पंजाब में सरकारी नौकरियों में महिलाओं की संख्या एक चौथाई से भी कम क्यों?

punjabkesari.in Saturday, Oct 17, 2020 - 09:20 AM (IST)

जालंधर(विशेष): पंजाब सरकार ने सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों में सीधी भर्ती में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी देकर महिला सशक्तिकरण और उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान की दिशा में एक अच्छा और सराहनीय कदम उठाया है। सरकार ने 2022 तक लगभग एक लाख रिक्त पदों को भरना है तथा 2022 में ही पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। 

समयबद्ध योजना स्वागतयोग्य है। मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के बाद 3 वर्ष पहले मार्च 2017 में पहली कैबिनेट बैठक में महिलाओं को नौकरियों में कोटा देने का फैसला किया गया था। कार्यान्वयन की प्रक्रिया को त्वरित और पारदर्शी बनाए जाने की आवश्यकता है, ताकि नौकरी के इच्छुक लोगों की संभावनाओं को आगे न बढ़ाया जाए। पंजाब में घटते हुए लिंगानुपात के आंकड़ों को ठीक करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना होगा। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार शिक्षकों के कैडर में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण के बावजूद स्टाफ में सिर्फ एक चौथाई महिलाएं ही काम करती हैं। यह पुरुष प्रधान मानसिकता को प्रतिबिंबित करता है जो महिलाओं को वित्तीय मुक्ति के लिए बाहर जाने से रोकती है। यह तथ्य है कि रोजगार विनिमय में नौकरी चाहने वालों में महिलाओं की संख्या एक तिहाई से भी कम है। यह दयनीय स्थिति है, यह देखते हुए कि मेधावी महिला उम्मीदवारों की कोई कमी नहीं है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से पास होने वाली लड़कियों का प्रतिशत और अंतर लड़कों की तुलना में लगातार बढ़ रहा है। 

महिला कार्यबल में भी पंजाब को राष्ट्रीय औसत के साथ कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। 2014 में जारी छठे आर्थिक जनगणना दस्तावेज से पता चलता है कि कार्यरत कुल व्यक्तियों में महिला श्रमिकों का प्रतिशत पंजाब में 18.21 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 25.56 प्रतिशत है। भले ही सरकार ‘घर-घर रोजगार’ प्रदान कर रही है, लेकिन उसे यह समझने की जरूरत है कि नीति आयोग के अध्ययन के अनुसार पिछले एक दशक में क्यों कम ही महिलाएं अपनी आजीविका कमाने के लिए आगे बढ़ रही हैं। अधिकांश कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए पुरुष प्रधान और गैर-जन्मजात माहौल इसके उदाहरण हैं। समस्या को ठीक किया जाना चाहिए।

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