1902 में बने विक्टोरिया टावर की हालत दिनों-दिन हो रही खस्ता
punjabkesari.in Monday, Sep 04, 2017 - 11:43 AM (IST)

फरीदकोट (हाली): बेशक हमारी आने वाली पीढिय़ों को पुरातन विरसे से जोड़े रखने की मंशा के साथ सरकार द्वारा पुरातन इमारतों का रख-रखाव बड़े स्तर पर किए जाने के दावे तो किए जा रहे हैं। वहीं इन दावों में कितना दम है, इसका अंदाजा फरीदकोट की ऐतिहासिक व रियासती इमारतों की सांभ-संभाल से लग जाता है, जिसकी ताजा मिसाल बना हुआ है, यहां का घंटाघर। लम्बे अरसे से इस घंटाघर का घंटा बंद हो जाने के कारण जंग खा चुका है।
घंटा घर का इतिहास
1902 में उस समय के राजा बलबीर सिंह ने महारानी विक्टोरिया की याद में इस टावर (घंटा घर) का निर्माण करवाया था। यह इमारत फ्रांसीसी नमूने के आधार पर तैयार की गई, जिसकी लम्बाई 115 फुट है। इस विक्टोरिया टावर की घडिय़ां स्विट्जरलैंड से मंगवाई गई थीं, जो हर घंटे बाद समय की सूचना देने के मनोरथ के साथ इतनी ऊंची आवाज में घंटा बजाती थीं कि इसकी आवाज समूचे शहर निवासियों को सुनाई देती थी।
अब क्या है स्थिति
अब स्थिति की बात करें तो धीरे-धीरे घंटाघर की हालत दयनीय हो रही है और अपने आप उगने वाली बूटियां इसकी दरारों में अंकुरित हो रही हैं। जगह-जगह दरारें पडऩे के कारण भी इसकी हालत कमजोर होती जा रही है। वर्ष 2005 में महारावल खेवा जी ट्रस्ट की तरफ से इसकी मुरम्मत करवाई गई थी परंतु इसके बाद इसकी संभाल करने के लिए कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। वैसे बाबा शेख फरीद जी के आगमन पर्व पर इसे थोड़ा संवार जरूर दिया जाता है।