Valentine Week: 2 वैजिटेरियंस को जब चिकन मंचूरियन पास ले आया

punjabkesari.in Thursday, Feb 07, 2019 - 10:05 AM (IST)

जालन्धर(भारती शर्मा): वैलेंटाइन वीक के दौरान गली-पार्कों में युवा जोड़ों को आपने प्यार का इजहार करते तो जरूर देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी उन लोगों की प्रेम कहानियां जानी हैं जो दिव्यांग होने के चलते बिना व्हीलचेयर के चल-फिर नहीं पाते। पंजाब केसरी कुछ ऐसी ही कहानियां आपके सामने लाने जा रहा है जिनमें स्पाइनल कार्ड इंजरी से पीड़ित पुरुषों के प्रति उनकी पत्नियों की समर्पण से भरी भावना झलकती दिखेगी। आइए जानें ऐसे लोगों के रूठने-मनाने, हंसने-गाने से जुड़े छोटे-छोटे किस्से। इसी कड़ी में पहले पढ़ते हैं प्राइवेट अस्पताल में काम करते गुरविंदर की कहानी-

प्राइवेट अस्पताल में काम करते गुरविंदर को 7 साल पहले  स्पाइनल कार्ड इंजरी हो गई थी।  उनकी शादी अढ़ाई साल पहले गुरदासपुर की ज्योति से हुई। उनके पास शादी की कई चुलबुली यादें हैं। दोनों का मिलन ‘चिकन मंचूरियन’ की वजह से हुआ था।  गुरविंदर बताते हैं कि ज्योति से उनकी मुलाकात गुरदासपुर के एक अस्पताल में हुई जहां वह बैड सोर का इलाज करवा रहे थे।  ज्योति वहां नर्स थी। वह काफी केयरिंग थी। दूसरों के बारे में सोचने वाली, ऐसे में मेरे मन में उसके प्रति श्रद्धा जगने में देर नहीं लगी। हमारी कहानी कुछ ऐसे आगे बढ़ी। 

एक दिन मैं और ज्योति पहली बार खाना खाने के लिए एक होटल में पहुंचे। डैकोरम अनुसार- लेडीज ने ऑर्डर देना होता है तो ज्योति ने मैन्यू उठाया और चिकन मंचूरियन आर्डर दे दिया। मैं तो वैजिटेरियन था। मैंने सोचा- मैडम इतना मंचूरियन खा लेगी। फिर ख्याल आया लगता है मुझे भी खाना पड़ेगा नहीं तो वह बुरा मान जाएगी। जब ऑर्डर आया तो हम एक-दूसरे को देखने लगे। ज्योति बोली- लीजिए न। मैंने कहा- आप शुरू करिए न। वह बोली- पहले आप तो करिए। मैंने कहा- नहीं, पहले आप। फिर ज्योति मासूम-सी सूरत बनाकर बोली- मैं तो खाती ही नहीं। मैं भौचक्का रह गया। कहा- मैंने सोचा आप खाती होंगी। हम खूब हंसे। हमारे आसपास टेबल पर बैठे और लोग भी। फिर हमने सोचा चलो आज की मीटिंग को यादगार बनाते हैं। हमने साथ ही चिकन मंचूरियन खाया। और इसके साथ ही दो वैजिटेरियन लोग नॉन-वैजिटेरियन हो गए।

जब टैडी के लिए लग गई दौड़

दोनों में प्यार भी खूब है और नोक-झोंक भी। गुरविंदर बताते हैं कि एक दिन वैलेंटाइन डे पर वह अस्पताल में बिजी हो गए। शाम को घर लेट आए तो ज्योति मुंह फुलाकर बैठी थी। बोली- एक तो लेट आए ऊपर से टैडी भी नहीं लाए। मैंने कहा- मुझे कब कहा था? उसी क्षण फिर से दौड़ लगानी पड़ी। फिर टैडी लेकर ही घर में घुसा।

वो असली वाली जलन थी

ज्योति गुरविंदर से जुड़ा किस्सा शेयर करते हुए बताती है कि मुझे पता था कि वह मुझे पसंद करते हैं लेकिन वह कभी बताते नहीं थे। एक बार वह मुझसे बोले- मेरे भाई के लिए लड़की तलाश दो। मुझे बड़ी जलन हुई- असली वाली। मैं इनकी मां के पास गई। बोली- पहले गुरविंदर की शादी करो फिर छोटे को देखना। इस पर इनकी मां ने कहा- तुम खुद ही ढूंढ दो लड़की। आखिरकार मुझे ही पहल करनी पड़ी। उस दिन तारीख 9 जुलाई 2016 थी। मैंने प्रपोज किया और वह मना नहीं कर पाए।

शादी से पहले हुआ था झगड़ा

शादी से एक दिन पहले ही मेरा और ज्योति का फोन पर खूब झगड़ा हुआ। हम दोनों ने अपने फोन बंद कर दिए। करीब एक घंटे बाद ज्योति ने फोन करके कहा कि मुझे शादी कल ही करनी है लेकिन उसके घरवाले हमारी शादी के लिए राजी नहीं थे इसलिए मैंने और ज्योति ने अगले ही दिन चंडीगढ़ हाईकोर्ट जाकर कोर्ट मैरिज कर ली।

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