विदेशों में सेट होने की दौड़ में नौजवान पीढ़ी, जमीनों के गिराए रेट

punjabkesari.in Tuesday, Dec 10, 2019 - 03:15 PM (IST)

गुरदासपुर(हरमन): पंजाब में से हजारों नौजवानों के विदेशों की ओर हो रहे प्रवास ने जहां प्रांत के प्राइवेट शिक्षा तंत्र को मंदहाली की कगार पर ला खड़ा किया है वहीं नौजवानों के इस रुझान कारण ग्रामीण क्षेत्र में जमीनों के रेट भी औंधे मुंह गिर पड़े हैं। मौजूदा समय में स्थिति यह बनी हुई है कि कुछ वर्ष पहले तक रियल एस्टेट के साथ जुड़े कारोबारी जो कई जमीनों के मुंह मांगे रेट देने के लिए भी तैयार थे, अब उन जमीनों को पहले के मुकाबले आधे रेटों पर खरीदने के लिए भी कोई व्यापारी तैयार नहीं है। ऐसे हालातों के मद्देनजर फिलहाल ग्रामीण क्षेत्र में जमीनों की खरीद-फरोख्त के रुझान में बड़ी गिरावट नजर आ रही है।

कृषि का धंधा लाभदायकन रहने के कारण भी घटे रेट
कृषि का धंधा लाभदायक न रहने कारण पहले ही नौजवान खेती के काम को प्राथमिकता देना बंद कर चुके थे और कुछ नौजवान ही अब अपने घर-कृषि के कामकाज में रुचि दिखाते हैं। दिनों-दिन बढ़ रहे खेती खर्च और किसानों की बढ़ रही मुश्किलों कारण लोगों का कृषि से मोह भंग होना शुरू हो रहा है जिस कारण खेती-जमीनों के रेट कम होने स्वाभाविक हैं। यहां तक कि गांवों में जमीनों को ठेके पर लेने के इच्छुक किसान भी अब कम से कम राशि देकर जमीन ठेके पर लेना चाहते हैं जबकि पहले यही जमीनें ठेके पर लेने के लिए किसान बढ़-चढ़कर बोली लगाते थे।

प्रवासी पंजाबियों ने बदला रुझान
पंजाब में नौजवानों को रोजगार की कमी और अन्य कई कारणों से अब जब 12वीं कक्षा पास करके बहुसंख्या नौजवान लड़के-लड़कियां यहां पढ़ाई करने की बजाय विदेशों में जाने को प्राथमिकता देने लग पड़े हैं तो जमीनों को लेकर प्रवासी पंजाबियों का रुझान भी बदल चुका है। कुछ वर्ष पहले तो पंजाब के नौजवान जब विदेशों में जाकर अच्छी नौकरियां या कारोबार करने लग जाते थे तो वे विदेशों में कमाए पैसे को पंजाब में भेजकर गांवों में जमीनें खरीदने को शान समझते थे। ऐसे कई प्रवासियों के फार्म हाऊस और गांवों में बहु-मंजिला घर इन प्रवासियों की शान और सफलता की कहानी बयान करते थे परन्तु अब स्थिति इसके उलट हो चुकी है क्योंकि ज्यादातर नौजवान इस कोशिश में हैं कि वे अपनी जमीनें बेच कर विदेशों में जाकर कारोबार करें। 

एकदम आया था उछाल
करीब 10 वर्ष पहले ग्रामीण जमीनों के रेटों में इतना उछाल आया था कि आम जमीनों के रेट 10-15 लाख रुपए प्रति एकड़ से ज्यादा कर 30 लाख रुपए को भी पार कर गए थे। यहांं तक कि बहुत-सी जमीनों को किसान केवल इस कारण बेचने के लिए तैयार हो जाते थे कि उनको जमीन का रेट कई गुना ज्यादा मिल जाता था। और तो और शहरी क्षेत्रों के समीप जमीनों को प्लाटों के रूप में तबदील करने का रुझान भी इतने बड़े स्तर पर शुरू हुआ था कि जो लोग कोई और कारोबार नहीं ढूंढते थे, उन्होंने भी इस कारोबार में किस्मत आजमाने के लिए जमीनों की खरोद-फरोख्त का कार्य शुरू किया था। इसके चलते अनेक जमीनें रजिस्ट्री से पहले बयानों के आधार पर ही कई-कई बार बिक जाती थीं।

सरकार कीआमदन पर भी पड़ा प्रभाव: रंधावा
जमीनों की खरीद-फरोख्त का काम कम हो जाने का सीधा प्रभाव सरकार की माली हालत पर भी पड़ा है। पटवार यूनियन के जिला प्रधान दविंद्र सिंह रंधावा ने कहा कि अब तो स्थिति यह बनी हुई है कि जमीनों की कमॢशयल रजिस्ट्रियां कम हो रही हैं और तहसीलों में ज्यादातर केस खून के रिश्तों में जमीन के तबादलों से संबंधित होते हैं जबकि सरकार की आमदन का साधन बनने वाली कमॢशयल रजिस्ट्रियों की संख्या काफी कम हो चुकी है।  

किसी भी हालत में विदेश जाना चाहते हैं नौजवान: गौरव
वीजा विशेषज्ञ गौरव चौधरी ने कहा कि जमीनें खरीदने संबंधी नौजवानों का मोह इस हद तक भंग हो चुका है कि जब विदेश जाने के लिए नौजवानों को फंड शो करने पड़ते हैं तो ज्यादातर नौजवान अपने माता-पिता को इस बात के लिए मनाने की कोशिश करते हैं कि जमीन को बेचकर उनको विदेश में भेज दें। यहां तक कि जो नौजवान विदेशों में चले भी जाते हैं, वे भी जमीन बेचने के लिए जल्दी में रहते हैं। 

जमीनें बेचने के मामले में कई लोग मजबूर: पूर्व सरपंच
ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित समाजसेवी और पूर्व सरपंच मलकीयत सिंह बिल्ला ने कहा कि जमीनें बेचने के मामले में कई लोग मजबूर हैं। बच्चों का पंजाब में कोई भविष्य न होने के कारण मां-बाप के पास बच्चों को विदेश भेजने का ही विकल्प बचता है क्योंकि यहां पढ़ाई पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद नौजवानों को अच्छा रोजगार नहीं मिलता इसलिए अब किसी एक गांव, जिले में नहीं बल्कि समूचे पंजाब में लोगों का जमीनों से मोह भांग हो चुका है।

Vaneet