आदेशों के बाद प्राइवेट कारिन्दे को निकाला, 2 हजार से ज्यादा इंतकाल व फर्दें रुकीं

punjabkesari.in Tuesday, Nov 14, 2017 - 10:28 AM (IST)

अमृतसर(नीरज): चीफ सैक्रेटरी, विजीलैंस डायरैक्टर व डी.सी. की तरफ से राजस्व विभाग के पटवारियों को प्राइवेट कारिन्दे निकालने का आदेश दिए जाने के बाद सभी पटवारियों ने अपने प्राइवेट कारिन्दों को निकाल दिया है। इसका असर दिखना शुरु हो गया है।

आज जैसे ही जिला प्रशासन ने पटवारियों को चुनावी ड्यूटी में तैनात किया तो सभी पटवारी अपने दफ्तरों में ताले लगाकर चुनावी कामों में व्यस्त हो गए जिसके चलते सारा पटवारखाना बंद रहा। हालात ये रहे कि पटवारखानों में अपनी जमीन-जायदाद की फर्दें व इंतकाल करवाने आए लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा और लोग सारा दिन पटवारियों का इंतजार करते नजर आए। पटवारियों को 15 दिसम्बर तक चुनावी ड्यूूटी में तैनात किया गया है और चुनाव से संबंधित सरकारी काम को पटवारी करने से मना भी नहीं कर सकते हैं, क्योंकि सभी को पता है कि चुनाव आयोग का डंक कितना खतरनाक होता है। इन हालात में बिना किसी हैल्पर के सिर्फ एक काम किया जा सकता है या तो पटवारखानों में बैठकर माल विभाग का काम किया जाए या फिर चुनावी ड्यूटी को अंजाम दिया जाए।

पंजाब में पटवारियों के 5500 पद खाली
माल विभाग में पटवारियों के रिक्त पदों की बात करें तो पता चलता है कि इस समय पंजाब के सभी जिलों में पटवारियों के 5500 के करीब पद खाली हैं। पिछले वर्ष को छोड़ दिया जाए तो 40 वर्षों से पटवारियों की नई भर्ती नहीं की गई है, जिसके चलते पटवारियों को अतिरिक्त दबाव में काम करना पड़ रहा है। पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार की तरफ से 500 के करीब पटवारियों को भर्ती किया गया, जो अभी ट्रेङ्क्षनग ले रहे हैं। पटवारियों की मानें तो सरकार का यह कदम ऊंट के मुंह में जीरे जैसा है। सरकार को 5500 से ज्यादा पटवारियों की तुरंत भर्ती करने की सख्त जरूरत है, लेकिनऐसा किया नहीं जा रहा है।

एक-एक पटवारी के पास एक से ज्यादा पटवार सर्कल
राजस्व विभाग में पटवारियों के काम पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि एक-एक पटवारी जिसमें विशेष रूप से देहाती इलाकों के पटवारियों के पास एक से ज्यादा सर्कल का काम है। एक सर्कल में ही कई गांव आ जाते हैं, जिससे पटवारियों को अपनी सरकारी काम को चलाने के लिए प्राइवेट कारिन्दों की मदद लेनी पड़ती है। बेशक कानून के अनुसार यह गैर-कानूनी है, लेकिन काम तो सरकारी ही किया जा रहा है पटवारियों का यह दावा है। ऐसा भी नहीं है कि सरकारी विभागों में सिर्फ पटवारियों ने ही प्राइवेट कारिन्दे रखे हुए हैं, जबकि दर्जनों ऐसे सरकारी विभाग हैं, जो प्राइवेट कारिन्दों की मदद से चल रहे हैं। इसका मुख्य कारण सरकार की तरफ से कर्मचारियों की खाली सीटों को नहीं भरना है। जितनी रफ्तार में कर्मचारी जिसमें पटवारी भी शामिल हैं, रिटायर हो रहे हैं उस रफ्तार से भर्ती नहीं की जा रही है।

ठेके पर रख लिए जाएं प्राइवेट कारिन्दे
कुछ सीनियर पटवारियों ने पंजाब सरकार को यह भी सुझाव दिया था कि अन्य सरकारी विभागों की भांति पटवारखानों में काम करने वाले प्राइवेट कारिन्दों को भी ठेके पर रख लिया जाए, क्योंकि ऐसा करने से जहां प्राइवेट कारिन्दों की रोजी-रोटी चलती रहेगी वहीं पटवारियों को भी हैल्पर के रूप में सरकारी काम करने में मदद मिलेगी, सरकार को इस काम पर कोई ज्यादा खर्च भी नहीं करना पड़ेगा, लेकिन फिलहाल इस सुझाव पर कोई अमलीजामा नहीं पहनाया गया है।

प्राइवेट कारिन्दों के मामले में डी.सी. व अन्य अधिकारी भी बेबस
एक तरफ जहां पटवारी अपने प्राइवेट कारिन्दे रखने को मजबूर हैं तो दूसरी तरफ डी.सी. व अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी प्राइवेट कारिन्दा रखने की इजाजत नहीं दे सकते हैं, वे इस मामले में बेबस हैं क्योंकि मुख्य सचिव पंजाब व विजीलैंस विभाग ने अपने आदेश जारी करके पल्ला झाड़ लिया है और डिप्टी कमिश्नरों पर सारा बोझ डाल दिया है। इन हालात में डी.सी. भी इस मामले में कोई राहत नहीं दे सकते हैं।

नई जमाबंदी बनाने का काम भी रुका
आज पटवारियों की तरफ से अपने दफ्तरों को बंद किए जाने के बाद माल विभाग का सारा काम रुक गया। माल विभाग की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले पटवारियों की तरफ से एक दिन का काम रोकते ही 2 हजार से ज्यादा इंतकालें व फर्दें रुक गई हैं, जिसका असर आम जनता पर सीधा पड़ेगा। इतना ही नहीं, नई जमाबंदी बनाने का काम भी रुक गया है। इससे माल विभाग को अपने काम में काफी रुकावटों का सामना करना पड़ेगा।

नहीं छोटे किए जा रहे हैं पटवार सर्कल
पटवारियों के पास एक से ज्यादा सर्कल ही नहीं हैं, बल्कि जो सर्कल हैं, वे बहुत बड़े हैं जिनको छोटा करने के लिए द रैवेन्यू पटवार यूनियन ने कई बार मुख्य सचिव पंजाब, एफ.सी.आर. व डी.सी. को मांग-पत्र दिया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है, जिसके चलते एक-एक पटवारी को काम का भारी बोझ उठाना पड़ रहा है। पटवारी लगातार मांग कर रहे हैं कि उनके सर्कल छोटे कर दिया जाए, लेकिन इस मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है।


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