पंजाब में कपास की खेती करने वाले हजारों किसान तबाह, जानें क्यों

punjabkesari.in Saturday, Aug 20, 2022 - 09:23 AM (IST)

चंडीगढ़ (नरेंद्र मोहन): पंजाब में कपास की खेती करने वाले कई किसान इन दिनों संकट के दौर से गुजर रहे हैं। यह संकट गलत बीज इस्तेमाल करने के कारण पैदा हुआ है। पंजाब में मालवा के कई जिलों में कपास की खेती करने वाले किसानों के खेत खाली हैं। फसल के तैयार होने से पहले ही गुलाबी सुंडी का हमला हो गया है।

इस हमले की चपेट में पंजाब का कोई बीज नहीं आया है बल्कि जिन किसानों ने गुजरात की कंपनी से बी.जी.-4 बीज खरीदा था, उन किसानों को इस दिक्कत का सामना करना पड़ा है। इस बीज ने न केवल कॉटन लीफ कर्ल वायरस को बढ़ा दिया है बल्कि इससे किसानों को भारी नुक्सान भी हुआ है। मानसा जिला के गांव खेड़ी चहलां वाली निवासी जगदेव सिंह के अनुसार गुजरात की कंपनी का बीज ऊंचे दाम पर यह कह कर बेचा गया कि यह बीज कपास की फसलों को गुलाबी सुंडी से बचाएगा। प्रतिष्ठित ब्रांडों के 800 रुपए के औसत प्रति पैक बी.टी. कपास के बीज के मुकाबले गुजरात प्रजाति के बीज 1500 रुपए प्रति पैक अधिक पर बेचे गए।

अधिक पैदावार और कोई संक्रमण नहीं होने के वादे के लालच में कई किसान फंस गए। किसानों को खतरे का एहसास तब हुआ जब कई-कई बार स्प्र्रे के बावजूद पत्ते नहीं खुले। मानसा जिला के गांव उडत निवासी गुरजीत सिंह के अनुसार पंजाब से लिए बीज से अच्छी फसल सामने आ रही है। गुजराती कंपनी के झांसे में आकर अब वह पछता रहे हैं। बठिंडा जिले के गांव ज्ञाना के किसान हरजिंद्र सिंह ने आठ एकड़ में गुजराती किस्में लगाईं। हरजिंद्र सिंह के अनुसार इन बीजों का न तो विकास होता है और न ही फूल आ रहे हैं। ये बीज हमें तबाह कर गए। पीड़ित किसानों की हालत यह है कि वे इस बारे में कोई शिकायत दर्ज करने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि अवैध बीज खरीद किसी भी बीमा, दावे या सरकार द्वारा शुरू किए गए मुआवजे के तहत कवर नहीं करता है। 

5 लाख पैकेट की बिक्री, 2 लाख एकड़ में हुई बिजाई
लुधियाना में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्रिंसीपल एंटोमोलॉजिस्ट डा. विजय कुमार ने अवैध बीजों के प्रसार पर ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे पास बी.टी. कपास की किस्मों के परीक्षण का पूरा प्रबंध है। उन्होंने किसानों के खेतों का दौरा भी किया है। पौधे अविकसित हैं और उन पर फूल नहीं आ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अवैध बी.जी. 4 और बी.जी. 5 की विभिन्न किस्में तेजी से फैल रही हैं और अब लगभग 5 लाख पैकेट की अनुमानित बिक्री के साथ पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कुल 40 लाख हैक्टेयर में से अनुमानित 2 लाख एकड़ में इसकी बिजाई हुई है। किसानों की मांग है कि पंजाब सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कार्रवाई करनी चाहिए।

एक बीज बाजार में बेचने की मंजूरी को 8 वर्ष लगते हैं
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कीट वैज्ञानिक के अनुसार सरकार को पता है कि एक बीज बाजार में बेचने की मंजूरी मिलने में कम से कम 8 साल लगते हैं। इस तरह के अवैध नैटवर्क सरकार ही नहीं बल्कि सभी लोगों के लिए हानिकारक हैं। मानव निर्मित संकट के साथ प्रकृति की अनिश्चितता कपास उत्पादकों की समस्याओं को और बढ़ा देती है। पिछले दो वर्षों में कपास के उत्पादन में गिरावट देखी गई है और इससे कपड़ा उद्योग में ङ्क्षचता पैदा हो गई है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vatika

Recommended News

Related News