स्कूल में ‘श्रद्धांजलि’, घर में ‘मातम’

punjabkesari.in Tuesday, Oct 23, 2018 - 08:54 PM (IST)

अमृतसर(सफर, नवदीप): देश के लिए 2018 जाते-जाते दशहरा पर्व पर देश को जहां अमृतसर में हुए रेल हादसे का दर्द दिया है। वहीं बुराइयों पर अच्छाइयों की जीत के पर्व पर एक सीख भी दे गया है कि कानून को ना मानना भी कानूनी अपराध है। कानून ना मानना भी बुराई है और यही बुराई सभी को इस कांड के बाद रावण के पुतले के साथ अमृतसर में जली चिताओं के साथ दिल से जलानी होगी। अगर कानून माना होता तो ना आयोजक को एन.ओ.सी मिलती और ना ही यह हादसा होता। कानून माना होता तो लोग पटरियों पर खड़े ना होते। कानून माना होता तो आज 62 जिंदगियां बची होती, सैकड़ों-हजारों घरों में मातम ना पसरा होता। 

दशहरा के दिन घटित इस घटना के 96 घंटे बीतने के बाद तस्वीर यही है कि 62 मौतों पर केवल 21 परिवारों को 5-5 लाख का ‘मरहम’ लगा है। घायल अस्पतालों में इलाज से खुश हैं लेकिन भविष्य से दुखी। मदद कोई मिली नहीं, दिहाड़ी कर नहीं सकते, परिवार कैसे चलेगा। आयोजक मि_ू मदान की कोठी से लेकर खून की रेल पटरी तक पहरा है। 

क्लास का हीरो था बॉबी  
मार्डन जगत ज्योति सीनियर सैकेंडरी स्कूल की 10वीं क्लास में सिसक पड़ा दोस्त राहुल, बोला पुलिस वाला बनना चाहता था बॉबी। बॉबी की सीट खाली। बगल बैठने वाला दोस्त बोला मन नहीं लगता बॉबी के बिना। आज स्कूल में 32 नहीं 31 स्टूडेंट आएं, बॉबी पांडेय की जगह ‘खाली’। स्कूल वाले बोले बॉबी क्लास का ‘हीरो’ था। 

क्लास में ‘आत्मा’ के लिए प्रार्थना 
बॉबी की क्लास में उसकी आत्मा के शांति के लिए  प्रिंसिपल नीरू बाला बोली बहुत होशियार था बच्चा, स्कूल की टीचर अनीता रावत, मधु, राहुल, मीरा शर्मास सुमन शर्माने बच्चों के साथ प्रार्थना की। क्लास टीचर सुमन सुबकते बोली ‘स्कूल आने का मन ही नहीं कर रहा था’।  

Vaneet