याहू मैसेंजर के दिनों में हुई थी दोस्ती, सरकारी जॉब की परवाह किए बगैर की शादी

punjabkesari.in Saturday, Feb 09, 2019 - 09:43 AM (IST)

जालंधर(भारती शर्मा): 21वीं शताब्दी की शुरुआत में जब इंटरनैट क्रांति जोरों पर थी तो इसका सबसे बड़ा फायदा युवाओं को मिला। कई ऐसी सोशल साइट्स आईं जिन्होंने कोसों दूर बैठी अपनी प्रेयसी से प्रेमी को मिलवा दिया। करनाल के रहने वाले संदीप और परमजीत का रिश्ता भी इसी क्रांति की देन है। दोनों की जान-पहचान याहू मैसेंजर के जरिए हुई थी। 19 साल पहले हादसे के कारण स्पाइन कॉर्ड इंजरी से पीड़ित संदीप बताते हैं-चोट के चलते मेरा ज्यादातर समय इंटरनैट पर बीतता था। 

एक दिन मैंने देखा-मुझे किसी परमजीत नाम की आई.डी. से मैसेज आया है। मैंने 3-4 दिन बाद रिप्लाई कर दिया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। मैंने 3-4 दिन बाद ऐसे ही फिर से मैसेज कर दिया। इस बार जवाब आ गया। जवाब था- तुसीं कौन? ऐसा जवाब देखकर मैं झेंप गया।सोचा-अब रिप्लाई नहीं करूंगा। मेरी वजह से लड़की कहीं परेशान तो नहीं हो गई। सॉरी फील करने के लिए मैसेज भेजता रहा। इसी सिलसिले में 1-1 लाइन करते हम दोनों में बातचीत के लंबे सिलसिले शुरू हो गए।अमृतसर में परमजीत इंटरनैट कैफे पर जाकर मेरे से चैटिंग करती थी। फिर बातों ही बातों में पता चला कि परमजीत की उक्त आई.डी. उनके साथ काम करने वाली उनकी दोस्त ने बनाई थी। परमजीत को इसके बारे में तब ज्यादा पता भी नहीं था लेकिन जब हमारे बीच बात दिन-ब-दिन बढ़ती गई तो उसका भी मेरे प्रति झुकाव होने में देरी नहीं लगी। 

खुशकिस्मत हूं, गलती करने के बावजूद परमजीत ने अपनाया
शुरू में परमजीत को मेरी इंजरी के बारे में नहीं पता था, मैंने भी कुछ नहीं बताया था। इस दिन अचानक परमजीत ने मेरी क्वालीफिकेशन के बारे में पूछा तो मैंने कहा कि मैं 10वीं पास हूं। तो कहने लगी यह भी कोई क्वालीफिकेशन है। इसको तो लोग अनपढ़ समझते हैं, मुझे बहुत बुरा लगा और तब मैंने परमजीत को अपनी इंजरी के बारे में बताया। जब उसे मेरी इंजरी के बारे में पता चला तो वह कहने लगी ऐसा हो ही नहीं सकता और रोने लग गई। फिर हमारी 3-4 दिन बात नहीं हुई। मेरी भी हिम्मत नहीं हुई परमजीत से बात करने की, लेकिन थोड़े दिनों बाद फिर से दोस्त के तौर पर बातचीत शुरू हो गई। एक बार मैं बहुत बीमार हो गया तो हमारी बातचीत बंद हो गई। तब परमजीत ने हमारे घर के लैंडलाइन पर फोन करके मेरे पिता से बात की और उन्होंने अस्पताल से मेरी बात परमजीत से करवाई। यही वह समय था जब हमें लगा कि हम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। 

परमजीत बोली, हर लड़के को संदीप से कम्पेयर करके कर देती थी रिश्ते से मना
परमजीत बताती हैं-इसी दौरान मेरी सरकारी जॉब लग गई। हमारी शादी में सबसे बड़ी दिक्कत संदीप की इंजरी थी। शादी के लिए पिता मान नहीं रहे थे। मैंने कोशिश जारी रखी। मुझे परम पसंद थी, लेकिन शादी के लिए पहले परमजीत ने कहा तो मैंने कहा तुम्हारे घर वाले नहीं मानेंगे, पहले तुम अपने घर वालों को मनाओ फिर मैं अपने घर पर बात करूंगा। परमजीत कहती हैं कि जब भी मेरी शादी की बात चलती थी, तो मैं हर लड़के को संदीप से कम्पेयर करके देखती थी और हर रिश्ते को मना कर देती थी। जब मैंने अपने पिता को संदीप के बारे में बताया तो उन्होंने मना कर दिया। बहुत कोशिश करने के बाद उन्होंने कहा कि पहले मैं लड़के से मिलूंगा और फिर अपना फैसला बताऊंगा, तब संदीप ने अपने घर पर हमारे बारे में बताया और मेरे पिता जी संदीप से मिले और हां की, लेकिन मेरी जॉब अमृतसर में थी और शादी करनाल हो रही थी। मेरे पिता जी ने कहा तुम्हें अब जॉब छोडऩी पड़ेगी। मैंने इस बारे संदीप से बात की तो उन्होंने कहा कि जॉब छोडऩे की जरूरत नहीं, हम मैनेज कर लेंगे तब जाकर 8 सालों बाद मेरी और संदीप की शादी हुई। 

जब गिफ्ट के लिए आधी रात को करवानी पड़ी शॉपिंग
वैलेनटाइन डे पर मैंने परमजीत को कोई गिफ्ट नहीं दिया, तो परमजीत ने कहा कि शादी से पहले तो इतनी बातें करते थे अब तो एक गिफ्ट भी लेकर नहीं दिया, तब मैं परमजीत को रात को बाजार लेकर गया और इनकी पसंद का गिफ्ट दिलवाया। संदीप बताते हैं परमजीत ने ही मुझे आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। आज मैंने सी.टैट और एच.टैट का एग्जाम क्लीयर कर लिया है।

मुझे मिली ट्रैवल और फूड पार्टनर
संदीप बताते हैं कि मुझे घूमना और स्ट्रीट फूड खाना बहुत पसंद है लेकिन परमजीत को पसंद नहीं था, लेकिन मेरे प्यार की वजह से परमजीत ने मेरी यह दोनों आदतें अपना ली हैं। अब वह मेरी ट्रैवल पार्टनर भी है। 

संजीप ने हमेशा मेरी केयर कीःपरमजीत
परमजीत का कहना है कि हर कोई परफैक्ट नहीं होता। हर किसी में कोई न कोई कमी होती है लेकिन संदीप ने हमेशा मेरी केयर की है। मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए संदीप से बेहतर कोई लाइफ पार्टनर हो सकता था। 
             

swetha