पंजाब की सियासत में हलचल! विधानसभा चुनावों के लिए नई तैयारी में BJP

punjabkesari.in Saturday, Dec 06, 2025 - 03:33 PM (IST)

जालंधर(अनिल पाहवा): पंजाब में हो रहे जिला परिषद के चुनावों में इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प देखने को मिल रहा है क्योंकि ग्रामीण इलाकों से संबंधित इन चुनावों में आम तौर पर सत्ताधारी पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस तथा शिरोमणि अकाली दल को मैदान में उतरते देखा गया है, लेकिन इस बार इन सभी राजनीतिक दलों को टक्कर देने के लिए भारतीय जनता पार्टी भी मुस्तैदी से मैदान में उतर रही है। जो वोट पहले दो तीन दलों के बीच में बंटते थे और जिनके आधार पर जीत हार का फैसला होता था, उन वोटों में अब भाजपा भी सेंध लगाने में जुट गई है और इसका नुक्सान किसे होगा, यह चुनाव परिणाम में साफ हो जाएगा। लेकिन जिस तरह से भाजपा ने जिला परिषद व ब्लाक समिति के चुनावों के लिए तैयारी कसी है, उससे पार्टी का वर्कर तो उत्साहित है ही, आम पब्लिक में भी चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

जहां कभी नामोनिशान नहीं, वहां अब कई दावेदार
जिला परिषद के इन चुनावों का आयोजन पंजाब के 14653 गांवों में इन दिनों जोर -शोर से चल रहा है और सभी राजनीतिक दल जोर-आजमाइश कर रहे हैं। इनमें से बहुत सारे इलाके ऐसे हैं, जहां पर भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार पहली बार मैदान में उतर रहा है। भाजपा किस स्तर पर तैयारी में जुटी है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन जिला परिषद क्षेत्रों में कुल 357 जोन हैं और इनमें 279 उम्मीदवारों के कागज दाखिल किए गए हैं। यह शायद पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में कागज भरे गए हैं। इसी प्रकार ब्लाक स्तर पर भी इस बार काम तेजी से चल रहा है। 2777 ब्लाक जोन में भाजपा के लोगों ने 1569 कागज दाखिल किए। कई इलाकों में पार्टी के उम्मीदवारों के कागज रिजैक्ट भी हुए हैं, इस संबंध में अंतिम डाटा आना अभी बाकी है, लेकिन बड़ी बात यह है कि जिन इलाकों में कभी भाजपा का नामो निशान तक नहीं था, उन इलाकों में पार्टी के कागज दाखिल करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। जीत-हार बाद की बात है, लेकिन खास बात यह है कि पार्टी कोशिश कर रही है।

सिर्फ 'शहरां दी पार्टी' टैगलाइन को पीछे छोड़ रही भाजपा
अंग्रेजी का एक शब्द है 'हिंटरलैंड' और यह शब्द भाजपा के लिए काफी चर्चा में है। हिंटरलैंड का मतलब होता है कि दूर दराज के गांव या इलाके। और भाजपा का टार्गेट आजकल ये हिंटरलैंड ही है। भाजपा को अकसर शहरी पार्टी के तौर पर जाना जाता रहा है, लेकिन पिछले कुछ समय से पार्टी ने गांवों की ओर रुख किया है और पार्टी की कोशिश है कि वह खुद को  सिर्फ 'शहरां दी पार्टी' के टैगलाइन से खुद को बाहर निकाल सके। 'पिंडा दी पार्टी' वाली टैगलाइन एकदम से तो नहीं मिलेगी, लेकिन गांवों में खुद को स्थापित करने के लिए पार्टी के पास काफी बड़ा मैदान है।

