डाक्टरों ने नवजन्मे बच्चे के पिता का नाम बदला

punjabkesari.in Saturday, Aug 19, 2017 - 12:19 PM (IST)

अमृतसर (दलजीत): गुरु नानक देव अस्पताल के अधीन चलते वाले बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर के डाक्टरों द्वारा नवजन्मे बच्चों का रिकार्ड रखने में घोर लापरवाही बरती जा रही है। सैंटर के डाक्टर बच्चों के पिता का नाम गलत लिखकर जन्म व मृत्यु विभाग को दे रहे हैं। लोगों को सर्टीफिकेट  में नाम ठीक करवाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि डाक्टर अपनी गलती मानने कतरा रहे हैं। ऐसा ही मामला मजीठा रोड के रहने वाले दविन्द्र सिंह के साथ हुआ है। 
जानकारी के अनुसार बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल में डाक्टरों द्वारा नवजन्मे बच्चों का रिकार्ड ठीक ढंग से नहीं रखा जाता है। जल्दी-जल्दी में गलत रिकार्ड जन्म व मृत्यु विभाग को भेज दिया जाता है। डाक्टरों के भेजे रिकार्ड अनुसार ही नया सर्टीफिकेट बना दिया जाता है। 


दविन्द्र सिंह ने बताया कि उनके बच्चे का जन्म 10 अप्रैल को बेबे नानक मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर में हुआ था। कुछ दिनों बाद वह अपने नवजन्मे बच्चे का जन्म सर्टीफिकेट लेने के लिए अस्पताल के जन्म व मृत्यु विभाग में गए तो वहां पर उन्हें पिता का नाम दलबीर सिंह वाला सर्टीफिकेट थमा दिया गया। जब उन्होंने विभाग के कर्मचारियों से पिता का नाम गलत होने संबंधी कहा तो कर्मचारियों ने कहा कि जो रिकार्ड अस्पताल से आया है, उसी के आधार पर सर्टीफिकेट बना दिया गया है।

 

उन्होंने कहा कि वह जब सैंटर के संबंधित डाक्टरों से मिलने गया तो उनके रिकार्ड पर दलबीर सिंह लिखा हुआ था। उसके द्वारा जब डाक्टरों से नाम गलत लिखने संबंधी कहा गया तो उन्होंने दलबीर सिंह नाम को काटकर दविन्द्र सिंह लिख दिया और जाओ संबंधित विभाग में ले जाओ अब ठीक हो जाएगा, छोटी से गलती है तुरंत ठीक हो जाएगी। जब वह उक्त गलती वाला कागज लेकर संबंधित विभाग में गए तो उन्होंने कहा कि अब ऐसा नहीं होगी करैक्शन की फाइल बनानी पड़ेगी, लंबा काम है, सिविल सर्जन कार्यालय में फाइल जाएगी। आज 4 महीने हो गए हैं, डाक्टरों की लापरवाही के कारण उन्हें अपने बच्चे का सर्टीफिकेट लेने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनके सहित कई और भी लोग हैं जो डाक्टरों के गलत लिखने का खमियाजा भुगत रहे है। उन्होंने उच्च अधिकारियों से मांग की ऐसे लापरवाह डाक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इस संबंधी संबंधित विभाग के डाक्टरों से बातचीत करनी चाही तो वे अपनी गलती मानने से कतराते रहे। 


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