सुल्तानपुर लोधी सीट पर कांग्रेस के लिए पैदा हो सकती है मुसीबत, जानें क्यों

punjabkesari.in Tuesday, Jan 25, 2022 - 04:03 PM (IST)

कपूरथला(पंजाब केसरी टीम): अकसर कहा जाता है कि इश्क और जंग में सब जायज है और पंजाब में राजनीतिक दलों में चुनावी जंग जारी है। इस जंग में अगर अपने खेमे के लोग ही विरोध में खड़े हो जाएं तो नुकसान अंतत: खेमे और खेमे के सरदार को ही होगा। पंजाब में कई सीटों पर कांग्रेस की कलह चल रही है, जिसके कारण घोषणा करने में देरी हो रही है, लेकिन सुल्तानपुर लोधी सीट पर कांग्रेस अजीब स्थिति में फंस गई है और इस स्थिति से बाहर निकलना आसान नहीं लग रहा है। स्थिति को कंट्रोल करने की बजाय पार्टी खामोश है।

कपूरथला से पार्टी के सबसे अमीर विधायकों में से एक राणा गुरजीत सिंह मैदान में हैं, जबकि दूसरी तरफ सुल्तानपुर लोधी में कांग्रेस के ही विधायक नवतेज सिंह चीमा पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। यहां तो सब ठीक है लेकिन चिंता की बात यह है कि राणा गुरजीत ने अपने बेटे राणा इंद्र प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया है, वह भी सुल्तानपुर लोधी से कांग्रेस उम्मीदवार चीमा के खिलाफ। इंद्र प्रताप आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। हैरानी की बात है कि राणा अपने बेटे को चुनाव जितवाने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। अगर यह कोशिश अंदरखाते होती तो शायद किसी को ऐतराज नहीं होता, लेकिन राणा खुलकर मैदान में उतर आए हैं तथा अपने बेटे के लिए लोगों से वोट मांग रहे हैं। अपनी ही कांग्रेस पार्टी के मौजूदा विधायक चीमा की बजाय वह लोगों से कह रहे हैं कि वोट इनके बेटे इंद्र प्रताप को दें।

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दो बार से लगातार विधायक हैं चीमा
सुल्तानपुर लोधी से नवतेज चीमा लगातार दो बार विधायक रहे हैं। चीमा ने 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली की नेता उपिंद्रजीत कौर को हराया। हार का अंतर बहुत ज्यादा नहीं था, लेकिन चीमा जीत गए थे। 2017 के विधानसभा चुनावों में चीमा को 38.79 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे, जबकि 2012 में चीमा ने 48.33 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। उनके मुकाबले में अकाली दल की डा. उपिंद्रजीत कौर को 2017 में 31.22 प्रतिशत और 2012 के विधानसभा चुनावों में 44 प्रतिशत वोट मिले थे।

पूरे मामले में राणा खुलकर प्रचार कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी इस मामले में अभी तक खामोशी धारण किए हुए है। कांग्रेस की यह खामोशी आने वाले समय में पार्टी के लिए नुकसान का बड़ा कारण बन सकती है क्योंकि अगर इस तरह की परंपरा पार्टी में शुरू हो गई तो कितने और विधायक जिनके बच्चे चुनाव लड़ने के लिए तैयार होंगे तथा उनकी आसपास की किसी विधानसभा क्षेत्र पर टेढ़ी नजर होगी।

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Content Writer

Sunita sarangal

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