कृषि कानून के खिलाफ विस सत्र बुलाने को तैयार, हर फ्रंट पर लड़ाई लड़ेंगे: अमरेंद्र

punjabkesari.in Wednesday, Sep 30, 2020 - 10:10 AM (IST)

चंडीगढ़/जालंधर(अश्वनी, धवन): कृषि कानून के मसले पर पंजाब सरकार एक दिवसीय विधानसभा सत्र बुला सकती है। पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह ने मंगलवार को किसान संगठनों के साथ बैठक में यह भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों की पूरी मदद करेगी। नए कृषि कानूनों के खिलाफ कानूनी हल समेत सभी संभव कदम उठाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने 31 किसान संगठनों के नुमाइंदों के साथ इस मुद्दे पर उनके विचार जानने के लिए बुलाई मीटिंग की अध्यक्षता की। इसमें उन्होंने कहा कि वह कानूनी विशेषज्ञों की टीम के साथ इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे और आगे उठाने वाले कदमों को अंतिम रूप देंगे, जिनमें इन कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना शामिल होगा। इस मौके पर किसानों के नुमाइंदों के अलावा कुल हिंद कांग्रेस के महासचिव और पंजाब मामलों संबंधी इंचार्ज हरीश रावत समेत कैबिनेट मंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा, गुरप्रीत सिंह कांगड़, भारत भूषण आशु और विधायक राणा गुरजीत सिंह, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ और एडवोकेट जनरल अतुल नंदा भी मौजूद थे।

संवैधानिक अधिकारों पर हमले का जवाब देंगे 
मुख्यमंत्री ने किसान नेताओं को भरोसा देते हुए कहा, ‘हम केंद्र सरकार की ओर से रा’य के संघीय और संवैधानिक अधिकारों पर किए हमलों का जवाब देने के लिए हर कदम उठाएंगे और किसानों के हितों के लिए लड़ेंगे।’ यदि कानूनी विशेषज्ञों ने कहा तो केंद्रीय कानूनों का मुकाबला करने के लिए प्रांतीय कानूनों में संशोधन किया जाए तो ऐसा करने के लिए तुरंत ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि मौजूदा हालात में सबसे सही रास्ता यही है तो सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने पर कोई एतराज नहीं है। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल द्वारा विधानसभा के विशेष सत्र की मांग को ड्रामेबाजी करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले तो महीनों तक अकालियों ने केंद्रीय कानूनों की खुलकर हिमायत की थी। उन्होंने पूछा कि पिछले सत्र में अकाली कहां थे और क्यों सुखबीर ने सर्वदलीय मीटिंग में अन्य पक्षों की तरह हिमायत नहीं की।


केंद्र को कानून बनाने का हक नहीं 
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को ऐसे कानून बनाने का कोई हक ही नहीं है। यह कानून बनाना संविधान का उल्लंघन और संघीय ढांचे पर हमला है। मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि यह लड़ाई कई मोर्चों पर लड़ी जाएगी और बीते दिनों कुल ङ्क्षहद कांग्रेस के सचिव हरीश रावत द्वारा किए ऐलान के मुताबिक हस्ताक्षर मुहिम के अलावा राज्य की सभी पंचायतों को विनती की जाएगी कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करें, जिन्हें केंद्र को भेजा जाएगा।

कृषि हो जाएगी तबाह
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर यह नए कानून लागू हो गए तो कृषि तबाह हो जाएगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘आने वाले समय में भारत सरकार द्वारा इन काले कानूनों के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) और एफ.सी.आई. का खात्मा किया जाएगा, जिससे चली आ रही खरीद और मंडीकरण प्रणाली का अंत हो जाएगा। जो मंडियां गत 60 वर्षों से अस्तित्व में हैं और अ‘छा काम कर रही हैं, उनका खात्मा हो जाएगा और एम.एस.पी. के अंत से गेहूं भी मक्का की तरह ही बिकेगी, भाव इसकी कीमतें एम.एस.पी. से काफी कम होंगी।’’

प्रधानमंत्री को 3 बार पत्र लिखा 
मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने बिल के पास होने से पहले ही प्रधानमंत्री को & बार पत्र लिखकर उनसे अपील की कि इन बिलों को आगे न बढ़ाया जाए, क्योंकि इससे पूरे देश में बहुत सी समस्याएं पैदा होंगी, परंतु प्रधानमंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया। यहां तक कि कोविड के कठिन समय में पराली जलाने को रोकने के लिए बोनस देने संबंधी उनकी विनती को भी नहीं सुना गया। गत 8 माह में केंद्र सरकार से जी.एस.टी. का मुआवजा भी प्राप्त नहीं हुआ है। 

किसानों के प्रदर्शन के लिए अध्यक्ष पद छोडऩे को तैयार : जाखड़ 
कृषि बिलों के विरुद्ध किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का वायदा करते हुए पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि वह इसको राजनीतिक रंगत दिए बिना किसानों के रोष प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षता का पद छोडऩे को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि ‘केंद्र ने कलम नाल किसानां नूं मारेया है अते असीं कलम नाल बचांवांगे’। हालांकि, उन्होंने भरोसा दिया कि मुख्यमंत्री केंद्र सरकार द्वारा किसान भाईचारे पर किए हमले का मुकाबला करने के लिए पानी के मुद्दे पर लिए दिलेराना फैसले की तरह इसका भी रास्ता ढूंढ लेंगे।

किसान यूनियन ने जताया रोष
भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि यह कानून दो तरह की मंडियों की स्थापना के लिए रास्ता साफ करेगा, जहां एक मंडी टैक्स वाली और दूसरी मंडी प्राइवेट लोगों के लिए बिना टैक्स से होगी, जो आखिर में सरकारी मंडियों को तबाह कर देगी और कॉर्पोरेट का एकाधिकार और किसानों का शोषण शुरू हो जाएगा। उन्होंने पंजाब और यहां के किसानों की रक्षा के लिए विधानसभा के विशेष सत्र के द्वारा प्रांतीय कानून पास करने के हक की बात की।


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