खुद के पढ़ाए छात्रों को कामयाब होता देख रिटायर्ड शिक्षक डॉ.अविनाश शर्मा फूल नहीं समाते

punjabkesari.in Sunday, Jan 19, 2025 - 03:13 PM (IST)

जालंधर, 17 जनवरी (विशेष) : 1995 में बेस्ट टीचर के रूप में चुने गए रिटायर्ड प्रिंसिपल डा. अविनाश शर्मा अपनी सेवाओं को लेकर काफी जाने जाते हैं। पंजाब के नूरपुरबेदी के रहने वाले डॉ. अविनाश शर्मा द्वारा पढ़ाए गए स्टूडेंट्स आज देश के बहुत ऊंचे-ऊंचे पदों पर पहुंचे हैं, जिनमें कई आई.ए.एस. व पी.सी.एस. बने हैं तो कईयों ने राजनीति के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है। डॉ. अविनाश शर्मा को हिंदी साहित्य अकादमी की तरफ से भी उनकी बेहतर सेवाओं के लिए सम्मानित किया जा चुका है। पूर्व राष्ट्रपति स्व. ज्ञानी जैल सिंह की तरफ से उन्हें यह सम्मान दिया गया था। उस दौरान इस सम्मान के लिए 11 लोगों को चुना गया था जिनमें डा. शर्मा का भी नाम था। 

पंजाब केसरी से बातचीत करते डॉ. अविनाश शर्मा ने बताया कि आज उनका मन गर्व से भर जाता है, जब पता चलता है कि उनके द्वारा पढ़ाए गए स्टूडेंट्स देश की बहुत ऊंची-ऊंची पदवियों पर पहुंचे हैं। उन्हें बहुत खुशी होती है कि उनके द्वारा दी गई शिक्षा को स्टूडेंट्स अपनी जिंदगी में उतार रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1995 में पंजाब सरकार द्वारा उन्हें बेस्ट टीचर के रूप में स्टेट अवार्ड के लिए चुना गया। वह बहुत ही गरीबी में पले बढ़े हैं। जब वह 2 साल के थे तो उनके पिता का देहांत हो गया था, जिसके बाद उनकी माता ने ही उनका पालन पोषण किया। उसके बाद अलग-अलग भाषाओं हिंदी, पंजाबी व अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएशन की, वहीं हिंदी में पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की है। पंजाब सरकार की तरफ से उन्हें इंद्रनाथ मदान पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि उनके समय के दौरान केवल 7 टीचर ही स्टेट अवार्ड के लिए चुने जाते थे। उन्होंने हाल ही में पंजाब के लिए सभ्याचारक पुस्तक लिखी। 

उन्होंने बताया कि राजनेता इकबाल सिंह लालपुरा उनके स्टूडेंट रहे हैं और आज जब वह उनसे मिलते हैं तो वह काफी गर्व महसूस करते हैं। इसी तरह से बहुत सारे स्टूडेंट्स हैं, जो अच्छे-अच्छे पदों पर पहुंचे हैं, जिनसे मिलकर उन्हें बहुत खुशी होती है। एजुकेशन सिस्टम में हुए बदलाव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पुरानी शिक्षा पद्धति भी चरम सीमा पर थी, लेकिन आज के युग में विज्ञान ने काफी प्रगति कर ली है। इस बदलते माहौल में हमें खुद को परिवर्तित करते रहना चाहिए। आज की जो नवीन शिक्षा पद्धति है, वह हमारे लिए बहुत ही  लाभदायक हैं। उन्होंने छात्रों को नशे से दूर रहने, शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने और माता पिता का नाम रौशन करने की भी सलाह दी। 80 साल की उम्र में भी आज डा. शर्मा समाज सेवा में लगे हुए हैं।


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Content Editor

VANSH Sharma

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