रहा है। 

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ज्यादातर ड्रोन्स की एक्टिविटी अमृतसर देहात, तरनतारन और फिरोजपुर जिलों के इलाकों में देखने को मिली है। ये वही इलाके हैं जो पंजाब में आतंकवाद के दौर में भी सीमापार आवाजाही व हथियारों की तस्करी के लिए सक्रिय रहे थे। भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन्स की एक्टिविटी का पता लगने के बाद से ही पंजाब पुलिस भी पूरी तरह से चौकन्नी है। ड्रोन्स की मदद से पुराने आतंकी संगठन हथियारों की सप्लाई में लिप्त पाए गए हैं। अब ताजा मामले में नशा तस्करी के लिए भी इस जरिए का इस्तेमाल होने से नई चुनौती सामने आई है। 

ड्रोन्स के इस्तेमाल पर पंजाब ने ही दिलाया देश का ध्यान, बने नए नियम
पंजाब पुलिस द्वारा देश विरोधी ताकतों द्वारा हथियारों की सप्लाई के लिए ड्रोन्स का प्रयोग करने का मामला पकड़े जाने के बाद केंद्र सरकार को सूचित किया गया। तब तलक किसी भी विभाग को नहीं पता था कि ड्रोन्स की इस एक्टिविटी को कैसे रोका जाए या फिर ड्रोन देखे जाने पर क्या किया जाए। इसके बाद कई बैठकों का दौर चला। केंद्र सरकार ने ड्रोन्स के लिए स्टैंडर्ड ऑप्रेटिंग प्रोसीजर तैयार कर सभी राज्यों को भेजा। इसके जरिए बताया गया कि ड्रोन्स और ऐसी ही अन्य उड़ान भरने वाली चीजों को देखे जाने के बाद लोकल पुलिस को क्या-क्या कदम उठाने हैं तथा ड्रोन्स की संदिग्ध गतिविधि को रोकने के लिए क्या एक्शन लिया जाए।

वी.आई.पी. की सुरक्षा भी खतरे में
छोटे ड्रोन्स का इस्तेमाल हथियारों और नशों की तस्करी के लिए किए जाने का पता चलने के बाद बने एस.ओ.पी. में यह भी कहा गया कि बड़े ड्रोन्स में मॉडीफिकेशन के बाद वी.आई.पीज को विस्फोटक गिराकर या अन्य तरीके से भी किया जा सकता है। इसलिए इस खतरे को ध्यान में रखते हुए ड्रोन्स की एक्टिविटी को तत्काल पकड़ में लाने और उन्हें तुरंत मार गिराने के लिए तकनीक डिवैल्प की जा रही है। इसके बारे में पंजाब पुलिस के डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता ने भी कहा है कि विदेशों से मंगवाने के बजाय एंटी ड्रोन टैक्नोलॉजी को देश के ही माहिरों से तैयार कराया जा रहा है। 

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ऑनलाइन पोर्टल कर रहे हैं अपराधियों की मदद
ड्रोन्स को हासिल करने के लिए अपराधियों द्वारा ऑनलाइन मोड का इस्तेमाल किया जा रहा है जहां मनचाहे आकार और क्षमता के ड्रोन्स, उनके कलपूर्जे व अन्य सामान आसानी से घर बैठे मंगवाया जा सकता है। यही नहीं, विदेशों से ड्रोन्स मंगवाकर सुरक्षा एजैंसियों के निशाने पर आने से बचने के लिए अपराधियों द्वारा पुराने सामान की खरीद-फरोख्त करवाने वाली वैबसाइट्स का भी खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। पुराने ड्रोन्स को खरीदकर जरूरत मुताबिक मॉडीफाई कर तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। हाल ही में पकड़े गए मामले में डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता ने खुलासा किया कि नशा तस्करों के साथी भारतीय सेना के नायक राहुल चौहान ने ओ.एल.एक्स. से काले रंग का आंशिक तौर पर खराब ड्रोन ‘इंसपायर 02’ 1.50 लाख में खरीदा था। उसने बाद में 2.75 लाख में ओ.एल.एक्स पर ही बेच दिया। इसके बाद पुणे से नया ड्रोन ‘डी.जे.आई.  इंसपायर 02’ तकरीबन 3.20 लाख में खरीदा और अमृतसर के नशा तस्करों को 5.70 लाख में बेच दिया। एक और ड्रोन ‘डी.जे.आई. मैट्रिस 600’ 5.35 लाख में खरीदा और करनाल में छिपाकर रखा था, लेकिन अपराधियों तक पहुंचने से पहले ही पुलिस ने यह बरामद कर लिया।

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खतरे और निपटने के लिए तैयारी के सुझाव
पंजाब पुलिस के इंटैलीजैंस विंग ने फोर्स को ड्रोन्स तथा अन्य उडऩे वाली चीजों से खतरे और उनसे निपटने के लिए तैयारी के सुझाव दिए। एस.ओ.पी. में सिर्फ ड्रोन ही नहीं बल्कि पैरा ग्लाइडर, पैरा-मोटर और अन्य उड़ सकने वाले ऑब्जैक्ट्स से भी खतरा बताया गया है। कहा गया है कि ड्रोन या अन्य ऑब्जैक्ट दिखाई देने पर संबंधित पुलिस कंट्रोल रूम और इंडियन एयरफोर्स के कंट्रोल रूम को सूचित किया जाना जरूरी है। इससे ड्रोन्स, ग्लाइड्र्स वगैरह की सही स्थिति व अन्य जानकारी हासिल होने का रास्ता खुलेगा। इसके बाद ही तय किया जाएगा कि ड्रोन के साथ क्या करना है। ड्रोन दिखते ही महत्वपूर्ण इमारतों के आसपास सुरक्षा घेरा मजबूत करने व ऊंची इमारतों पर ट्रेंड पुलिस मुलाजिमों और शार्प शूटरों की तैनाती की जिम्मेदारी संबंधित थाने की तय की गई है। साथ ही फायरिंग और अन्य तकनीकों की जानकारी देने के लिए भी थाना स्तर पर मुलाजिमों की सूचियां बनाई जा रही हैं।

