कश्मीर घाटी में खाद्य समस्या का हल बने पंजाबी चिकन

punjabkesari.in Friday, Sep 20, 2019 - 11:14 AM (IST)

अमृतसर(इन्द्रजीत): अनुच्छेद 370 हटने के बाद बदले हालात में कश्मीर घाटी में जहां करीब एक हजार पोल्ट्री फार्म लगभग बंद हो चुके थे, वहीं इस खाद्य समस्या के समाधान में पंजाब से जा रहा चिकन बड़ा जरिया बन गया है। इससे जहां पर घाटी के लोगों की खाद्य समस्या हल हुई वहीं पंजाब के पोल्ट्री फार्मों को लाभ मिला। जम्मू-कश्मीर में चिकन की सप्लाई रुक जाने से डेढ़ महीना पहले 70 रुपए प्रति किलो से अब 92 रुपए प्रति किलो पर कीमतें स्थिर होने लगी हैं।

पोल्ट्री फार्म उद्योग के अनुसार घाटी में मैदानी क्षेत्रों से लगभग 3 गुना अधिक चिकन की खपत है। इन दिनों में वहां के पोल्ट्री फार्म बंद होने से पंजाब से रोज 6 लाख अंडों और 80 हजार चिकन की सप्लाई जा रही है। वही 70 घाटी का इलाका पंजाब के कुक्कुट उद्योग पर निर्भर है, 40 प्रतिशत अन्य साधन हैं। गौर हो कि लंबे समय से घाटी में बड़ी संख्या में पोल्ट्री फार्म स्थापित होने और जे.एंड के. सरकार द्वारा भारी राहत देने से पंजाब के पोल्ट्री फार्मो से माल जाना कम हो गया था, लेकिन बदले हालातों में पठानकोट, दीनानगर, गुरदासपुर, अमृतसर और मुकेरियां से बड़े लेवल पर पंजाब से चिकन जा रहा है। इस समय घाटी में एक हजार से अधिक पोल्ट्री फार्म चल रहे हैं। हालांकि इनको काफी सहूलियतें वहां की सरकार देती है, पर पंजाब से फीड न पहुंचने से पोल्ट्री फार्म लगभग बंद हो चुके हैं।      

बढ़ी पोल्ट्री चिकन की वैल्यू
जे.एंड के. में सप्लाई के कारण पंजाब में भी पोल्ट्री चिकन की कीमत 12 रुपए प्रति किलो बढ़ चुकी है, जबकि दूसरी ओर 1 दिन के चूजे की कीमत जो पहले 15 थी अब 40 रुपए हो चुकी है और दोनों कैटेगरी के ट्रेडर्स इसमें मुनाफा कमा रहे हैं। इस धंधे के जानकार लोगों की मानें तो दो महीनों में बरसाती मौसम के चलते पोल्ट्री उद्योग में मंदी आती है और चिकन के रेट घट जाते हैं।इसका कारण है कि 2 महीने की स्टोरेज में चिकन का वेट बढ़ जाता है और खुराक का खर्च बढऩे से पूरी कीमत नहीं मिलती, लेकिन इस बार घाटी में खाद्य समस्या होने से पोल्ट्री फार्मों को नुक्सान नहीं सहना पड़ा। 

आसान नहीं है चिकन की ढुलाई
घाटी के लोग पंजाब से गया जिंदा चिकन ही खरीदते हैं। इसे ले जाना भी आसान काम नहीं होता। इनके पिंजरे ट्रकों में बने होते हैं, क्योंकि ब्रायलर पंजाब से घाटी क्षेत्रों में जाने के लिए 500 किलोमीटर का सफर मुर्गे को बड़ी कठिनाई से सहना पड़ता है।  इस बीच न तो उसे खुराक दी जा सकती है और न ही पानी, वहीं धूप में मुर्गे की ढुलाई होती है। इसके लिए पंजाब के वैल ट्रेंड ट्रक ड्राइवर एक ट्रक में 3 से 4 हजार मुर्गे ट्रक के पिंजरे में भर लेते हैं और इन्हें रात में 8 बजे के करीब पंजाब से लेकर चलते हैं और अगले दिन सुबह 6 बजे घाटी के बाजारों में ट्रक पहुंचा देते हैं। 

जम्मू-कश्मीर में मुर्गों पर टोल टैक्स हटाए सरकार
पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष जी.एस. बेदी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित हो चुका है और और घाटी में पोल्ट्री उद्योग से संबंधित 60 प्रतिशत आपूर्ति घाटी को पंजाब दे रहा है। इसलिए टोल बैरियर पर प्रति मुर्गा गिन कर टैक्स लगाया जा रहा है जो कि 8 रुपए किलो है। भारत ही नहीं पूरी दुनिया में कहीं भी यह कानून नहीं है। इस हिसाब से औसतन डेढ़ किलो वाले मुर्गे पर 12 रुपए टैक्स पड़ता है। इसलिए यदि इस जजिया टैक्स को हटाया जाए तो जम्मू-कश्मीर के नागरिकों और पंजाब के पोल्ट्री फार्म पर इसका बेहतर असर होगा। 


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