सिविल अस्पताल में किराए की चारपाई पर मरीजों का इलाज

punjabkesari.in Saturday, Apr 01, 2017 - 11:42 AM (IST)

बरनाला(विवेक सिंधवानी,गोयल): बरनाला को जिला बने हुए 10 वर्ष से भी अधिक समय हो चुका है परंतु यहां सेहत सुविधाओं का स्तर सब डिवीजन से नीचे है। थोड़ी सी गंभीर हालत के मरीजों को बाहर के अस्पतालों में रैफर कर दिया जाता है। जिस कारण समय बर्बाद होता है व कई कीमती जानें चली जाती हैं। अस्पताल में अधिकतर समय ओवरलोड मरीज रहते हैं। उनके द्वारा किराए पर चारपाई लाकर अपना इलाज करवाया जाता है व अन्य कई बुनियादी सुविधाओं से बरनाला का सिविल अस्पताल वंचित है। 

करने पड़ते हैं अधिक पैसे खर्च
 इतना ही नहीं सिविल अस्पताल में आप्रेशन से पहले मरीज को बेहोश व सुन्न करने वाला टीका लगाने वाले डाक्टर भी कई वर्षों से यहां तैनात नहीं हैं। जिस कारण आप्रेशन करवाने वाले मरीजों को अलग पैसे देने पड़ते हैं। सरकारी अस्पताल में मरीज तो इस कारण ही आते हैं कि पैसे की बचत होगी व इलाज बढिय़ा होगा परंतु सरकारी अस्पताल में भी मरीजों को विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए डाक्टरों की कमी के कारण अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

 नहीं है अस्पताल में आई.सी.यू. वार्ड
जिले का अस्पताल होने के बावजूद यहां आई.सी.यू. वार्ड नहीं है। सड़क दुर्घटनाओं में घायल मरीजों व एमरजैंसी में गंभीर हालत में मरीजों को बाहर रैफर करने से जहां मरीजों के पारिवारिक मैंबरो को समस्याओं का सामना करना पड़ता है वहां समय नष्ट होने के कारण कई कीमती जानें चली जाती हैं। आई.सी.यू. वार्ड न होने से यहां वैंटीलेटर मशीनें भी नहीं हैं।  

मरीजों को करनी पड़ती है अपनी जेब ढीली 
 यहां सी.टी. स्कैन की सुविधा भी नहीं है। सी.टी. स्कैन करवाने के लिए मरीजों को प्राइवेट स्कैन सैंटरों में अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है। प्राइवेट सी.टी. स्कैन संैटरों में 3 हजार से 5 हजार रुपए तक मरीजों को खर्च करने पड़ते हैं। 

 रेडियोलॉजिस्ट की पदवी भी है खाली     
सिविल अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की पदवी खाली पड़ी है। अल्ट्रासाऊंड करवाने वाले मरीजों को प्राइवेट सैंटरों में से ही अल्ट्रासाऊंड करवाने पड़ते हैं जिस कारण पैसे व समय दोनों बर्बाद होते हैं। पिछले कई वर्षों से यह पदवी खाली पड़ी है। 


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