जिला सिविल अस्पताल के डाक्टर काम के बोझ तले दबे, 10 पोस्टों में से 7 पद रिक्त

punjabkesari.in Saturday, Jan 25, 2020 - 10:56 AM (IST)

अमृतसर(दलजीत): जिला स्तरीय सिविल अस्पताल के डाक्टर काम के बोझ तले दबे हुए हैं। अस्पताल की एमरजैंसी में 10 मैडीकल अधिकारियों की पोस्टें होने के बावजूद 7 खाली पड़ी हुई है, जबकि तीन ही डाक्टर दिन-रात काम कर रहे हैं। सरकार द्वारा यदि डाक्टरों की समस्या का समाधान न निकाला गया तो यह डाक्टर भी काम के बोझ को देखते हुए अपना तबादला अन्य अस्पतालों में करवा सकते हैं। 

जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार द्वारा अमृतसर के जिला स्तरीय अस्पताल को पंजाब के सभी सरकारी अस्पतालों का आदर्श कहा जाता है। उक्त अस्पताल में 24 घंटे बढिय़ा ढंग से सेहत सेवाएं दी जाती हैं परंतु अब सरकार द्वारा इस साल की ओर ध्यान न देने के कारण धीरे-धीरे डाक्टरों तथा कर्मचारियोंं के पद खाली होने शुरू हो गए हैं। अस्पताल के मैडीकल अधिकारी डा. मंजीत सिंह, डा. विजय गोयल, डा. कुणाल बंसल, डा. राज कुमार, डा. सिमरनजीत, डा. जितेंद्र सिंह, डा. सतबीर सिंह, डा. विनीत, डा. शालू अग्रवाल ने अपने काम के बोझ को लेकर अस्पताल के इंचार्ज डा. अरुण शर्मा के साथ मीटिंग की तथा उन्हें अपनी समस्याओं के संबंधी अवगत करवाया। 

पंजाब केसरी से बातचीत करते हुए डाक्टरों ने बताया कि यदि सिविल अस्पताल को यदि सरकार नहीं चलाना चाहती है तो उसे बंद कर दें क्योंकि यहां पर हम एमरजैंसी मैडीकल अधिकारी 10 चाहिए जबकि पहले ही यहां पर 4 अधिकारी काम कर रहे थे। एक दिन पहले ही सरकार के नए आदेश आए हैं, 2 एमरजैंसी मैडीकल अधिकारियों को यहां से तबादला कर दिया गया है, जिस कारण स्पैशलिस्ट डाक्टरों पर काम का बोझ बढ़ गया है। 

स्पैशलिस्ट डाक्टर को एमरजैंसी के साथ-साथ पोस्टमार्टम भी करने पड़ रहे हैं जिस कारण मरीजों को ओ.पी.डी. में सेहत सेवाएं न मिलने के कारण उनका नुक्सान हो रहा है। इनका यह कहना है कि हमें अपनी स्पैशलिस्ट का काम करने दिया जाए। खास बात यह है कि तमाम सरकारी अस्पतालों में लगे स्पैशलिस्ट डाक्टरों को सरकार ने टारगेट दे रखें। 
यदि यह अपने टारगेट यानि कितने मरीजों को देखना है। कितने ऑप्रेशन करने हैं वह पूरा नहीं करते तो इनके बैंच माक्र्स पूरे नहीं होते हैं जो भविष्य में इनकी किसी ए.सी.आर.पर असर डालते हैं।  

उधर दूसरी ओर सेहत विभाग इम्प्लाइज वैल्फेयर एसोसिएशन के चेयरमैन राकेश शर्मा ने भी डाक्टरों की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने बताया कि कई बार सरकार को डाक्टरों के काम के बोझ के संबंध में पत्र भी लिखा गया है परंतु सरकार द्वारा इस मामले को गंभीरता से नहींं लिया। सरकार के ढिलमुल के कारण अस्पताल मेंं आने वाले दिनों में प्रभावित हो सकती, यदि सरकार ने तुरंत इस बंद मेंं ध्यान न दिया तो सिविल अस्पताल में डाक्टरों की कमी के कारण ताले लग जाएंगे। उधर दूसरी ओर डाक्टर अरुण शर्मा ने कहा कि मामला उच्च अधिकारियों के ध्यान में लाया जाएगा तथा सेहत मंत्री के साथ भी इस संबंध में बातचीत की जाएगी। 


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Vaneet

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