आखिर कहां गए यूक्रेन में लापता हुए भारतीय छात्र ?

punjabkesari.in Thursday, Mar 03, 2022 - 02:49 PM (IST)

जालंधर (अनिल पाहवा): पंजाब से विदेश जाने का क्रेज अक्सर युवाओं में देखा जाता है और इस क्रेज का फायदा समय समय पर ट्रैवल एजेंट भी उठाते रहे हैं यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध की खबरों के बीच एक वाह खबर भी मीडिया में चल रही है कि कुछ भारतीय छात्र लापता हो गए हैं। लापता छात्र कहां गए और किसके संपर्क में हैं, यह कोई नहीं जानता।

इस सबके बीच एक यह संभावना भी जताई जा रही है कि लापता हुए हैं, उनमें से कुछ यूरोप की सीमा में दाखिल होकर शायद गायब हो गए हैं। खबर यह भी आ रही है कि कुछ ऐसे छात्र भारत में ट्रैवल एजेंटों के संपर्क में थे, जिन्होंने उन्हें इस मौके का फायदा उठाने की सलाह दी। कुछ एजेंटों के इस रवैये के कारण एक बार फिर से छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है।

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बिना वीजा यूरोपीय देशों में एंट्री
यूक्रेन में युद्ध के हालात होने के कारण 18000 के करीब भारतीय छात्रों में से कईयों को निकाला जा चुका है, जबकि बाकियों को निकालने के लिए ऑप्रेशन गंगा चल रहा है। इस सबके बीच कुछ यूरोपीय देशों ने भारतीय छात्रों को अपने देश में बिना वीजा आने की अनुमति दे दी है। इन देशों से ही 'ऑप्रेशन गंगा' के तहत छात्रों को एयर लिफ्ट किया जा रहा है। इस सबके बीच जिन छात्रों के लापता होने की खबरें आ रही हैं, उन्हें लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है।

दरअसल यूक्रेन में जहां युवा एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई करने जाते हैं, वहीं रशियन लैंग्वेज फोर्स के लिए भी ट्रैवल एजेंट युवाओं को भेज देते हैं। लैंग्वेज कोर्स तो सिर्फ एक बहाना होता है, इसकी आड़ में एजेंट युवाओं को यूरोपीय बॉर्डर पार करवा कर मोटी कमाई करते हैं। यूक्रेन से पोलैंड की दूरी करीब 1100 कि.मी. है। इस संबंध में अक्सर सोशल मीडिया पर खबरें चलती रहती हैं।

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सख्त वीजा नियम
विदेश या खासकर यूरोप जाने का शौक रखने वाले पंजाब में बहुत सारे युवा हैं, जिन्हें वीजा मिलने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यूरोप का शनैगन वीजा आसानी से नहीं मिलता। खासकर इटली और फ्रांस जैसे देश पंजाब के लोगों को वीजा देने में कई सख्त नियम अपनाते हैं। इसी कारण एजेंट यूरोपीय देशों में भारतीयों को पहुंचाने के लिए यूक्रेन का सहारा लेते हैं। पंजाब के एजेंट यूक्रेन में लैंग्वेज कोर्स करवाने के लिए 5 लाख रुपए तक ले लेते हैं, जबकि यह कोर्स सिर्फ 8 महीने का होता है। 

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एजेंटों की प्लानिंग का हिस्सा 
चर्चा इस बात की भी है कि भारत से कई युवाओं को एजेंटों ने पहले ही यूक्रेन पहुंचाया हुआ था, ताकि समय आने पर उन्हें यूरोप में दाखिल करवाया जा सके। ऐसे में यह भी संभावना है कि यूक्रेन रूस युद्ध की आड़ में इन एजेंटो ने छात्रा को पोलैंड बॉर्डर पार करने की सलाह दी हो और वहां से इन्हें गायब कर दिया हो। जानकार यह भी बता रहे हैं कि इसी चक्कर में गए छात्र अब वापिस भारत नहीं आना चाहते, क्योंकि एक बार भारत आ गए तो उन्हें दोबारा वापिस जाने के लिए फिर से पैसे खर्च करने होंगे। शायद यही कारण है कि कई भारतीय छात्र इसी आड़ में गायब हो गए हैं।

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पोलैंड: आसान जरिया: कई अन्य देशों के साथ-साथ यूक्रेन से भारतीय छात्रों को अपने देश में शरण देने वालों में पोलैंड भी है। पोलैंड शनेगन कंट्री के समूह का हिस्सा है, जिसे यूरोपियन भी कहा जाता है। भारत से जाने वालों के लिए यही देश सबसे आसान है क्योंकि एक बार पोलैंड में एंट्री हो गई तो उसके बाद आसानी से सड़क या रेलमार्ग से इटली, फ्रांस या अन्य यूरोपियन देशों में जाया जा सकता है और सबसे बड़ी बात यह है कि इन देशों में जाने के लिए वीजा भी जरूरी नहीं है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि यूक्रेन से गायब हुए कई छात्र संभवतः पोलैंड के रास्ते यूरोप में दाखिल हो चुके हैं।

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News Editor

Kalash