सैर के शौकीनों के लिए हानिकारक है जली पराली का धुआं, रहें सावधान!

punjabkesari.in Sunday, Nov 05, 2017 - 09:06 AM (IST)

बठिंडा (विजय): पराली जलने से बढ़ते धुएं के कारण आंखों में जलन व सांस लेना भी अब दूभर हो गया है जबकि वातावरण भी पुरी तरह दूषित हो चुका है। ऐसे में लोगों को कई बीमारियों का सामना भी करना पड़ रहा है, लगातार आंखों से टपक रहे पानी के कारण सूजन बन गई है व आंखें लाल-लाल दिखाई देती हैं। 

स्वास्थ्य का ध्यान रखने वाले सैर के शौकीनों पर भी पराली के धुएं की दौहरी मार पड़ रही है एक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है दूसरा सैर करने से सांस की बीमारी अलग से पैदा हो रही है। अधिकतर मधुमय व उच्च रक्तचाप के रोगी सैर का अधिक  आनंद लेते हैं जिससे उनकी शूगर की दर कम होती है व सैर करना उनका एक शौक बन जाता है। 

पराली के धुएं के कारण सूरज की चमक मद्धम पड़ रही है। कई दिनों से दोपहर में धुएं की वजह से सूरज की चमक अन्य दिनों जैसी नहीं थी। कृषि विभाग के अनुसार गेहूं की बिजाई का उपयुक्त समय 25 अक्तूबर से 20 नवम्बर है इसके बाद उत्पादन में कमी आ जाती है। खेतों में पराली जलाने के बाद करीब एक सप्ताह तक गेहूं की बिजाई के लिए समय उपयुक्त होता है। पी.ए.यू. के स्थानीय क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र की कृषि मौसम इकाई के प्रभारी डा. राजकुमार पाल ने बताया कि इन दिनों दोपहर में दृश्यता सामान्य से 30 प्रतिशत कम है, एेसा धुएं की वजह से हो रहा है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के एक्सियन परमजीत सिंह के अनुसार आम दिनों में प्रदूषण की मात्रा 250 आर.एस.पी.एम. के आसपास रहती है।

गेहूं की अगेती बिजाई हेतु जलाई जाती है पराली 
गेहूं की अगेती बिजाई का जोर बढ़ते ही किसानों ने पराली जलाकर खेत तैयार करने का सिलिसला बढ़ा दिया है। पंजाब रिमोट सैंसिंग सैंटर (पी.आर.एस.सी.) ने अब तक जिले में 1,528 जगहों पर खेतों में आग लगाए जाने की रिपोर्ट दी है। प्रशासन की आेर से आग लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय सरकार कर्मचारियों पर ही अपने खेतों में पराली न जलाने संबंधी आदेशों का पालन करने के आदेश जारी किए जा रही है। पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के स्थानीय रिजनल कार्यालय के वातावरण इंजीनियर परमजीत सिंह ने बताया कि आग ज्यादा जगह लगाने की वजह से वातावरण में धुएं का आवरण गहरा रहा है।


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