अनूठी पहल: पंजाब का गांव जहां अब पॉलीथिन नहीं, कपड़े के थैले इस्तेमाल करते हैं लोग

punjabkesari.in Monday, Feb 10, 2020 - 02:01 PM (IST)

जालंधर। राष्ट्रीय स्तर पर नेताओं के मुंह से  "Say No To Plastic" जैसा स्लोगन महज औपचारिकता लगता है। पर्यावरण को बचाने के लिए किसी मंच से उन्होंने कह दिया और राजनीतिक स्तर यह एक योजना हो जाती है जो सरकारी फाइलों और भाषणों में निरंतर चलती रहती है। हकीकत यह है कि अभी तक देश में पर्यावरण को स्वच्छ रखने की मुहीम कभी चरणबद्ध तरीके से गांव से शहरों तक लागू करने की जहमत ही नहीं उठाई गई। आपको बताते है कि ऐसे हालात में भी पंजाब के मानसा जिले के एक युवा क्लब ने अपने छोटे से गांव में भाई देसा की तस्वीर ही बदल डाली है। क्लब का मकसद जहां गांव को सिंगल प्लास्टिक यूज़, स्टबल बर्निंग,और ड्रग्स से मुक्ति दिलाना है वहीं दूसरी ओर ट्री प्लांटेशन और सड़क सुरक्षा भी इसकी मुहीम का अहम हिस्सा है। यह तथ्य हैरत में डालने वाला है कि इस गांव के युवाओं ने स्वच्छ वायु हासिल करने के उद्देश्य से 5 हजार पौधे लगाए हैं, जिनकी बराबर देखभाल की जाती है।

 

ऐसे मिली गांव को प्लास्टिक से निजात
मानसा जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी की दूरी पर देसा भाई गांव में नौजवान एकता क्लब के सामाजिक कार्य चर्चा का विषय बने हुए हैं। सिंगल प्लास्टिक यूज़ को रोकने के लिए क्लब के युवाओं ने गांव के एक दुकानदार से पॉलीथिन बैग बंद करने का आग्रह किया। दुकानदार ने उन्हें आश्वस्त किया कि उसके पास जो बैग पड़े हैं उन्हें इस्तेमाल करने के बाद वह कभी भी ग्राहकों को सामान पॉलीथिन बैग में नहीं देगा। क्लब की मुहीम रंग लाई गांव में धीरे-धीरे पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल बंद हो गया। अब गांव में पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल बंद हो चुका है।

 

दुकानों में नहीं मिलते हैं तंबाकू उत्पाद
1700 की आबादी वाले इस गांव में छह दुकाने हैं जिनमें तंबाकू के उत्पाद नहीं मिलते हैं। युवाओं का ड्रग्स और नशीले पदार्थों की ओर ध्यान न जाए इसके लिए क्लब कई गतिविधियां करता रहता है। युवा सामाजिक कार्यों में वयस्त रहते हैं। वे "मेरा पिंड मेरा मान" के सिद्धांत की राह पर चल रहे हैं। जिस तरह सूबे के ग्रामीण इलाकों के हालात हैं उससे अलग गजब का जुनून इस गांव के युवाओं में है। ड्रग की लत से दूर रहने के लिए युवा एक दूसरे को प्रेरित करते हैं। गणतंत्र दिवस पर क्लब को सामाजिक कार्यों के लिए जिला स्तर पर पांच लाख रुपए का नकद पुरस्कार मिला है। इनके प्रयासों से गांव की गलियां साफ और हरी भरी हैं। एक साल पहले क्लब ने सफाई करने का फैसला किया और सभी आवासों की दीवारों को रंग दिया गया है।  दीवारों पर साकारात्मक संदेश लिखे हुए हैं।

  

पराली जलाने के मामले 60 फीसदी घटाए
क्लब के संरक्षक 40 वर्षीय बलबीर सिंह कहते हैं कि नशा पंजाब में एक गंभीर समस्या है। हम युवाओं को इसकी चपेट में आने से बचाना चाहते हैं। माहौल और वातावरण को शुद्ध रखने के लिए गांव के परिवारों ने पैसे का योगदान दिया है। सरपंच क्लब की गतिविधयों का भरपूर समर्थन करते हैं। पराली जलाने के लिए किसानों को युवा जागरुक कर रहे हैं। क्लब के प्रयासों से ही पराली जलाने में 60 फीसदी कमी आई है। स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सुबह और शाम की सैर शुरू की है जिसमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल होते हैं। क्लब की गतिविधियों की सराहना करते हुए सरपंच हरबंस सिंह कहते हैं कि पंजाब में युवा ड्रग्स के जाल में फंस गए हैं, लेकिन मेरे गांव में नशा करने की लत युवाओं को बिलकुल नहीं है। डी.सी. सुश्री रियात कहती हैं कि जहां भी जिला में युवा क्लबों और स्थानीय पंचायत या सरपंच के बीच अच्छा तालमेल है वहां से नतीजे अच्छे आ रहे हैं।

 

वैज्ञानिक कचरा प्रबंधन की शुरुआत 
क्लब के अध्यक्ष केवल सिंह  बताते हैं कि पहले से ही यहां 70 फीसदी लोग कपड़े की थैलियों का उपयोग करते हैं। प्लास्टिक के खतरनाक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना हमारी प्राथमिकता है। गांव में करीब 270 घर हैं और क्लब वैज्ञानिक कचरा प्रबंधन की शुरुआत करने जा रहा है। इसके लिए मोहाली स्थित राउंड ग्लास फाउंडेशन हमें तकनीकी जानकारी दे रहा है। दुकानदार मेजर जीत सिंह का मानना ​​है कि व्यस्त युवा ड्रग्स के प्रति आकर्षित नहीं हैं। उन्होंने बताया की गांव की दुकानों में तंबाकू आधारित उत्पादों को नहीं बेचता है। 
 

Suraj Thakur