तस्करों और पुलिस अधिकारियों का नैक्सस बना कैप्टन सरकार के गले की फांस

punjabkesari.in Tuesday, Jun 11, 2019 - 12:44 AM (IST)

जालंधर (चोपड़ा): लोकसभा चुनावों के बाद उड़ता पंजाब में ‘ड्रग पॉलिटिक्स’ एक बार फिर से गर्मा गई है। फर्क बस इतना है कि करीब 26 महीने पहले नशे की जो ‘दुखती नब्ज’ अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार की हुआ करती थी और उसे दबाने वाले ‘हाथ’ कांग्रेस के थे अब वही ‘नब्ज’ कांग्रेस की ‘दुख’ रही है और उस दुखती नब्ज को दबा कर विपक्षी पार्टियां कैप्टन सरकार पर बड़े हमले बोल रही हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य का ‘ड्रग टैरेरिज्म’ सबसे बड़ा मुद्दा रहा और मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशियों को मुख्यमंत्री के वायदों को खूब याद कराया जब 2017 के विधानसभा चुनावों से पूर्व कै. अमरेन्द्र ने श्री गुटका साहिब हाथ में पकड़ कर 4 सप्ताह में नशे को जड़ से खत्म करने की कसम उठाई थी। इसी विश्वास पर जनता ने सत्ता की कुंजी अकाली-भाजपा गठबंधन के हाथों से छीन कांग्रेस को सौंपी थी।

मुख्यमंत्री बनते ही कै. अमरेन्द्र सिंह ने स्पैशल टास्क फोर्स (एस.टी.एफ.) का गठन करके ड्रग माफिया की कमर तोडऩे का सख्त स्टैंड लिया था। पंजाब सरकार 26,000 से ज्यादा तस्करों को जेल में भेजने, करीब 2 लाख नशेडिय़ों का नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज करने के दावे करती रही है परंतु पिछले चंद दिनों में राज्य में नशों के कारण लगातार हो रही मौतें कैप्टन सरकार के सभी दावों को झुठला रही हैं। अब कैप्टन सरकार के खिलाफ विपक्षी पाॢटयां आक्रामक हो गई हैं। कांग्रेस सरकार की हो रही किरकिरी को देखते हुए कै. अमरेन्द्र ने ड्रग तस्करों के खिलाफ फिर से हल्ला बोला है और इस बार तस्करों के नैक्सस में शामिल पुलिस अधिकारी भी सरकार के निशाने पर हैं।

मुख्यमंत्री ने एक उच्चस्तरीय बैठक में एस.टी.एफ. के ए.डी.जी.पी. गुरप्रीत देयो को सख्त निर्देश दिए कि नशों की तस्करी में लिप्त पुलिस कर्मचारियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। ऐसे निर्देशों से जाहिर होता है कि अमरेन्द्र खुले दिल से स्वीकार कर चुके हैं कि पंजाब में ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में कुछ पुलिस अधिकारी ही बाधा बन रहे हैं, परंतु इस कड़ी में वह भूल रहे हैं कि बहुत से ऐसे राजनेता भी हैं जिनकी सांठगांठ इस नैक्सस को संरक्षण दे रही है क्योंकि बिना राजनीतिक संरक्षण के इतने बड़े स्तर पर नशों की बिक्री कतई संभव नहीं हो सकती है।

कैप्टन ने नशे के विरुद्ध गठित किए सलाहकार ग्रुप को व्यापक कार्ययोजना की 4 सप्ताह में देने को कहा है। हालांकि खुद मुख्यमंत्री इस ग्रुप के चेयरमैन हैं और 4 सप्ताह में पंजाब से नशा खत्म करने का उनका वायदा जुमला साबित हुआ है। उल्लेखनीय है कि पूर्व बादल सरकार के कार्यकाल में ड्रग तस्करी के आरोपों में गिरफ्तार डी.एस.पी. जगदीश भोला ने आरोप लगाए थे कि पंजाब के पूर्व राजस्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया कई करोड़ रुपए की ड्रग तस्करी के रैकेट में संलिप्त थे। पंजाब के पूर्व डी.जी.पी. शशिकांत का दावा था कि बड़ी राजनीतिज्ञ पार्टियों की नशीले पदार्थों के तस्करों के साथ काफी मिलीभगत है।

उन्होंने ड्रग्स की तस्करी में संलिप्त 90 व्यक्तियों की फेहरिस्त को अकाली-भाजपा सरकार को सुपुर्द की थी, जिसमें सभी दलों के राजनीतिज्ञ, कुछ वर्तमान मंत्री, कुछ पूर्व मंत्री, वर्तमान एवं पूर्व विधायक, कुछ वरिष्ठ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी संलिप्त थे। कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि पंजाब में नशा पहले की भांति बदस्तूर बिक रहा है। सरकार में केवल पगडिय़ों के रंग ही बदले हैं। अकालियों के खासमखास अधिकारी आज भी कांग्रेसी मंत्रियों व विधायकों की बजाय अकालियों की ज्यादा सुनवाई करते हैं। अब भंवर में फंसी कैप्टन सरकार ड्रग्स की डगर को पार कर पाएगी अथवा नहीं इसका निर्णय अधिकारियों व राजनेताओं की पंजाब को बचाने की दृढ़ संकल्पता ही निश्चित करेगी।

ड्रग नैक्सस पर कांग्रेसी विधायक भी लगा चुके हैं सरेआम आरोप
पंजाब के कांग्रेसी विधायक भी नशे की बिक्री को लेकर पंजाब पुलिस के अधिकारियों पर सरेआम आरोप लगाते रहे हैं। जीरा से कांग्रेस विधायक कुलबीर सिंह जीरा ने फिरोजपुर में सरपंचों व पंचों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान वित्त मंत्री व पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में एक वरिष्ठ अधिकारी पर नशे को बढ़ावा देने के आरोप जड़ते हुए समारोह का बायकाट किया था। 
उन्होंने डी.जी.पी. को शिकायत देने के दौरान इसके सबूत भी पेश किए थे परंतु कांग्रेस ने विधायक के आक्रोश की गंभीरता को समझने की बजाय विधायक के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करके पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से सस्पैंड कर दिया। बाद में जेल मंत्री सुखजिन्द्र सिंह रंधावा के हस्तक्षेप से विधायक जीरा की सस्पैंशन रद्द करवाकर यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इससे पहले कांग्रेस के अमरगढ़ (संगरूर) से विधायक सुरजीत धीमान भी पुलिस पर नशे को बढ़ावा देने का आरोप लगा चुके हैं। हालांकि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी व गिद्दड़बाहा से विधायक अमरेन्द्र सिंह राजा वङ्क्षडग़ ने भी माना है कि नशा पहले की भांति ही बिक रहा है।

8000 करोड़ के कारोबार में अवैध मुनाफा तस्करों के संरक्षण का मुख्य कारण 
पंजाब में कभी अफीम, भुक्की से शुरू हुआ सिलसिला आज हैरोइन, स्मैक, कोकीन, सिंथैटिक व आईस ड्रग जैसे महंगे नशे की बड़ी मंडी में तबदील हो चुका है। एक अंदाज के मुताबिक पंजाब में हरेक वर्ष 8000 करोड़ रुपए के नशों का सेवन किया जाता है। चूंकि तस्करी को संरक्षण देने मात्र से चंद भ्रष्ट स्थानीय नेताओं और सरकारी अधिकारियों को भी बड़ी मात्रा में अवैध धन की प्राप्ति होती है इसलिए वे अपने लालच के वशीभूत होकर पंजाब की जवानी को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। 

Yaspal