अहम खबरः Office Time बदलकर 15 जुलाई तक 42 करोड़ रुपए बचाएगा पंजाब

punjabkesari.in Saturday, May 06, 2023 - 10:52 AM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब में 2 मई से सरकारी कार्यालयों का समय बदलने के साथ ही आम आदमी पार्टी की प्रदेश सरकार ने अपनी तरह का ऐसा तुजुर्बा किया है, जो सूबे को पैसे और बिजली की बचत करने में सहायक होगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रशासनिक और पावरकॉम के अधिकारियों के साथ इस बारे में कई दिन चर्चा की थी। उनका मानना था कि बिजली की आपूर्ति आगे धान के रोपाई सीजन में निर्विघ्न रहे, इसके लिए अभी से बिजली बचत की ओर ध्यान देना होगा। 

मान का कहना है कि इस फैसले से रोजाना 350 मैगावाट बिजली की बचत होगी, साथ ही एक अनुमान के अनुसार सरकार का 15 जुलाई तक 40-42 करोड़ रुपए भी बचेगा। पंजाब में ज्यादातर बिजली थर्मल प्लांटों से ही बनती है। जाहिर है कार्यालयों का समय बदलने से थर्मल प्लांट में उपयोग होते कोयले की लागत में भी कमी आएगी। हालांकि रंजीत सागर डैम, भाखड़ा डैम और पौंग डैम से भी पंजाब को बिजली सप्लाई होती है मगर यह थर्मल प्लांटों की तुलना में बहुत कम है। सूबे के रोपड़ थर्मल प्लांट को रोज 14,000 टन, लहरा मोहब्बत प्लांट को 10,000 टन, नाभा थर्मल प्लांट को 14,000 टन, तलवंडी साबो प्लांट को 22,000 टन और गोइंदवाल प्लांट को 7500 टन कोयले की जरूरत रोज पड़ती है, बशर्ते ये थर्मल प्लांट पूरी क्षमता से चलें। इस कड़ी में केंद्र सरकार के आर.एस.आर. (रेल-समुद्र-रेल) के जरिये कोयले की ढुलाई के फैसले से भी पंजाब को और नुक्सान होता मगर मुख्यमंत्री इस फैसले को रुकवाने में कामयाब रहे थे।

भगवंत मान ने आई.एस.आर. मोड पर कोयला लाने की दिक्कतों से केंद्रीय मंत्री को करवाया था अवगत
दरअसल केंद्र सरकार ने कुछ रा’यों को कहा था कि वह रेलवे के जरिये कोयला ले जाने की बजाय रेल मार्ग के साथ समुद्री रास्ता भी जोड़ें। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पहले केंद्र को पत्र लिखा और फिर बिजली मंत्री आर.के. सिंह से मुलाकात कर आर.एस.आर. मोड पर आपत्ति जताते हुए रेलवे के माध्यम से ही कोयला उठाने की छूट मांगी थी। भगवंत मान ने तब केंद्र को बताया था कि एक मालगाड़ी को उड़ीसा के महानदी कोल लिमिटेड से पंजाब के तलवंडी साबो थर्मल प्लांट तक पहुंचने में 1,900 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, जबकि आर.एस.आर. मोड के माध्यम से कोयले को 4,&60 किलोमीटर के समुद्री मार्ग के अलावा रेल द्वारा भी 1,700 से ’यादा किलोमीटर तक पहुंचाया जाएगा। आर.एस.आर. मोड से कोयले को पंजाब पहुंचने में 25 दिन लगते हैं, जबकि रेलवे से सीधे 5 दिन में कोयला उड़ीसा से पंजाब पहुंच जाता है। इससे सूबे के खजाने पर सालाना 200 करोड़ रुपए का बोझ अलग से पड़ता, जिसके कारण सूबे के उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डालना पड़ता।

जनवरी में बढ़ी 12 फीसदी मांग पूरी की थी: हरभजन 
पिछले साल के मुकाबले इस साल पंजाब में जनवरी के दौरान बिजली की मांग 12 प्रतिशत बढ़ी थी। पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने बताया कि पी.एस.पी.सी.एल. ने अपने संसाधनों के माध्यम से बिजली की इस बढ़ी मांग को सफलतापूर्वक पूरा किया। जनवरी, 2022 में 54,2&7 मिलियन यूनिट के मुकाबले इस साल जनवरी में 60,762 मिलियन यूनिट बिजली की मांग रही। इस मांग की पूर्ति के लिए पी.एस.पी.सी.एल. ने राज्य के बाहर से बिजली की व्यवस्था की और खुद के थर्मल और हाइड्रो पावर प्रोजैक्टों से उत्पादन को भी बढ़ाया। 2022 के दौरान लहरा मोहब्बत और रोपड़ में पी.एस.पी.सी.एल. के अपने प्लांटों से थर्मल पावर उत्पादन में 128 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

भारत कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और आयातक
देशभर के कुल बिजली उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत योगदान कोयला देता है। बिजली उत्पादन और कोयले पर यह दिलचस्प जानकारी भी सामने आई है कि भारत दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है मगर साथ ही दूसरा सबसे बड़ा आयातक भी है। 2022-2023 के दौरान देश में 785.24 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन किया गया था। संसद में केंद्र सरकार ने बताया था कि भारत ने फरवरी तक लगभग 186.06 मिलियन टन कोयले का आयात किया, जिसमें इंडोनेशिया सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2022-23 में फरवरी तक इंडोनेशिया से 90.31 मीट्रिक टन, ऑस्ट्रेलिया से 35.27 मीट्रिक टन, रूस से 15.64 मीट्रिक टन और दक्षिण अफ्रीका से 13.01 मीट्रिक टन कोयले का आयात किया है। देश ने इस दौरान रूस से कोयला आयात दोगुना कर दिया जबकि ऑस्ट्रेलिया से आयात घटाकर आधा कर दिया था।


 


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Content Writer

Vatika

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