पेड़ों के नीचे पढऩे को मजबूर हैं ये छात्राएं, पंजाब सरकार बेखबर

punjabkesari.in Monday, May 14, 2018 - 07:12 AM (IST)

अमृतसर (दलजीत): देश को आजाद हुए 7 दशकों से अधिक का समय हो गया है परन्तु अफसोस की बात यह है कि अभी भी पंजाब के कुछ सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली जंजीरों में जकड़ी हुई है। समय-समय दौरान सत्ता में आईं सरकारों की लापरवाही के कारण पटरी से उतरी राज्य की शिक्षा प्रणाली आज तक लाइन पर नहीं आ सकी है। जिला अमृतसर के कस्बा कत्थूनंगल के सरकारी एलीमैंट्री स्कूल (लड़कियां) में प्राथमिक सुविधाओं की कमी कारण ‘बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ’ मिशन को जहां ग्रहण लग रहा है, वहीं शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की लापरवाही व उदासीनता के कारण आधुनिक युग में अभी भी 82 लड़कियां 40 डिग्री तापमान में चलने वाली गर्म हवाओं में पेड़ों के नीचे छाया तले पढऩे को मजबूर हैं।जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा लड़कियों की सुविधा के लिए हलका मजीठा के कस्बा कत्थूनंगल में सरकारी एलीमैंट्री स्कूल पिछले करीब 20 वर्ष पहले खोला गया था।

विभाग द्वारा स्कूल खोलते समय लड़कियों की शिक्षा को मद्देनजर रखते अहम सुविधाएं स्कूल में देने के दावे किए गए थे। स्कूल में काफी पुराने बने कमरों की हालत बेहद खस्ता होने के कारण पिछले कुछ वर्षों से कमरों को गिरा दिया गया था। पंजाब केसरी की टीम द्वारा जब स्कूल का दौरा किया गया तो 40 डिग्री तापमान में चलने वाली गर्म हवाओं में वृक्षों तले स्कूल की छात्राएं पढऩे को मजबूर दिखाई दीं। मौजूदा समय दौरान स्कूल में पहली से 5वीं कक्षा तक करीब 82 लड़कियां शिक्षा हासिल कर रही हैं। स्कूल में एक ही कमरा है, जिसमें पहली कक्षा की लड़कियां पढ़ती हैं, जबकि दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवीं कक्षा की छात्राओं के पढऩे के लिए कोई भी कमरा नहीं है। स्कूल की दयनीय हालत देख कर सरकारोंं द्वारा किए जाने वाले शिक्षा सुधार के वायदे हवा होते दिखाई देते हैं। इस संबंधी जब हलका मजीठा से विधायक बिक्रम सिंह मजीठिया के साथ संपर्क करना चाहा तो उनका मोबाइल बंद आता रहा। 

सैंपल फेल होने के बावजूद दूषित पानी पी रही लड़कियां 
स्कूल में लगी पानी की टैंकी के सैंपल फेल आए हैं परन्तु छात्राओं के लिए पीने योग्य पानी नाम होने के कारण छात्राएं दूषित पानी ही पी रही हैं। स्कूल द्वारा पानी की टूटियों पर स्पष्ट लिखा गया है कि यह पानी पीने योग्य नहीं है परन्तु अति की गर्मी में बच्चे अपनी प्यास बुझाने के लिए दूषित पानी पीकर बीमारियों को न्योता दे रहे हैं।  

गर्मियों में अक्सर स्कूली छात्राएं हो जातीं हैं बीमार
अधिक गर्मी में छात्राएं वृक्षों की छाया तले शिक्षा ले रही हैं। गर्मियों में अक्सर ही ज्यादा छात्राएं बीमार हो जातीं हैं। बरसातों में तो ऐसे हलात होते हैं कि एक कमरें में 82 छात्राएं इकट्ठा करके पढ़ाई क्या करवानी समय ही व्यतीत किया जाता है। स्कूल में पंखों की कमी होने के कारण छात्राएं गर्मी में बैठने को मजबूर हैं। 

कोई नेता भी नहीं आया आगे
स्कूल के निराशाजनक हलातों संबंधी समय समय दौरान सत्ता में आईं सरकारों के नेताओं को भी पता है और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी पत्र व्यवहार हुए हैं, परन्तु अफसोस की बात है कि न तो कोई नेता और न ही कोई अधिकारी स्कूल में कमरे बनाने के लिए या छात्राओं की अलग-अलग सुविधाओं के लिए आगे नहीं आया है। पत्र व्यवहार होने के बावजूद विभाग ने भी कोई भी ग्रांट जारी नहीं की है। 

Anjna