सदस्यता अभियान में भी गांवों में मिला था पाजीटिव रिस्पांस
पंजाब में भाजपा गांवों में कामयाबी हो रही है या नहीं, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पार्टी की तरफ से शुरू किया गया सदस्यता अभियान शहरों के साथ-साथ गांवों में भी चल रहा है और पिछले समय के मुकाबले पार्टी को इस बार के सदस्यता अभियान में गांवों में काफी पाजीटिव रिस्पांस मिल रहा है। 2 सितंबर 2024 को देश भर में भाजपा ने सदस्यता अभियान शुरू किया। इस सदस्यता अभियान में भाजपा को गांवों से पाजीटिव रिस्पांस मिला तथा पार्टी ने उन इलाकों में भी नए सदस्य बनाए, जहां कभी भाजपा का झंडा तक नहीं देखा जाता था। जानकारी के अनुसार उक्त सदस्यता अभियान में भी भाजपा के कुल सदस्यों के अतिरिक्त करीब डेढ़ लाख नए सदस्य गांवों से ही जुड़े थे।  पिछले ब्लाक समितियों के चुनावों में भी अगर देखा जाए तो पंजाब में भाजपा ने 12,738 ब्लाक में 3391 उम्मीदवारों को सरपंच पद के लिए मैदान में उतारा था, जिनमें 1040 उम्मीदवार विजयी रहे।

निकाय चुनावों में भी मजबूत दिखी थी भाजपा
पिछले वर्ष पंजाब में हुए निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की सफलता इस बात से आंकी जा सकती है कि पार्टी को 2017 के मुकाबले 2024 में न केवल बेहतर वोट मिले, बल्कि पार्टी की टिकट पर जीतने वालों की संख्या भी बढ़ गई। जालंधऱ नगर निगम में 85 सीटों पर हुए चुनावों में भाजपा ने 2017 में 7 सीटें जीती थीं (उस समय कुल 80 सीटें थीं)। और इस बार दिसंबर 2024 में हुए चुनावों में पार्टी ने 19 सीटें जीतीं, जोकि पहले से काफी बेहतर रहा। यहां एक खास बात यह है कि किसी समय भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली शिरोमणि अकाली दल को 5 सीटों का नुक्सान हुआ था और कांग्रेस जैसी पार्टी को भी 43 सीटों का नुक्सान झेलना पड़ा था। इसी प्रकार लुधियाना में 2018 के मुकाबले 2024 में भाजपा को 9 अतिरिक्त सीटें मिलीं। अमृतसर में भी 2017 में 6 सीटों पर सिमटी भाजपा को 2024 में निकाय चुनावों में 9 सीटें मिलीं थी। पटियाला जैसे इलाके जहां पर भाजपा ने खाता नहीं खोला था, वहां भी पार्टी को इस बार 4 सीटें मिलीं थी।

2027 के रोडमैप के लिए रूरल वोट बैंक पर नजर
पंजाब के रूरल इलाकों में जिस तरह से भाजपा तेजी से आगे बढ़ रही है, अगर यही स्पीड बनी रही, और पार्टी को सफलता मिली तो शायद 2027 के विधानसभा चुनावों तक पार्टी खुद को काफी हद तक स्थापित कर लेगी। भाजपा ने सदा ही शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर पंजाब में चुनाव लड़ा है, लेकिन 2022 के चुनावों में पार्टी अकेले मैदान में उतरी और 62 सीटों पर चुनाव लड़ा। पहले पार्टी अकाली दल के साथ 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी। 2027 के रोडमैप के लिए भाजपा की नजर अब ग्रामीण वोट बैंक पर है और वोट शेयर बढ़ाने के लिए पार्टी की तरफ से हर कोशिश की जा रही है।

पहली बार नहीं ढूंढने पड़े कैंडीडेट
पंजाब में भाजपा गांवों में मैदान में उतरना तो दूर की बात पार्टी अपना सिंबल का भी प्रयोग नहीं करती थी, लेकिन इस बार भाजपा सिंबल पर जिला परिषद, ब्लाक समिति के चुनाव लड़ रही है। इस बार इन चुनावों में कैंडीडेट ढूंढने नहीं पड़े, बल्कि एक-एक सीट से कई कई लोगों ने पार्टी के पास चुनाव लड़ने की मंशा जताई तथा दावा पेश किया। यह पहली बार हुआ है, जब जिला परिषद के चुनावों में पार्टी को बकायदा स्टेट इलैक्शन कमेटी की सेवाएं लेनी पड़ीं। 


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Vatika

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