अभी तक  पंजाब सरकार के ई-गवर्नेस विभाग से ऑनलाइन सॉफ्टवेयर  तैयार नहीं

punjabkesari.in Friday, Mar 24, 2017 - 04:19 PM (IST)

अमृतसरः अकाली-भाजपा सरकार की ओर से डेथ एंड बर्थ सर्टीफिकेट का कामकाज नगर निगम से सेवा केंद्र में शिफ्ट करने के बाद लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। निवर्तमान सरकार ने सर्टीफिकेट बनाने वाले निगम के सॉफ्टवेयर को बंद करवाकर सेवा केंद्रों और निगम के बीच नया ऑनलाइन सॉफ्टवेयर बनाने का फरमान जारी किया था लेकिन सेवा केंद्रोंं को खुले आठ महीने गुजर गए हैं और अभी तक पंजाब सरकार के ई-गवर्नेस विभाग से ऑनलाइन सॉफ्टवेयर तैयार नहीं हुआ। इस कारण निगम लोगों को हाथ से लिखा सिर्फ एक सर्टीफिकेट बनाकर दे रहा है जबकि बैंक, डाक घर, इंश्योरेंस कंपनियों और अन्य सरकारी कामकाज के लिए लोगों को डेथ सर्टीफिकेट की ज्यादा कापियों की जरूरत पड़ती है।

अब निगम ने लोगों की परेशानी खत्म करने के लिए खुद सर्टीफिकेट प्रिंटिंग का सिस्टम शुरू कर दिया है। लोगों को जरूरत अनुसार डेथ सर्टीफिकेट की कापियां मिलेंगी। बता दें कि शहर के अलग-अलग सेवा केंद्रों से निगम में रोजाना करीब 250 डेथ एंड बर्थ सर्टीफिकेट की एप्लीकेशन पहुंचती हैं।
 
नगर निगम के डेथ एंड बर्थ विभाग में कर्मचारियों की कमी के चलते हाथ लिखे ज्यादा डेथ सर्टीफिकेट तैयार नहीं हो रहे थे। इसलिए ज्वाइंट कमिश्नर अल्का के निर्देशों पर विभाग ने बिना पैसा खर्च किए सर्टीफिकेट प्रिंटिंग सिस्टम शुरू किया है। विभाग के एक अफसर ने अपने इंजीनियर दोस्त की मदद लेकरसर्टीफिकेट को प्रिंट करने का काम शुरू किया है। माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में सर्टीफिकेट का खाका बनाया गया है, जिसमें नाम, पता और अन्य डिटेल दर्ज करके जरूरत अनुसार सर्टीफिकेट की कापियां प्रिंट कर ली जाएंगी। इसके अलावा सेवा केंद्रों से आने वाली एप्लीकेशंस का रिकार्ड माइक्रोसॉफ्ट एक्सल शीट में दर्ज किया जाएगा।  


 
 प्रदीप कुमार, सुपरिटेंडेंट, डेथ एंड बर्थ विभाग, नगर निगम ज्वाइंट ने बताया कि कमिश्नर अलका के निर्देशों पर नगर निगम ने खुद डेथ सर्टीफिकेट प्रिंट करने का सिस्टम शुरू किया है  क्योंकि पंजाब सरकार को कई बार रिमांइडर भेजने के बाद भी ऑनलाइन सॉफ्टवेयर नहीं आया। डेथ केस में सरकारी विभागों से पैसे लेने या प्रॉपर्टी का नाम चेंज करवाने के लिए डेथ सर्टीफिकेट की असली कापी की जरूरत पड़ती है। लेकिन निगम हाथ से लिखा एक ही सर्टीफिकेट मुहैया करवा सकता था जिसके चलते लोग परेशान होते थे, पर अब लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक सर्टीफिकेट  दिए जाएंगे।

 


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