लीची खाने से पहले हो जाएं सावधान, इन बातों का रखें खास ध्यान

punjabkesari.in Monday, Jun 24, 2019 - 04:44 PM (IST)

लुधियाना/जालंधर (सोमनाथ. सलूजा/सहगल, रत्ता): बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (ए.आई.एस.) यानी चमकी बुखार का कहर जारी है। राज्य में अब तक सौ से ज्यादा बच्चों की जानें जा चुकी हैं। इस रोग में बच्चे का शरीर तपने लगता है, जिसकी वजह से उसके शरीर में कंपन और झटके लगते रहते हैं। शरीर में बार-बार लगने वाले इन झटकों की वजह से इसे क्षेत्रीय बोली में ‘चमकी बुखार’ कहा जाता है। यह पहला मौका नहीं जब बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम फैला है और यह भी नहीं कि ए.आई.एस. अकेले बिहार में ही फैल रहा है। 

2014 में ए.आई.एस. कारण 390 बच्चे थे अस्पताल में भर्ती
पिछले दो दशकों में ए.आई.एस. से देश में हजारों मौतें हो चुकी हैं। 2014 में जब बड़े स्तर पर मुजफ्फरपुर में ए.आई.एस. फैला और 390 बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए तो इसके कारण जानने की कोशिश की गई। कुछ माह की जांच के बाद ‘द लेंसेट ग्लोबल हैल्थ जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार ए.आई.एस. के फैलने का कारण लीची में पाया जाने वाला विषैला तत्व मिथाइलीन साइक्लोप्रॉपिल ग्लाइसिन (एम.सी.पी.जी.) माना गया। अब भी जब बड़े स्तर पर ए.आई.एस. फैला है और लीची को कारण बताया जाने लगा है तो पंजाब केसरी ने हैल्थ अलर्ट के तहत बागवानी विभाग पंजाब के विशेषज्ञों, पैथोलॉजिस्ट और मैडीसन स्पैशलिस्ट के साथ इस विषय पर बात की।

धूप में रखी लीची का सेवन कम किया जाए
निष्कर्ष के तौर पर विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि क्योंकि लीची को बहुत जल्द फंगस लगती है इसलिए धूप में रखी लीची का सेवन कम किया जाए और यह भी ध्यान रखा जाए कि इन दिनों रात का खाना जरूर खाया जाए क्योंकि लीची खाने और अत्यधिक गर्मी के कारण शरीर में ग्लूकोज की कमी हो जाती है जिससे एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम होने का खतरा बढ़ जाता है, खासकर बच्चों में। बागवानी विभाग पंजाब के एक अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर लीची से बीमार पडऩे पर मोहर लगा दी है। इस अधिकारी ने बताया कि यदि हम सभी फलों की बात करें तो सबसे जल्द खराब होने वाला फल लीची ही है। उन्होंने इस संबंध में एक मिसाल देते हुए बताया कि आप लीची को केवल एक- दो घंटे के लिए धूप में रखें और उसके बाद यदि आपने इसका सेवन कर लिया तो आपका बीमार पडऩा निश्चित ही है क्योंकि धूप लगते ही लीची में फंगस उत्पन्न हो जाती है जो एक मनुष्य के लिए घातक साबित हो सकती है।

जमीन पर गिरी लीची का सेवन हो रहा जानलेवा साबित
इस अधिकारी ने यह भी जानकारी सांझी की कि यदि हम कोई फल या सब्जी, जिस पर ताजा स्प्रे हुआ हो, खा लेते हैं तो वह एक मनुष्य के लिए शारीरिक तौर पर समस्या पैदा कर सकता है। जिस तरह अन्य फसलों को कीड़ा लगता है, उसी तरह लीची को भी कीड़ा लगता है, लेकिन यदि समय पर स्प्रे कर लिया जाए तो लीची का फल रोग मुक्त हो जाता है। इस अधिकारी ने बिहार में पैदा हुए हालात के बारे में यह खुलासा किया कि सबसे अधिक लीची की पैदावार बिहार में ही होती है और वहां पर लीची की तुड़वाई ज्यादातर रात के समय में ही होती है और यह तुड़वाई वहां के गरीब परिवारों से संबंधित बच्चे ही करते हैं। तुड़वाई के समय यह बच्चे जमीन पर गिरी लीची का सेवन कर लेते हैं जो उनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है।

फिलहाल पंजाब में लीची को लेकर कोई समस्या नहीं 
पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के बागवानी विभाग के मुखी डा. हरमोहिंदर सिंह ने दावा किया कि लीची समेत फल व सब्जियां मनुष्य हेतु सेहतमंद उत्पाद हैं। लीची एक ऐसा फल है जो विटामिन सी से लैस है। इस फल की तो मैडीकल तौर पर डाक्टर भी सिफारिश करते हैं। पंजाब में लीची के सेवन को लेकर किसी भी स्तर पर कोई समस्या नहीं है। यहां यह बता दें कि लीची के प्रति जागरूकता को लेकर आज पठानकोट में लीची शो का आयोजन किया गया। जिसमें पी.ए.यू. व बागवानी विभाग के माहिरों ने लोगों को लीची खाने के फायदे बताए। 

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