CBSE और प्रशासन के आदेशों के बीच फंसे Private School,10वीं के रिजल्ट में हो सकती है देरी

punjabkesari.in Friday, May 07, 2021 - 11:33 AM (IST)

लुधियाना(विक्की) : शिक्षा विभाग और उसके अधिकारी अपने अजीबोगरीब कामों को लेकर  आए दिन सुर्खियां बटोरते रहते हैं। ऐसा ही एक और मामला आज सामने आया है जब जिला शिक्षा अधिकारी (सेकेंडरी ) द्वारा  कोविड-19 के संबंध में विशेष दिशा निर्देश जारी करते हुए विभागीय टीमों को निजी स्कूलों की चेकिंग करने के आदेश दिए गए ।

डीईओ द्वारा सभी नोडल अधिकारियों को जारी एक पत्र में कहा गया है कि सभी नोडल अधिकारी निजी स्कूलों की चेकिंग करने के उपरांत 2 दिनों के अंदर-अंदर अपनी रिपोर्ट सबमिट करवाएंगे। नोडल अधिकारी अपनी  चेकिंग रिपोर्ट में यह जरूर लिखेंगे कि स्कूल में टीचिंग स्टाफ उपस्थित था अथवा नहीं क्योंकि जिला प्रशासन के वर्तमान आदेशों के अनुसार प्राइवेट स्कूलों को मुकम्मल तौर पर टीचिंग स्टाफ और विद्यार्थियों के लिए बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। डीईओ के इन आदेशों से सीबीएसई स्कूलों के आगे नई मुसीबत खड़ी हो गई है। क्योंकि सीबीएसई ने भी 10वीं कक्षा की मार्किंग स्कीम जारी करते हुये स्कूलों को रिजल्ट मई महीने में तैयार करने के आदेश दिए हैं। अब  स्कूल संचालकों का कहना है कि अगर वह सीबीएसई को तय समय पर रिजल्ट नहीं भेजते तो उनको भारी जुर्माना लग सकता है और अगर शिक्षा विभाग के आदेशों को लागू करते हैं तो स्टाफ न आने के कारण  उनका रिजल्ट  लेट हो सकता है। जिसके चलते उनके समक्ष आगे कुआं पीछे खाई जैसे हालात पैदा हो गए हैं।

 बता दें कि सीबीएसई ने 10वीं की मार्किंग स्कीम जारी करते हुए अध्यापकों की एक कमेटी बनाई है जिसमें प्रिंसिपल सहित 7 अन्य अध्यापकों को संयुक्त रूप से सभी विषयों का रिजल्ट तैयार करना होगा। उक्त 7 अध्यापकों में 2 अध्यापक पड़ोसी स्कूल से भी आएंगे। संचालकों के अनुसार विद्यार्थियों के मई से लेकर लिए गए क्लास टेस्ट, मिड टर्म / प्रे बोर्ड एग्जाम, अन्य  टेस्ट के साथ-साथ अन्य एक्टिविटीज के आधार पर असेसमेंट करते हुए उनका रिजल्ट तैयार किया जाना है। ऐसे में अगर स्कूल स्टाफ ही स्कूल नहीं आएगा तो वह कैसे विद्यार्थियों का रिजल्ट तैयार कर पाएंगे। इतना ही नहीं सीबीएसई ने 20 से 25 मई तक विद्यार्थियों के मार्क्स पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। अगर उन्होंने इस काम में देरी की तो उन्हें भारी जुर्माने की चेतावनी भी दी गई है। अब स्कूलों ने इस संबंधी प्रशासन से बातचीत करने की तैयारी भी शुरू कर ली है। 


