HeadPhone लगा कर बात करने और गाने सुनने वाले हो जाएं Alert, चिंता में डाल देगी ये खबर
punjabkesari.in Wednesday, Apr 10, 2024 - 11:51 AM (IST)
चंडीगढ़: अगर आप भी हैडफोन लगा घंटों बात करते और गाने सुनते हैं तो ये खबर आपके लिए खास है। दरअसल, टैक्नोलॉजी हमें सहूलियत तो देती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कई बीमारियां भी दे रहा है। इसी वजह से पी.जी. आई. ई.एन.टी. विभाग में इन दिनों ऐसे मरीजों की संख्या काफी बढ़ रही है, जिन्हें सुनाई देने में काफी परेशानी हो रही। इसका बड़ा कारण मोबाइल पर लीड लगाकर हैडफोन का इस्तेमाल करना है। ई.एन.टी. विभाग से डॉ. संजय मुंजाल कहते हैं कि कोविड के बाद से ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। कुछ साल पहले तक महीने में दो या तीन केस आते थे, लेकिन अब रोजाना दो-तीन केस हियरिंग डिसऑर्डर को लेकर आ रहे हैं। अभी तक सुनाई न देने में होने वाली परेशानी को उम्र के साथ जोड़कर देखा जाता था, जो कि अब नहीं है। मोबाइल फोन बड़ी वजह बन रहा है, खास कर लीड लगाकर घंटों बात करना और गाने सुनना बड़ी वजह है। डॉक्टर मुंजाल की मानें तो शुरूआती दौर में मरीज उनके पास आ जाए तो जीवन शैली में बदलाव कर ठीक किया जा सकता है। मरीज थोड़ी ही देरी से आए तो सुनने की पूरी क्षमता तक जा सकती है। ऐसे में हियरिंग एड की मदद दी जाती है।
ज्यादा देर तक हैडफोन का प्रयोग खतरनाक
उम्र के साथ कानों में दिक्क्त सामान्य है लेकिन ओ.पी.डी. में आ रहे मरीज 15 से 30 साल के हैं। देखा जा रहा हैकि इस उम्र में हैड फोन का प्रयोग ज्यादा रहता है। डॉक्टर मुंजाल के मुताबिक कई घंटों तक हैडफोन लगा बात करने में थोड़ी मुश्किल हो जाती है। लोगों को लगता है कि लीड से आराम मिलता है असल में ज्यादा प्रयोग सेनुकसान हो रहा है। कान सीमित आवाज को ही सुन सकते हैं। कभी-कभी सुनने में उन्हें कोई नुक्सान नहीं होता, लेकिन जैसे ही आप कानों से फोन यह लीड हटाते हैं, उसमें मौजूद टिशू ठीक करने के काम में लग जाते हैं, उनका यही काम है। रोजाना और लंबे समय तक हैडफोन लगाकर गाने सुनना या बात करना खतरनाक है।
डेसीबल बढ़ते ही कम हो जाना चाहिए प्रयोग
कान सिर्फ 85 डेसीबल (डी.बी.) तक की क्षमता की आवाजें सुनाई देने के लिए बने हैं जबकि इयरफोन या हैडफोन पर आवाज इससे ज्यादा होती है। 85 डी.बी. अगर आप 8 घंटे तक सुन रहे हैं, वह ठीक है। डेसीबल बढ़ता है तो उसके साथ ही इस्तेमाल भी कम होना चाहिए, जैसे 90 डी.बी. चार घंटे, 95 डी.बी. 2 घंटे और 100 डी.बी. एक घंटे से ऊपर नहीं होना चाहिए।
पहला व अहम लक्षण घंटी जैसी आवाज
डॉ मुंजाल का कहना है कि मौजूदा समय में टैक्नोलॉजी से दूर नहीं रहा जा सकता है। यह जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल नुकसान पहुंचाता है। पहले फोन या लीड, हैडफोन्स नहीं थे तो ऐसे मरीज भी नहीं थे। अब मौजूदा पीढ़ी के पास छोटी उम्र से ही यह चीजें हैं। ऐसे में नुकसान जल्दी होना शुरू हो जाता है। ऐसे मरीज शुरूआती लक्षण अन देखा करते हैं। सबसे पहले मरीज को कानों में घंटी जैसी आवाज आने लगती है जो सबसे पहला और अहम है। दो लोगों के साथ बात करते हुए आपको ज्यादा फर्क महसूस नहीं होता, लेकिन समूह में बात करते हुए आपको कुछ बातें सुनाई नहीं देती। कई लोग क्या करते है सबको आवाज सही लग रही आप किसी भी चीज की आवाज तेज कर देंगे। यह सब कानों में होने वाली परेशानी के लक्षण है, जिसे अनदेखा न करें।