‘बेआब’ न हो जाए पंजाब, केपटाऊन से लें सबक

punjabkesari.in Wednesday, Apr 04, 2018 - 09:31 AM (IST)

जालंधर(विशेष): दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाऊन बंदरगाह, बाग-बगीचों और पर्वत शृंखलाओं के लिए मशहूर है। पर्यटकों का यह पसंदीदा खूबसूरत टूरिस्ट स्पॉट इन दिनों भयावह जल संकट से जूझ रहा है। ‘जीरो डे’ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। ‘जीरो डे’ का अर्थ है कि जुलाई के मध्य में अगर वहां पर्याप्त बरसात न हुई तो शहर के लोगों को प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति मिलने वाले 25 लीटर पानी को प्राप्त करने के लिए शहर में निर्धारित 200 जलाशयों पर जाना पड़ेगा। केपटाऊन का जल संकट पंजाब के लिए एक बड़ा सबक है। जिस तरह से पंजाब में पानी का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, कई साल पहले इसी तरह केपटाऊन में भी ऐसे ही पानी की बर्बादी हुई। जो शहर (केपटाऊन) पर्यटकों का खूबसूरत शहर है आज वहां रहने वाले लोग पलायन को मजबूर हैं। वहीं पंजाब में जिस तरह से वाटर ब्लॉक सूख रहे हैं उससे अब तो चिंता होने लगी है कि पंजाब ‘बेआब’ (बिना पानी के) न हो जाए।   


अभी हिदायत के साथ जल सप्लाई
पंजाब केसरी की तरफ से एकत्रित की गई जानकारी के अनुसार फिलहाल केपटाऊन का स्थानीय प्रशासन हिदायतों के साथ प्रति व्यक्ति रोज 50 लीटर पानी मुहैया करवा रहा है। अगर हालात नहीं सुधरे तो केपटाऊन में बनाए जा रहे जलाशयों पर सुरक्षा गार्ड की निगरानी में जल सप्लाई होगी। प्रशासन की तरफ  से जारी निर्देश में कहा गया है कि 50 लीटर पानी में से 10 लीटर कपड़े की सफाई के लिए, 10 लीटर पानी नहाने के लिए, 9 लीटर बाथरूम में डालने के लिए, 2 लीटर मुंह-हाथ धोने के लिए, 1 लीटर घरेलू जानवरों के लिए, 5 लीटर घर की सफाई के लिए, 1 लीटर खाना बनाने के लिए, 3 लीटर पीने के लिए और बाकी पानी भोजन पकाने से पहले धोने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

पंजाब में पानी की स्थिति
पहले ही बंटवारे के दौरान 3 नदियां पंजाब गंवा चुका है। बाकी बची नदियों में भी जल स्तर दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है। सैंट्रल ग्राऊंड वाटर बोर्ड (सी.जी.डब्ल्यू.बी.) की रिपोर्ट मुताबिक प्रदेश में भूमिगत 138 वाटर ब्लॉकों में से 108 सूख चुके हैं और 5 गंभीर स्थिति और 4 ग्रे जोन में हैं। इसी के साथ वाटर क्वालिटी पर भी सवाल खड़े हैं।

सहायक नदियां गायब
नदियों में जल स्तर कम होने का असर सतलुज और ब्यास की सहायक नदियों पर भी पड़ा है। वर्तमान में सतलुज की सहायक नदियां जयंती, बुदकी, सीसवां जिला रोपड़ में आकर विलुप्त हो चुकी हैं। यही नहीं, सीतासर, अच्छा सरोवर, मुल्लांपुर गरीब दास, घारियां, पांडुसर, राय तल, बोपाराय कलां, काहनगढ़ चमीराई, प्रीतनगर, रामसर और लक्ष्मणसर जैसे कई मुख्य जलाशय खत्म होने की स्थिति में हैं। संगरूर को कभी 4 जलाशय वाला शहर कहा जाता है, वहां के जलाशय खत्म हो चुके हैं। नदियों में जल स्तर कम होने का असर नाभा के हाटी खाना तालाब के साथ-साथ कई अन्य तालाबों पर भी पड़ा है।

प्रदेश के 17 जिले डार्क जोन में 
धरती से अंधाधुंध पानी के दोहन से पंजाब के 17 जिले डार्क जोन में चले गए हैं। इनमें 7 जिलों में शेष बचे भू-जल की रिपोर्ट नैगेटिव आई है। इसका कारण रिचार्जिंग से ज्यादा दोहन रहा है। इनमें भी जालंधर और कपूरथला में स्थिति ’यादा खराब है। इन दोनों जिलों में 5 वाटर ब्लॉक हैं जो कि डार्क जोन में चले गए हैं। संगरूर में तीनों ब्लॉक सूख चुके हैं। 

25 वर्षों में 200 फुट तक गिरा जल स्तर
प्राप्त आंकड़ों मुताबिक पिछले 25 वर्षों में राज्य में जल संकट गहराता चला जा रहा है। 15 फुट से लेकर 200 फुट तक जल स्तर गिर चुका है। इस सबसे पीछे पानी की अंधाधुंध बर्बादी बड़ा कारण है। रा’य में 1 लाख के करीब ट्यूबवैल धरती का सीना चीरते हुए पानी का दोहन कर रहे हैं। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पिछले 3 दशकों में 200 गुना ’यादा पानी का दोहन हुआ है। बठिंडा, मानसा, मुक्तसर, फरीदकोट और फिरोजपुर का कुछ क्षेत्रफल जो कि व्हाइट जोन (कुल व्हाइट जोन-26) कहलाता था मगर अब प्रदूषण के कारण इसके पानी में नमक और क्लोराइड की मात्रा बढ़ गई है। नवांशहर और होशियारपुर के पानी में सलेनियम पाया गया है। वहीं प्रदेश के कई हिस्सा में भू-जल में नाइट्रेट पाया गया है। 

बीनेवाल में 1200 फुट गहरा लगाना पड़ा ट्यूबवैल
हिमाचल प्रदेश के साथ सटे जिला होशियारपुर के कस्बा बीनेवाल में जल स्तर इतना गहरा गया है कि ट्यूबवैल लगाने के लिए 1200 फुट गहरा बोर करना पड़ा। फिलहाल बोर करते समय 700 फुट की गहराई पर पानी मिल गया था लेकिन यह बोर 1200 फीट तक करना पड़ा। वहीं पंजाब के कई जिलों में 400 फुट तक गहरे ट्यूबवैल लगाने पड़ रहे हैं। जो ट्यूबवैल 200 फुट की गहराई पर हैं वे नाकारा साबित हो रहे हैं।   

पंजाब में गहराता जल संकट

कुल ब्लाक- 138
डार्क जोन- 108
ग्रे जोन- 4 
वाइट जोन- 26

 

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