अब तक यह हुआ बरामद
भारत-पाक सरहद पर ड्रोन गतिविधियों का पता गत वर्ष अगस्त माह के दौरान लगा था। पंजाब पुलिस ने अगस्त और सितंबर, 2019 में दो ड्रोन बरामद किए थे। इनमें से एक सही हालत में था, जबकि दूसरे को आरोपियों ने जलाने का प्रयास किया था। उसके कुछेक अवशेष ही बरामद हुए थे। पहले हैक्साकॉप्टर को पुलिस ने 13 अगस्त, 2019 को अमृतसर ग्रामीण पुलिस जिले में पुलिस स्टेशन घरिंडा के अधीन भारत-पाकिस्तान सीमा से सिर्फ डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित गांव मोहावा के इलाके से बरामद किया था। यह बरामदगी किसी व्यक्ति के फोन पर सूचना दिए जाने के बाद की गई थी। बताया गया था कि मोहावा गांव के एक खेत में एक पंखे जैसी चीज मिली है।

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कई किलो भार उठाने की क्षमता
जांच के बाद सामने आया था कि बरामद ड्रोन चीन में टी-मोटर्स कंपनी द्वारा निर्मित ‘यू10केवी100-यू’ मॉडल का पावरफुल 6 मोटरों वाला हैक्साकॉप्टर था, जो 4 बैटरियों के दम पर 20 किलोग्राम वजन उठाकर 5-6 किलोमीटर तक की उड़ान भरने में सक्षम था। बाद में उक्त हैक्साकॉप्टर का प्रयोग करने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी होने पर पूछताछ में पता चला था कि उनके द्वारा करीबन 25 किलोग्राम का वजन लादा गया था। इस वजह से उक्त ड्रोन क्रैश लैंड होकर खराब हो गया था। आरोपियों की ही निशानदेही पर अन्य ड्रोन भी बरामद किया गया था। इसके खराब होने पर आरोपियों ने उसे छुपाए रखने के मकसद से जलाकर नष्ट करने का प्रयास किया था। उसके स्टील के ढांचे को दरिया में फैंक दिया था जिसे बाद में गोताखोरों की मदद से पुलिस ने बरामद किया। यह ड्रोन भी 9एमएम के पिस्तौलों की डिलीवरी देने के बाद पाकिस्तान वापस जाते वक्त खराब होकर कुछ ही दूरी पर गिर गया था। पुलिस से बचने के लिए ही पाकिस्तानी हैंडलरों के कहने पर आरोपियों ने जलाकर नष्ट करने का प्रयास किया गया था। 

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नशा तस्करी के लिए भी प्रयोग
इसके अलावा उक्त ड्रोन्स को ऑप्रेट करने वालों से एके-47, 9 एमएम पिस्टल, हैंड ग्रेनेड, सैटेलाइट फोन, वायरलैस सैट और संचार के अन्य उपकरण मिले थे। वहीं, गत सप्ताह पकड़ में आया ताजा मामला भी चौंकाने वाला था। बरामद दो ड्रोन्स का प्रयोग नशा तस्करों ने किया था। बरामद ड्रोन्स वर्किंग कंडीशन में थे और खास मॉडीफिकेशंस भी की गई थी। खास बात यह रही कि गिरोह ने ‘स्मूथ फंकशनिंग’ के लिए मीडियम रेंज वॉकी-टॉकी वायरलैस सैट भी पाकिस्तान भेजने की तैयारी कर ली थी ताकि कम्यूनिकेशन के लिए मोबाइल फोन्स का ‘रिस्क’ न लेना पड़े। एक डी.जे.आई. इंसपायर-2 ड्रोन (कुआडकॉप्टर) था जिसे गांव मोधे, थाना घरिंडा पुलिस जिला अमृतसर (ग्रामीण) की सरकारी डिस्पैंसरी की इमारत से बरामद किया गया। यहां पर ‘रात के वक्त’ प्रयोग करने के लिए छिपाकर रखा था। जबकि दूसरा डीजेआई मैट्रिस 600 पी.आर.ओ. (हैक्साकॉप्टर) करन विहार, सैक्टर-6, करनाल (हरियाणा) से बरामद किया गया था। 

  • ड्रोन्स की एक्टिविटी से पंजाब पुलिस भी पूरी तरह से चौकन्नी
  • रावी दरिया के किनारे छोटे-छोटे टापू और छिपने के लिए झाडियां बन रही मददगार
  • ज्यादातर एक्टिविटी अमृतसर देहात, तरनतारन और फिरोजपुर जिलों के इलाकों में देखने को मिली
  • अब तक पंजाब पुलिस के हाथ लग चुके हैं चार ड्रोन

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