केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश का हमला: बसपा ने भाजपा को दलितों में विलेन बनाने की कोशिश की

punjabkesari.in Saturday, Jun 08, 2019 - 11:05 AM (IST)

जालंधर: वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने कहा है कि एस.सी.एस.टी. एक्ट मामले में आए सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद बहुजन समाज पार्टी ने भाजपा को दलितों के बीच विलेन बनाने की कोशिश की लेकिन चुनाव नतीजे साबित करते हैं कि बसपा का यह दाव असफल हो गया और लोकसभा चुनाव में भाजपा को हर धर्म और हर वर्ग का भरपूर समर्थन मिला है। 

उन्होंने कहा कि दलित समाज भाजपा के साथ एकजुट न होता तो मुझे अपने हलके में दलित वोटरों का समर्थन कैसे मिलता। मैं 2 बार विधायक रहा हूं और दोनों बार दलित समाज ने मेरा समर्थन किया है। अब सांसद बनने में भी दलित समाज का बड़ा योगदान है। दरअसल दलितों को लग रहा है कि भाजपा उन्हें वोट बैंक समझने की बजाय उनके विकास के लिए कार्य कर रही है और पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान दलित समाज के लिए कई योजनाएं शुरू करने के अलावा देश भर में डा. भीम राव अम्बेदकर के सम्मान में कई केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। भाजपा में किसी दलित चेहरे की खास पहचान न होने और दलित तबके के लिए राम विलास पासवान और रामदास अठावले पर निर्भरता होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि दलित समाज अब जागरूक हो रहा है और भाजपा के नेताओं की स्वीकार्यता इस समाज के लिए बढ़ रही है। 

अब भी भाजपा के पास कई बड़े दलित नेता हैं और कई दलित नेता पार्टी में शामिल हो रहे हैं। पंजाब में नशों की समाप्ति के लिए कै. अमरेंद्र सिंह द्वारा किए गए वायदे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने 2017 के चुनाव से पहले राज्य से नशे की जड़ उखाडऩे का प्रण लिया था लेकिन उनकी यह घोषणा खोखली साबित हुई है और राज्य में नशा पहले की तरह ही बिक रहा है। इस मामले में सब को मिलकर काम करना पड़ेगा क्योंकि इससे पंजाब की जवानी खराब हो रही है।

सोमप्रकाश के लिए दलित वोटों पर नजर
गौरतलब है कि हाल ही के लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा को न सिर्फ उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर सफलता हासिल हुई है बल्कि पंजाब में भी उसके उम्मीदवारों का वोट बढ़ा है। लिहाजा भाजपा सोमप्रकाश के चेहरे के जरिए दलितों में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। पहला चुनाव जीतने के बाद उन्हें मंत्री पद देना भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। सोमप्रकाश के बसपा पर किए गए हमले को भी इसी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि पंजाब में एक समय बसपा का अच्छा-खासा आधार रहा है और पार्टी के संस्थापक कांशीराम के दौर में विधानसभा चुनाव में बसपा के विधायकों की संख्या 9 तक भी पहुंच गई थी।

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