चन्नी सरकार का अर्थी फूंक जताया रोष, NRHM सेहत कर्मचारियों ने दी यह चेतावनी

punjabkesari.in Wednesday, Nov 24, 2021 - 07:38 PM (IST)

संगरूर (विजय कुमार सिंगला): एन.एच.एम. सेहत कर्मचारियों ने कलम छोड़ हड़ताल के 9वें दिन पंजाब सरकार के ‘झूठे बहानों के कच्चे घड़े’ को तोड़ते हुए चन्नी सरकार की अर्थी फूंकी। कर्मचारी नेता डा. वाहद मुहम्मद ने रैली को संबोधन करते कहा कि मुख्यमंत्री चन्नी की तरफ से 11 नवंबर को विधानसभा में नया एक्ट पास करते हुए 36000 कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का ऐलान किया था परन्तु बड़े दुख की बात है कि 13 दिन बीतने पर भी एक्ट विभागों को नहीं भेजा गया। कर्मचारी जब भी विभागीय आधिकारियों को मिलते हैं, उच्च आधिकारी की तरफ से कहा जाता है कि यदि उनके पास सरकार का नोटिफिकेशन आएगा तो ही कार्यवाही आरंभ की जाएगी।

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जुलफकार अली खान ने कहा कि सरकार की नीयत में खोट है, जिस कारण आज रोष के तौर पर चन्नी सरकार की अर्थी फूकनी पड़ी। सी.एच.ओ. अमनप्रीत कौर ने संबोधन करते कहा कि एन.एच.एम. के कच्चे कर्मचारियों को रेगुलर करने का कांग्रेस पार्टी की तरफ से 2017 मतदान दौरान वायदा किया था परन्तु साढ़े चार वर्ष मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बातों में बिता दिए। चन्नी के मुख्यमंत्री बनने पर उनकी तरफ से पहले दिन ही कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का बयान जारी किया था। कार्यवाही करते 9 नवंबर को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तरफ से 36000 हजार कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का ऐलान करके विधानसभा में बिल पास किया।

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बिल पास होने के 13 दिन बीतने के बावजूद एक्ट नोटिफाई करके विभागों को नहीं भेजा गया, जिससे कांग्रेस सरकार की बदनीयती साफ नजर आ रही है। जिला नेता हरप्रीत सिंह ने कहा कि कच्चे कर्मचारियों के साथ दूसरी बार विधानसभा में धोखा हुआ है। चन्नी सरकार वायदों से मुकर गई है। कर्मचारी नेता असलम अली की तरफ से सरकार को चेतावनी दी गई कि अगर आज के इस संघर्ष प्रोग्राम से भी सरकार ने कोई सबक लेने का यत्न न किया तो कांग्रेस पार्टी के प्रोग्रामों का तीखा विरोध किया जाएगा। पंचायत में घेर कर सवाल किए जाएंगे, सवालों का जवाब देने के लिए मजबूर किया जाएगा।

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कर्मचारी नेता हरजिन्दर सिंह ने भारी इकट्ठ को संबोधित करते हुए कहा कि लंबे समय से उनकी सरकार से मांग रही है कि जब सेहत की सेवा के बुनियादी अदारों की समाज को स्थायी जरूरत है तो रोजगार ठेके पर क्यों है? परन्तु सरकार लगातार उनके संघर्ष के बावजूद हमारी बात सुनने के लिए तैयार नहीं। इस कारण मजबूरीवश सरकार के कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए और रेगुलर भर्ती को लेकर अपने कानूनी अधिकारों की प्राप्ति के लिए उन्हें संघर्ष के रास्ते पर चलना पड़ा है। इस मौके सी.एच.ओ. डा. जतिन्दरपाल सिंह, डा. शाहद, सवरनजीत कौर, डा. शहनाज़, डा. रजनीश गर्ग आदि उपस्थित थे। 

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News Editor

Urmila

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