फाइल पर ‘प्रायोरिटी’ शब्द लिखवाओ, जी.एस.टी. रिफंड ले जाओ

punjabkesari.in Sunday, Jan 19, 2020 - 08:34 AM (IST)

लुधियाना(धीमान): स्टेट जी.एस.टी. विभाग के अधिकारी काम करने के लिए चाहे कोई नया अविष्कार न करें, लेकिन रिश्वत लेने के लिए नई-नई तकनीक निकाल ही लेते हैं। जो रजिस्टर्ड डीलर अधिकारियों को उनकी निजी फीस अदा कर दे उसे प्राथमिकता के आधार पर जी.एस.टी. रिफंड मिल जाता है जबकि बाकियों को यह कहकर लौटा दिया जा रहा है कि सरकारी खजाने में पैसा नहीं है इसलिए रिफंड जारी नहीं किया जा सकता। 

कारोबारी शोर न मचाएं उसके लिए रिफंड के वाऊचर बनाकर ट्रजरी ब्रांच में पिछले 6 महीने से भेजे हुए हैं, जो फाइलों में बंद हैं। कारोबारियों का कहना है कि जो पैसा ट्रजरी में आता है उसमें से उसी फाइल का रिफंड दिया जाता है, जिस पर प्रायोरिटी यानी प्राथमिक शब्द लिखा होता है। इसकी एवज में 10 प्रतिशत तक की रिश्वत का खेल खेला जाता है। यदि सरप्लस पैसा आ भी जाए तो उसका रिफंड क्लीयर करने के लिए 3 से 5 फीसदी की रिश्वत चलती है। 

एक साइकिल कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसका रिफंड 30 सितम्बर से बनकर ट्रजरी ब्रांच में गया हुआ है। पूछने पर अधिकारी कहते हैं कि खजाना खाली है। इसी तरह दूसरे साइकिल कारोबारी ने बताया कि उनका जी.एस.टी. रिफंड मिलना तो दूर वैट रिफंड आज तक नहीं मिला। जबकि जी.एस.टी. सिस्टम को लागू हुए 2.5 साल से ऊपर हो गए हैं। कारोबारी नाम छापवाने से डरते हैं कि यदि अधिकारियों के खिलाफ बोला गया तो वे उनका नुक्सान कर सकते हैं। इसी चक्कर में कोई सामने आने को तैयार नहीं होता। पंजाब केसरी के पास अंदाजन हौजरी व साइकिल इंडस्ट्री से करीब 40 कंपनियों के नाम सामने आए हैं जिनका रिफंड अधिकारियों ने आज तक जारी नहीं किया। इसके अलावा उन कंपनियों के नाम भी है जिन्हें प्रायोरिटी के आधार पर रिफंड दे दिया गया है।

सही हैं तो क्यों घबराते हैं लुधियाना डी.ई.टी.सी. प्रैस का सामना करने से
लुधियाना के डिप्टी एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर पवन गर्ग पिछले कई सालों से यहीं जमे बैठे हैं लेकिन अगर उन्हें प्रैस सवाल करे तो वह भाग निकलते हैं। बात करने से इतना घबराते हैं कि कहीं कोई गलत बयान न दिया जाए। इससे साफ है कि अगर वह और उनके अधिकारी सही काम कर रहे हैं तो उन्हें सामने आना चाहिए।

50 करोड़ का रिफंड देने को नहीं और सरकार चली 50 हजार करोड़ का निवेश लेने 
फैडरेशन ऑफ पंजाब स्माल इंडस्ट्रीज के प्रधान बदीश जिंदल कहते हैं कि पंजाब सरकार कारोबारियों को सिर्फ गुमराह कर रही है। इनवैस्ट पंजाब के नाम पर 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश लाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन लुधियाना की पुरानी इंडस्ट्री का बकाया पड़ा करीब 50 करोड़ का रिफंड देने के लिए खजाना खाली है। यह समझ से परे है कि प्रायोरिटी वाली फाइलों को रिफंड देने के लिए कहां से पैसा आता है। भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से ही पंजाब का कारोबार मंदी की कगार पर है। हाल ही में ए.ई.टी.सी. स्तर का एक अधिकारी 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते विजीलैंस ने पकड़ा है। अधिकारी कितनी रिश्वत मांगते हैं इसी केस से अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार से मांग है कि वह जल्द ही बिना रिश्वत लिए जी.एस.टी. रिफंड अदा करवा दे अन्यथा, कारोबारियों को एकजुट होकर सड़कों पर आना पड़ेगा। सरकार के पास गाड़ियां खरीदने के लिए पैसा है लेकिन कारोबारियों को देने के लिए कुछ नहीं।


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Edited By

Sunita sarangal

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