शिअद को सियासी झटका: SGPC मैम्बर व इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन रायपुर कांग्रेस में शामिल
punjabkesari.in Saturday, Oct 19, 2019 - 01:59 PM (IST)

जालंधर (धवन): शिरोमणि अकाली दल को आज उस समय एक जबरदस्त सियासी झटका लगा जब एस.जी.पी.सी. के सदस्य तथा इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट जालंधर के पूर्व चेयरमैन परमजीत सिंह रायपुर ने शिरोमणि अकाली दल को अलविदा कहते हुए कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान कर दिया। रायपुर को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कांग्रेस में शामिल करवाया। मुख्यमंत्री आज फगवाड़ा में रोड शो करने के लिए आए थे।
पार्टी में रायपुर को पूरा मान सम्मान दिया जाएगाः कैप्टन
रायपुर ने फगवाड़ा विधानसभा सीट में अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। रायपुर के साथ उनके समर्थक अकाली नेता भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। कैप्टन ने रायपुर का कांग्रेस में आने पर स्वागत करते हुए कहा कि पार्टी में उन्हें पूरा मान-सम्मान दिया जाएगा। रायपुर के साथ कांग्रेस में शामिल होने वालों में कौंसलर दविन्द्र कुमार सपरा, उनकी पत्नी रूपाली सपरा, हनी बत्रा, जोगिन्द्र सिंह सैनी, जत्थे. अमरीक सिंह व अन्य भी शामिल थे। रायपुर ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल द्वारा लगातार उनको नजरअंदाज किया जा रहा था, जिससे तंग आकर उन्होंने कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में भरोसा जताते हुए पार्टी में आने का निर्णय लिया। रायपुर ने जालंधर कैंट विधानसभा क्षेत्र से 1997 तथा 2002 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था। वह हमेशा अकाली दल के प्रति वफादारी करते रहे परन्तु इसके बावजूद उन्हें नजरअंदाज किया जाता रहा।
सुखबीर बादल तानाशाही तरीके से चला रहे पार्टी: रायपुर
रायपुर ने कहा कि उन्हें अकाली दल से सिर्फ धोखा ही मिला। कैंट विधानसभा क्षेत्र से 2 बार उनकी टिकट काट दी गई और बाहरी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा गया। 2017 में पुन: बाहरी उम्मीदवार को जालंधर कैंट से टिकट दी गई। अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल तानाशाही तरीके से पार्टी चला रहे हैं तथा जमीनी कार्यकत्र्ताओं की कोई पूछ नहीं हो रही है। अकाली दल में अब भू-माफिया के लोग आ चुके हैं, जिन्होंने पार्टी की छवि को धूमिल कर दिया है। जनता भी अब अकाली दल को पसंद नहीं कर रही है। रायपुर ने कहा कि वह 1978 से अकाली दल में कार्य करते आ रहे थे तथा 10 वर्षों तक वह गांव रायपुर (फराला) के सरपंच भी रहे। 1997 में उन्होंने पहली बार जालंधर कैंट से चुनाव लड़ा था। 2002 में हुए चुनाव में वह कांग्रेस नेत्री गुरकंवल कौर के हाथों विधानसभा का चुनाव हार गए थे। उसके बाद से अकाली नेतृत्व ने उनकी उपेक्षा करनी शुरू कर दी। इसके बाद लगातार अकाली दल बाहरी उम्मीदवारों को कैंट में लाता रहा, जिनका कोई जनाधार भी नहीं था।
सुखबीर ने कोरा जवाब दिया-मैं पटवारी तो नहीं लगा
कांग्रेस में शामिल हुए परमजीत सिंह रायपुर ने कहा कि हाल ही में सुखबीर बादल के बयान ने उन्हें तोड़ कर रख दिया था। उन्होंने बताया कि एक अकाली नेता ने उनके प्लाट पर कब्जा किया हुआ था, इसे लेकर मामला बादल परिवार के पास भी पहुंचा था। प्लाट को लेकर समझौता करवाने के लिए पार्टी के 3 पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई थी परन्तु उसका फैसला भी उक्त अकाली नेता ने मानने से इन्कार कर दिया। लोकसभा चुनाव के समय जब वह यह मामला पुन: सुखबीर बादल के पास लेकर गए तो सुखबीर ने कोरा जवाब दे दिया कि वह पटवारी तो नहीं लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मैंने तो सुखबीर से केवल इतना कहा था कि वह उक्त अकाली नेता को उनके प्लाट से कब्जा छोडऩे के लिए कहें, जिस पर सुखबीर ने कोई अमल नहीं करवाया। इन घटनाओं ने उन्हें भीतर से तोड़ कर रख दिया, जिस कारण उन्हें अकाली दल छोडऩे का फैसला लेना पड़ा।
विधानसभा चुनाव से एक महीना पहले ही नियुक्त किया था चेयरमैन
परमजीत सिंह रायपुर ने कहा कि अकाली नेतृत्व ने कभी भी कार्यकत्र्ताओं को सम्मान नहीं दिया। इसका उदाहरण वह स्वयं हैं। अनेकों वर्षों तक अकाली दल की सेवा करने के बावजूद उन्हें 2017 में हुए पंजाब विधानसभा के आम चुनावों से मात्र एक महीने पहले ही सुखबीर ने जालंधर इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट का चेयरमैन नियुक्त किया था। रायपुर ने कहा कि वास्तव में अकाली नेतृत्व अपने कार्यकत्र्ताओं व नेताओं को ताकत देना ही नहीं चाहते हैं। रायपुर ने कहा कि वह एस.जी.पी.सी. के सदस्य के रूप में काम करते रहेंगे क्योंकि जनता ने उन्हें उनके कामों के आधार पर चुना था।
रायपुर के भतीजे तनमनजीत ढेसी इंगलैंड में हैं सांसद
परमजीत रायपुर के भतीज तनमनजीत सिंह ढेसी इंगलैंड के पहले दस्तारधारी नौजवान हैं, जो एम.पी. चुने गए थे। तनमनजीत सिंह जब पिछले समय में पंजाब आए थे तो कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने उनके कार्यों की विशेष रूप से सराहना की थी। उन्होंने कहा कि इंगलैंड व अन्य देशों में बसे ढेसी परिवार से जुड़े सभी सदस्य उनके फैसले से सहमत थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सुखबीर बादल तानाशाही तरीके से पार्टी चला रहे हैं। अब पार्टी में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं रह गई है।
धार्मिक बेअदबियां बादल सरकार के समय ही हुईं
रायपुर ने आरोप लगाया कि पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की अधिकांश घटनाएं बादल सरकार के कार्यकाल में हुईं, जिस कारण वह अकाली दल में रहते हुए भी घुटन महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बरगाड़ी में गोलीकांड भी पूर्व बादल सरकार के समय हुआ था। मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने तो धामिक बेअदबियों के दोषियों को सजा दिलवाने की ठानी हुई है, जिस कारण उन्होंने एस.आई.टी. का गठन किया हुआ है। वह उम्मीद करते हैं कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह जल्द ही दोषियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजने में कामयाब होंगे।