निगम यूनियनों और कांग्रेसी नेतृत्व के बीच टकराव का दौर शुरू

punjabkesari.in Sunday, Feb 23, 2020 - 10:11 AM (IST)

जालंधर(खुराना): गत दिनों नगर निगम की सफाई मजदूर यूनियन के नेता चंदन ग्रेवाल ने अन्य प्रतिनिधियों सहित निगम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपकर मांग की थी कि 160 सीवरमैनों को नगर निगम द्वारा ठेके पर रखने का जो टैंडर पास किया गया है उसे रद्द किया जाए वर्ना सोमवार 24 फरवरी को निगम यूनियनें हड़ताल पर चली जाएंगी जिसके चलते शहर में सफाई व सीवर व्यवस्था ठप्प हो जाएगी और निगम के तमाम ड्राइवर भी हड़ताल पर रहेंगे। 

यूनियन नेताओं द्वारा हड़ताल का अल्टीमेटम दिए जाने के बाद अगले दिन मेयर जगदीश राजा ने कड़ा स्टैंड प्रदर्शित करते हुए एक बयान में कहा था कि निगम में स्टाफ की कमी होने के कारण यह भर्ती बहुत जरूरी है जिसे सरकार भी मंजूरी दे चुकी है इसलिए निजी हितों की खातिर इसका विरोध करने और राजनीति चमकाने वालों की ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुका जाएगा क्योंकि बाकी यूनियनों द्वारा इस भर्ती प्रक्रिया को समर्थन दिया जा रहा है। 

PunjabKesari, Confrontation between corporation unions and Congress leadership begins

मेयर के इस स्टैंड के बाद जहां निगम यूनियनों की बैठक प्रधान चंदन ग्रेवाल की अध्यक्षता में हुई जिस दौरान सोमवार को हड़ताल पर चले जाने की घोषणा की गई, वहीं दूसरी ओर इस मुद्दे पर मेयर जगदीश राजा ने मॉडल टाऊन स्थित मेयर हाऊस में शहर के चारों विधायकों संग एक बैठक करके विचार किया। माना जा रहा है कि यूनियनों और कांग्रेसी नेतृत्व द्वारा परस्पर विरोधी स्टैंड ले लिए जाने के चलते दोनों में टकराव का दौर शुरू हो गया है। 

ब्लैकमेलर कहने पर मेयर विरुद्ध करवाऊंगा पर्चा : चंदन ग्रेवाल
पंजाब सफाई मजदूर फैडरेशन, सीवरमैन इम्प्लाइज यूनियन तथा कई अन्य यूनियनों के प्रतिनिधियों की बैठक प्रधान चंदन ग्रेवाल की अध्यक्षता में हुई जिस दौरान चंदन ग्रेवाल ने साफ शब्दों में कहा कि जिस प्रकार मेयर ने उन्हें और यूनियन को ब्लैकमेलर घोषित किया है, उसे लेकर पर्चा दर्ज करवाया जाएगा जिसमें एस.सी./एस.टी. एक्ट भी जोड़ा जाएगा क्योंकि वह दलित समाज की आवाज को उठा रहे हैं जिस कारण उन्हें धमकाया जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि मेयर हड़ताल को गैर-कानूनी बता रहे हैं परंतु गत दिवस उनके करीबी विधायक ने सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए हाईवे जाम किया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के अनुसार हाईवे रोकना गैर-कानूनी है। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने सीवरमैनों और सफाई कर्मियों को ठेके के आधार पर रखने से मना कर रखा है परंतु मेयर गैर-कानूनी कार्य करके 160 सीवरमैन ठेके पर रखने जा रहे हैं जो केवल अपने चहेतों को खुश करने तथा कमीशन खाने का खेल है। वाल्मीकि समाज से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। 160 सीवरमैनों को दो साल बाद पक्के करने की बात कही जा रही है परंतु 10 साल से ठेकेदारी सिस्टम के तहत काम कर रहे कर्मचारी क्या इन्हें नजर नहीं आते।

उन्होंने कहा कि आज शहर की दुर्दशा के लिए मेयर जिम्मेदार हैं इसलिए उन्हें अपनी कुर्सी से इस्तीफा देने की जरूरत है। विधायक तक उनकी कार्यप्रणाली की आलोचना कर चुके हैं। शहर की सारी समस्याओं के लिए मेयर की नीतियां जिम्मेदार हैं क्योंकि वह कोई पालिसी लागू नहीं करवा सके। उन्होंने कहा कि वह शहर निवासी हैं और शहर हमारे परिवार का हिस्सा है। ऐसे में किसी को परेशान करना हमारा उद्देश्य नहीं परंतु हमारी आवाज कमजोर और दबे हुए वर्ग के लिए है। बैठक दौरान नरेश प्रधान, बिशन दास सहोता, ज्ञान चंद पदम, बंटू सभ्रवाल, अशोक भील, विनोद मद्दी, सन्नी सहोता, देवानंद थापर इत्यादि दर्जनों प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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यूनियन के अल्टीमेटम पर विधायकों तथा मेयर ने की चर्चा
एक ओर जहां निगम प्रशासन शहर में रोड गलियों की सफाई तथा सीवरेज के कार्यों के लिए 160 सीवरमैनों को ठेकेदारी प्रथा के आधार पर रखने जा रहा है, वहीं निगम यूनियन द्वारा इसके विरोध में हड़ताल की कॉल देने के मद्देनजर माडल टाऊन के मेयर हाऊस में कांग्रेसी नेताओं की एक बैठक हुई जिस दौरान मेयर जगदीश राजा के अलावा शहर के चारों विधायक परगट सिंह, सुशील रिंकू, रजिंद्र बेरी तथा बावा हैनरी उपस्थित हुए। काफी देर चली इस बैठक दौरान 160 सीवरमैनों को शहर की जरूरत करार देते हुए यूनियन के रुख पर चर्चा की गई। 

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सूत्रों के मुताबिक विधायक रजिंद्र बेरी तथा बावा हैनरी का मत था कि यूनियन के दबाव के आगे कतई झुका न जाए जबकि विधायक परगट सिंह ने कहा कि यदि ठेकेदारी प्रथा पर सरकार द्वारा सीवरमैन रखने की मंजूरी है तो उन्हें कोई एतराज नहीं है। इस बैठक दौरान विधायक सुशील रिंकू का विचार अलग था। उनका मानना था कि सीवरेज की सफाई का काम सबसे कठिन काम है जो आत्मा को मार कर ही किया जा सकता है। ऐसे में सीवरमैनों को सभी प्रकार की सुविधाएं देना सरकारों और प्रशासन का कर्तव्य है। सरकार से बात करके उनकी पक्की भर्ती की प्रक्रिया चलाई जानी चाहिए।

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बैठक दौरान शहर में 34 लाख रुपए की लागत से दो स्थानों पर एल.ई.डी. स्क्रीनें लगाए जाने के मुद्दे को कांग्रेसी नेताओं ने गंभीरता से नहीं लिया और यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि पिछली सरकार ने सिटी स्कैप के टैंडर में इसका प्रावधान रखा था। बैठक दौरान शहर की टूटी सड़कों पर भी चर्चा हुई।

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Edited By

Sunita sarangal

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