सरकारी स्कूलों की तर्ज पर निजी स्कूलों को भी मिले 50% स्टाफ बुलाने की अनुमति
विभिन्न स्कूल संचालकों ने कहा कि सीबीएसई द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार 25 मई तक किसी भी हालत में उन्हें 10वीं कक्षा के परिणाम अपलोड करने हैं। इसके लिए उन्हें स्टाफ की जरूरत है। घर बैठे यह तैयार करना और उसे सीबीएसई पोर्टल पर अपलोड करना संभव नहीं है। पहले स्कूल द्वारा  मई 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक का सारा डाटा इकट्ठा किया जाना है, उसके उपरांत  उसी डाटा के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाना है। स्कूल द्वारा कुछ टेस्ट ऑनलाइन लिए गए हैं और कुछ क्लास में लिए गए हैं। ऐसे में घर बैठकर सारा डाटा इकट्ठा करना और उसके आधार पर रिजल्ट तैयार करना संभव नहीं है। स्कूल संचालकों ने प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि सीबीएसई के दिशा निर्देशों को देखते हुए उन्हें भी सरकारी स्कूलों की तरह 50% स्टाफ को स्कूल बुलाने की अनुमति दी जाए ताकि रिजल्ट का काम समय पर पूरा किया जा सके

सरकारी स्कूलों के मुकाबले निजी स्कूल में पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर
स्कूल संचालकों ने बताया कि जहां सरकारी स्कूलों को 50% स्टाफ बुलाने की अनुमति दी गई है वहीं  अधिकांश सरकारी स्कूलों में कोविड-19 के संबंध में जरूरी प्रबंध नदारद हैं।  किसी भी स्कूल में रोजाना सैनिटाइजेशन नहीं किया जा रहा, जबकि अधिकांश निजी स्कूलों में स्कूल बंद होने के चलते भी पूरे स्कूल को रेगुलर तौर पर सैनिटाइज किया जा रहा है। अध्यापकों तथा अन्य कर्मचारियों के स्कूल आने पर उनकी  थर्मल स्क्रीनिंग करने और हैंड सैनिटाइजर करवाने के बाद ही स्कूल में दाखिल होने की अनुमति दी जाती है । अधिकतर निजी स्कूलों के स्टाफ का टीकाकरण हो चुका है। जिन का टिकट नहीं हुआ है  उन्हें कुछ दिनों के अंतराल पर अपनी  नेगेटिव आरटी-पीसीआर रिपोर्ट स्कूल में सबमिट करवाने के लिए कहा गया है। जबकि सरकारी स्कूलों में ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा  है और फिर भी उन पर ऐसे प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं जोकि सरासर पक्षपात है।

एक तरफा फैसला लेते हैं अधिकारी
 स्कूल संचालकों ने कहा कि सीबीएसई की गाइडलाइंस को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन करना असंभव है। अगर जिला शिक्षा अधिकारी के आदेशों का पालन किया जाता है तो सीबीएसई की गाइडलाइंस को कैसे माना जा सकता है? उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह केवल एक तरफा फैसला लेते हैं। उन्हें निजी स्कूलों का पक्ष भी जानना चाहिए और उन्हें आ रही परेशानियों  को ध्यान में रखते हुए ही कोई फैसला लेना चाहिए। लेकिन अधिकारी कभी भी ऐसा नहीं करते और अपने हिसाब से एक तरफा फैसला लेते हैं जिसके चलते उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

कैसे होंगे नई दाखिले?
 स्कूल संचालकों ने अपना रोष व्यक्त करते हुए कहा कि जहां सरकारी स्कूलों द्वारा उनके बच्चों को ऑनलाइन ‘फेच’ किया जा रहा है वही जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा नए सेशन के चल रहे दाखिले के दौरान ऐसे किया जाना सरासर पक्षपात है। उन्होंने कहा कि उन्हें कोई सरकारी आर्थिक मदद नहीं मिलती  और अगर स्कूल में दाखिले ही नहीं होंगे तो वह कैसे स्कूल को चला पाएंगे और स्टाफ को कैसे वेतन दे पाएंगे? अगर स्कूल बंद होंगे तो नए दाखिले कैसे होंगे यह तो शिक्षा विभाग के अधिकारी ही अच्छी तरह बता सकते हैं।

 

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Vatika