महिला वकीलों के लिए खुशखबरी ! बार कौंसिलों में आरक्षण को लेकर कोर्ट ने दिये ये संकेत
punjabkesari.in Friday, Nov 07, 2025 - 07:58 PM (IST)
पंजाब डैस्क : देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है। यह याचिका अधिवक्ता शैला चौधरी द्वारा दायर की गई है, जिसमें पूरे देश की राज्य बार काउंसिलों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटों का आरक्षण देने की मांग की गई है। साथ ही, याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रत्येक राज्य बार काउंसिल में कम से कम एक पदाधिकारी का पद (office-bearer post) महिलाओं के लिए रोटेशन आधार पर आरक्षित किया जाए। कोर्ट ने इस याचिका पर नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर 2025 के लिए निर्धारित की है। अदालत ने संबंधित सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
याचिका में 2 मई 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए उस आदेश का उल्लेख किया गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की कार्यकारिणी समिति में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने के निर्देश दिए गए थे। अब इसी व्यवस्था को देशभर की राज्य बार काउंसिलों में लागू करने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि देश की राज्य बार काउंसिलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद सीमित है। आंकड़ों के अनुसार, कुल 441 निर्वाचित सदस्यों में से मात्र 9 महिलाएं हैं — यानी केवल 2.04%। गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र व गोवा, पंजाब एवं हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसी प्रमुख राज्य बार काउंसिलों में एक भी महिला सदस्य नहीं है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि महिलाओं ने बार-बार अपनी क्षमता साबित की है, लेकिन कानूनी पेशा अब भी पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता है। “महिला अधिवक्ताओं से जुड़े मुद्दों पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है। इसका एक बड़ा कारण राज्य बार काउंसिलों और बार एसोसिएशनों में महिलाओं की नगण्य भागीदारी है,” याचिका में कहा गया है।
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 15(3) का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्य को महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार है। साथ ही यह भी बताया गया है कि संसद, राज्य विधानसभाओं, पंचायती राज संस्थाओं, नगरपालिकाओं और सहकारी समितियों में पहले से ही महिलाओं के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू है, तो विधि परिषदों में भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।

